Author Topic: Mahasu Temple (Hanol) Uttarakhand - महासू मंदिर हनोल (उत्तराखंड)  (Read 15911 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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महासू देवता के दर्शन कर लिया आशीर्वाद
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नौगांव : चार दिन तक चलने वाला 12 गांव के फतेह पर्वत पट्टी का शैड़कुड़ीया महासु जागरा भितरी मेला धूमधाम से सम्पन्न हुआ। मेले में 12 गांवों के ग्रामीणों ने शिरकत कर अपने ईष्ट देवता महासू के दर्शन कर क्षेत्र की सुख समृद्धि की कामना की।

महासू देवता को क्षेत्र का न्यायाधीश भी माना जाता है जिसके चलते अनेक लोग अपनी समस्याएं लेकर भी पहुंचे। चार दिन तक चलने वाले इस मेले में हर दिन देवता का माली अपने करतब दिखाता है।

 मेले में परंपरानुसार देवता का माली एक लंबी रस्सी से 50 फीट की ऊंचाई से जैसे ही नीचे उतरा, तो मेले में आये श्रद्धालुओं ने उसे कंधों पर उठाकर पूरे प्रांगण में घुमाया।

 माली से आशीर्वाद लेकर श्रद्धालुओं ने पारंपरिक परिधान में सज-धज कर रास-नृत्य किया। दूसरे दिन खण्डासुरी महाराज मंदिर में रखे अस्त्रों को ढोल-बाजों की गुंज के साथ स्नान आदि कराकर रासौं तांदी के साथ सांय मंदिर में प्रतिष्ठित कराया।


Source Dainik jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 photo  Temple of Mahasu Devta, Hanol, Uttarakhand India  Temple of Mahasu Devta, Hanol, Uttarakhand India.
 
Photo - By Somesh Kumar

Devbhoomi,Uttarakhand

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श्रद्धालुओं ने देवदर्शन कर मन्नत मांगी कालसी: थैना स्थित महासू और चालदा देवता के मंदिरों में पाइंता पर्व पर श्रद्धालुओं ने देवदर्शन कर मन्नत मांगी।मंदिर में सुबह सात बजे से अपराह्न तीन बजे तक श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। इसके बाद महासू देवता की पालकी श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बाहर रखी गई। देव पालकी को कंधा देने के लिए लोगों में होड़ लगी रही।


इस दौरान लोगों ने देव मालियों से अपने भविष्य के बारे में भी पूछा। इस मौके पर मंदिर के वजीर स्वराज सिंह भंडारी, रोशन सिंह, शशिपाल तोमर, संजय भंडारी व मुन्ना सिंह आदि मौजूद रहे। वहीं, विजयदशमी के अवसर पर कालसी स्थित काली माता मंदिर में विशाल भंडारा आयोजित किया गया। भडारे में सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।


Source dainik jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Deepak Benjwal4 hours ago
By Vijendra Rawat
 
 महासू देवता के दरवार में गुहार!
 
 जौनसार- बावर के नौकरशाह भ्रष्टाचार के खिलाफ लगायेंगे महासू देवता के दरवार में गुहार! -- नेता व ठेकेदार गठजोड़ गरीबों के विकास के पैसे को डकार रहे हैं ! -- भ्रष्ट लोगों के खिलाफ महासू देवता के दरवार में डालेंगे घात.....ताकि देवता भ्रष्ट लोगो को कर दे मटियामेट!!
 यह बेचारगी विकास से महरूफ केवल जौनसार-भाबर की जनता की नहीं है बल्कि पुरे राज्य की है पिछले ग्यारह सालों में जिस तरह से राजनेताओं ने, राजनेता समर्थित ठेकेदारों, नौकरशाहों ने इस राज्य के राजकोष को लूटा है यह तो बानगी भर है........ अभी तो जनता ने हिसाब की किताबों के कवर देखना शुरू किया है, जिस दिन से हिसाब की किताब को बांचना और भाषणी विकास का जमीनी मिलान शुरू कर दिया,,,,,,,,,, उस दिन पुरे राज्य भर के हर मंदिर/मस्जिद/गुरुद्वारे में डाली जायेगी असली घात/धात......... जब आम जनता को पता लगेगा की उसके बच्चे का निवाला नेता जी का चिकन/मटन और पनीर में तब्दील हो गया है, उनके बच्चों के स्कूल की वर्दी नेता जी के बेटे की जींस में बदल गयी है, गाँव की रोड....नेताजी के फ़ार्म हाउस में बन गयी हैं, गाँव के तालाब नेता जी के फ़ार्म हाउस के स्वीमिग पूल में तब्दील हो गये है, गाँव में बनने वाले झूला पुल नेता जी के घर की लिफ्ट में बदल गये हैं, गरीबों के अटल आवास से नेता जी के होटल और रिसोर्ट में बन गये है, गरीबों को आवन्टित होने वाली जमीने नेताओं के बच्चों के नाम कर दी गयी........बहुत से जगहें है जहाँ जनता के हको पर डाका पड़ा है.....ये तो शुरुआत भर है........... इसलिये हे नेताओं-नौकरशाहों जागो........यदि घात/धात के प्रकोप से तुम्हारी औलादें लूली-लंगणी पैदा होने लगी, तुम्हारे हाथ-पैर गलने लगे, बिस्तर पर पड़े-पड़े मल मूत्र त्यागने लगे तो क्या काम आयेगा ये पैसा............अब भी समय है चेत जाओं....

Devbhoomi,Uttarakhand

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 ( हनोल मंदिर )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड - इस मंदिर में राष्ट्रपति भवन से आती है भेंट

उत्तराखंड में त्यूनी-मोरी रोड पर स्थित महासू देवता मंदिर में आस्‍था और श्रद्घा का अनूठा संगम देखने को मिलता है। 9वीं शताब्दी में बनाया गया महासू देवता का मंद‌िर काफी प्राचीन है।

मिश्रित शैली की स्थापत्य कला
मिश्रित शैली की स्थापत्य कलामंदिर में मिश्रित शैली की स्थापत्य कला देखने को मिलती है। इस मंदिर को पुरातत्व सर्वेक्षण में भी शामिल किया गया है। महासू देवता मंदिर देहरादून से 190 किलोमीटर दूर और मसूरी से 156 किमी, चकराता के पास हनोल गांव में टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार इस गांव का हुना भट्ट, एक ब्राह्मण के नाम पर रखा गया है। इससे पहले यह जगह चकरपुर के रूप में जानी जाती थी। और पांडव लाक्षा ग्रह से निकलकर यहां आए थे। हनोल का मंदिर लोगों के लिए तीर्थ स्थान के रूप में भी जाना जाता है।

भगवान शिव का दूसरा रूप है महासू
महासू देवता भगवान शिव के ही रूप हैं। इस‌के साथ ही यह मान्यता भी है कि महासू ने किसी शर्त पर हनोल का यह मंदिर जीता था। महासू देवता जौनसार बावर, हिमाचल प्रदेश के ईष्ट देव हैं। यहां हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन से नमक की भेंट आती है।

मंदिर के साथ छोटे-छोटे पत्‍थर हैं। जो आकार में तो बहुत छोटे हैं, लेकिन इन्हें उठा पाना हर किसी के बस की बात नहीं है।यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से महासू की पूजा करता है वह ही इन पत्थरों को उठा सकता है।

अपने आप जलती है ज्योत
मंदिर के गृह गर्भ में भक्तों का जाना मना है। केवल पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। इसके साथ ही मंदिर में एक ज्योत हमेशा अपने आप जलती रहती है।

मंदिर के गृह गर्भ में पानी की एक धारा भी निकलती है, लेकिन वह कहां जाती है इसके बारे में किसी को भी पता नहीं है। महासू देवता के मंदिर में उत्तराखंड के साथ ही जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली से भक्त काफी संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Vinay KD
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महासू देवता मन्दिर हनोल, जनपद देहरादून (भाग - १)
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प्रकृति की गोद जैसे मनोरम और सुरम्य वातावरण में उत्तराखण्ड के सीमान्त क्षेत्र में टौंस नदी के तट पर बसा हनोल स्थित महासू देवता मन्दिर कला और संस्कृति की अनमोल धरोहर है। लम्बे रास्ते की उकताहट और दुर्गम रास्ते से हुई थकान, मन्दिर में पहुंचते ही छूमन्तर हो जाती है और एक नयी ऊर्जा का संचार होता है। "महासू" देवता एक नहीं चार देवताओं का सामूहिक नाम है और स्थानीय भाषा में महासू शब्द "महाशिव" का अपभ्रंश है। चारों महासू भाईयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू है। जो कि भगवान शिव के ही रूप हैं। उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है। आज भी महासू देवता के उपासक मन्दिर में न्याय की गुहार और अपनी समस्याओं का समाधान मांगते आसानी से देखे जा सकते हैं। महासू देवता के उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में कई मन्दिर हैं जिनमें अलग अलग रूपों की अलग-अलग स्थानों पर पूजा होती है। टौंस नदी के बायें तट पर बावर क्षेत्र के हनोल मन्दिर में बूठिया महासू (बौठा महासू) तथा मैन्द्रथ नामक स्थान पर बासिक महासू की पूजा होती है। पबासिक महासू की पूजा टौंस नदी के दायें तट पर बंगाण क्षेत्र में स्थित ठडियार, जनपद उत्तरकाशी नामक स्थान पर होती है...

क्रमश:

Vinay KD
April 17th, 2014
http://www.uttarakhandtemples.in/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Vinay KD
12 hours ago
महासू देवता मन्दिर हनोल, जनपद देहरादून (भाग - २)
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मन्दिर के पुजारी श्री सूरतराम जोशी और मन्दिर समिति सदस्य श्री बलिराम शर्मा के अनुसार टौंस नदी के बायें तट पर बावर क्षेत्र के हनोल स्थित मन्दिर चारों महासू देवताओं का मुख्य मन्दिर है और इस मन्दिर में मुख्य रूप से बूठिया महासू (बौठा महासू) तथा हनोल से १० किलोमीटर दूर मैन्द्रथ नामक स्थान पर बासिक महासू की पूजा होती है। पबासिक महासू की पूजा टौंस नदी के दायें तट पर बंगाण क्षेत्र में स्थित जनपद उत्तरकाशी के ग्राम ठडियार नामक स्थान पर होती है जो कि हनोल से लगभग ३ किलोमीटर दूर है। सबसे छोटे भाई चालदा महासू भ्रमणप्रिय देवता है जो कि १२ वर्ष तक उत्तरकाशी और १२ वर्ष तक देहरादून जनपद में भ्रमण करते हैं। जिनमें से इनकी एक-एक वर्ष तक अलग-अलग स्थानों पर उपासना होती है जिनमें से हाजा, बिशोई, कोटी कनासर, मशक, उदपाल्टा, मौना आदि उपासना स्थल प्रमुख हैं। पुजारी जी के अनुसार महासु देवताओं के मुख्य धाम हनोल स्थित मन्दिर में सुबह शाम दोनों समय क्रमश: नौबत बजती है और दिया-बत्ती की जाती है। मन्दिर के पुजारी हेतु कठोर नियम होते हैं जिनका पुजारी को पालन करना होता है। पूजनकाल में पुजारी सिर्फ एक समय भोजन करता है। बूठिया महासू के हनोल मन्दिर में निनुस, पुट्टाड़ और चातरा गावं के पुजारी पूजा करते हैं। जबकि मैन्द्रथ स्थित बासिक महासू के मन्दिर में निनुस, बागी और मैन्द्रथ गांव के पुजारी पूजा करते हैं। दोनों मन्दिरों में प्रत्येक गांव के पुजारी क्रम से एक-एक माह तक पूजा करते हैं और इस दौरान उन्हे पूजन हेतू सभी नियमों का पूरी श्रद्धा से पालन करना होता है। टौंस नदी के दायें तट पर जनपद उत्तरकाशी के बंगाण क्षेत्र में ठडियार स्थित पबासिक महासू के मन्दिर में केवल डगलू गांव के पुजारी पूजा करते हैं। जैसा की नाम से विदित होता है चालदा महासू भ्रमणप्रिय देव हैं अत: इनकी अलग-अलग स्थानों पर पूजा होती है जिसके लिये निनुस, पुट्टाड़, चातरा और मैन्द्रथ गावों के पुजारी क्रमानुसार देव-डोली के साथ-साथ चलते हैं और इनके उपासना स्थलों पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं....

क्रमश:

Vinay KD
April 19th, 2014
http://www.uttarakhandtemples.in/

 

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