Author Topic: Maneshwar Temple Champawat, Uttarakhand- मानेश्वर मंदिर चम्पावत  (Read 4163 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are posting here information about Maneshwar Temple situated in Champawat District of Uttarakhand. This Temple is dedicated to Lord Shiva.


चम्पावत स्थित मानेश्वर मंदिर ---
(by Bhupesh Joshi)

 यह स्थान टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राज मार्ग पर चम्पावत से 7 किमी पर लोहाघाट की ओर स्थित है।

 कूर्म नगरी की श्यामराज चोटी के समानान्तर स्थापित मानेश्वर शिव शक्तिपीठ में मानसरोवर की जल धारा है। अर्जुन ने गांडीव धनुष से बाण चलाकर धारा की उत्पत्ति की जो शिव के आदर में यहां शिवलिंग स्थापित किया। मान्यताओं के अनुसार शक्तिपीठ की कई चमत्कारी शक्तियां सदियों से लोगों के लिए आश्चर्य और श्रद्धा का केंद्र हैं। यहां हर साल एकादशी मेले में हजारों लोग पूजा-अर्चना करने आते हैं।
 स्कंद पुराण के मानस खंड में भी इस शिव शक्तिपीठ का उल्लेख है।
 'मानसेयेति विख्यातो मध्ये कूर्माचलस्य हि।
 पर्वतो मुनि शार्दूला विद्याधर निषेवित:।।
 शिखरे तस्य वै विप्रा मानसेशो हर: स्मृत:।
 सतु मुक्तिप्रदो विप्रा: सैव मुक्ति प्रद: स्मृत:।।'
 अर्थात कुर्माचल के मध्य में मानसेय पर्वत है। विद्याधरों से सेवित इस शिखर पर मानसेश्वर शिव धाम है। जो भोगप्रद व मोक्ष्य दायक है। भक्तों को शिव लोक का मार्ग बताते हैं। यहां से मानसरोवर की सीमा शुरू होती है। इस जल से स्नान करने पर मोक्ष मिलता है।

 कहा जाता है कि जब पांडव पुत्र माता कुंती के साथ अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र में भ्रमण आए तो आमलकी एकादशी पर राजा पांडु की श्राद्ध तिथि थी। माता कुंती का प्रण था कि वह श्राद्ध मानसरोवर के ही जल से करेगी। कुंती ने यह बात युधिष्ठिर को बताई तो उन्होंने अर्जुन से माता का प्रण पूरा करने को कहा। अर्जुन ने गांडीव धनुष से बाण मार कर यहां जल धारा पैदा की। इस जल से पांडु का श्राद्ध करने के बाद उन्होंने भगवान शिव का आभार प्रकट करने के लिए इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर उसका पूजन किया।

 जिस स्थान पर बाण मारा वहां जल की धारा निकली। उसे गुप्त नौली के नाम से जाना जाता है। और उसका जल यहां निर्मित एक बावड़ी में एकत्र होता है। इस जल से स्नान करने पर पुण्य लाभ के साथ ही कई रोग व विकार दूर होते हैं। शिवलिंग की पूजा से मनवांछित फल मिलता है। निसंतान दंपत्तियों की झोली इस दरबार में भर जाती है।

 पांडु पुत्रों द्वारा शिवलिंग की स्थापना के बाद आमलिका एकादशी को इस शक्तिपीठ की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां दूर-दूर से आए लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। चम्पावत-लोहाघाट के मध्य स्थापित इस धाम में खड़ी होली गायन का भी विशेष महत्व है। लोग वेदांती और भक्तिमय होलियों का गायन कर माहौल को भक्तिमय बना देते हैं। इस मौके पर यहां मेले का भी आयोजन होता है। जिसमें होली के अलावा बच्चों के लिए भी सूब सामान मिलते हैं।
 कैलास मानसरोवर यात्रा का भी रहा है पड़ाव
 चम्पावत : मानेश्वर धाम कैलास मानसरोवर यात्रा का भी मुख्य पड़ाव रहा है। 1962 से पूर्व जब यह यात्रा पैदल होती थी तो टनकपुर में शारदा नदी में स्नान के बाद यात्रियों का पहला पड़ाव चम्पावत ही था। यहां नगर में स्थापित बालेश्वर शिव धाम में पूजा के बाद यात्री मानेश्वर पहुंचते थे। दूसरे रोज लोहाघाट के ऋखेश्वर में पूजा अर्चना कर रामेश्वर में पूजा होती थी। अब यह यात्रा हल्द्वानी से होती है।
 राजा निर्भय चंद ने दिया भव्य स्वरूप

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राजा निर्भय चंद ने दिया भव्य स्वरूप

 चम्पावत : मानेश्वर में स्थापित शिवधाम को चंदवंशीय राजा निर्भय चंद ने भव्य स्वरूप दिया। उन्होंने आठवीं सदी में मंदिर का निर्माण कराने के साथ ही अखंड धूना स्थल भी बनाया। साथ ही गुप्त नौले के जल को एकत्र करने के लिए पक्की बावड़ी बनवाई। यहां धर्मशालाओं के साथ ही सौंदर्यीकरण के भी काम हुए। महंत रमनपुरी महराज मंदिर की व्यवस्थाएं देख रहे हैं।
 भक्तों को मिलती है आत्मिक शांति

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चम्पावत :

यह स्थल धार्मिक, एतिहासिक और नैसर्गिगता की त्रिवेणी है। यहां आने वाले भक्त को जहां आत्मिक शांति मिलती है, वहीं उसकी मनवांछित कामना भी पूरी होती है। बेहद शांत और नयनाभिराम पहाड़ियों से घिरे इस धाम के सामने जहां चम्पाघाटी का नजारा लोगों को अभिभूत करता है। वहीं कुर्म भगवान की तपस्थली क्रांतेश्वर पर्वत इसके ठीक सामने स्थित है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Flower, Maneshwar Temple Complex, Champawat

(geolocation.ws/)

 

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