अनोखी है हरियाली जात यात्रा Aug 22, 07:17 pm बताएं रुद्रप्रयाग, जागरण कार्यालय: प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां हरियाली देवी की कांठा यात्रा पूरे प्रदेश में अनोखी है। यात्रा में शामिल होने वाले को कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। इस यात्रा में महिलाओं का शामिल होना वर्जित है। इस यात्रा को पर्यटन मानचित्र पर अभी तक कोई स्थान नहीं मिल पाया है।
जिले के जसोली क्षेत्र में हरियाली देवी का पौराणिक मंदिर शंकराचार्य के समय से निर्मित होना बताया जाता है, जिससे मंदिर के साथ पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। साल भर मंदिर में कोई भी भक्त जा सकता है, पर उसे कडे़ नियमों का पालन करना पड़ता है। इसमें यात्रा करने से पूर्व एक माह तक उसे मांस, प्लाज, लहसुन का पूरी तरह त्याग करना पड़ता है। साथ ही नंगे पांव ही 16 किमी की यात्रा तय करनी पड़ती है। मंदिर में महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध है। यात्रा मुख्य रूप से धनतेरस पर होती है, पर भक्त जन्माष्टमी व रक्षाबंधन पर भी देवी मां के दर्शनों को जाते हैं। वहीं, जन्माष्टमी के अवसर पर जसोली हरियाली देवी मंदिर जहां से यात्रा शुरू होती है, यहां पर भव्य मेले का आयोजन होता है। हरियाली देवी मेला समिति के सचिव रघुवीर चौधरी व वरिष्ठ सदस्य महावीर चौधरी बताते हैं कि हरियाली देवी की यात्रा व मेला शंकराचार्य के समय से आयोजित हो रहा है। यात्रा नंगे पांव ही चलनी पड़ती है। यात्रा के दौरान देवी का दर्शन कर उसी दिन लौटना होता है। बताया जाता है कि देवी का ससुराल जसोली हरियाली देवी मंदिर है, जबकि मायका सिद्धपीठ हरियाली देवी कांठा में है। वर्ष में एक बार देवी भी अपने मायके धनतेरस के दिन जाती है। पहले पड़ाव कोदिमा गांव है, जबकि दूसरा पड़ाव बांसों है। वहीं, इस बार जन्माष्टमी के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन मंदिर समिति की ओर स किया जा रहा है। इसमें कई भक्त देवी मां के दिव्य दर्शनों के लिए कांठा यात्रा भी करेंगे।
मुख्य बिन्दु
-326 ईपूर्व हुआ था मंदिर का निर्माण
-बद्रीनाथ व केदारनाथ मंदिर के समय से देवी की यात्रा की परंपरा
-सोलह किमी लम्बी है यात्रा
'हरियाली मेला पूरे प्रदेश में अनौखी यात्रा है, लेकिन इसे पर्यटन के मानचित्र पर न आना दुखद बात है। इसके लिए सरकार को विशेष प्रयास करने चाहिए।
-वीरेंद्र सिंह, भरत बिष्ट, भरत रावत, विजय चौधरी, विजय निवासी जसोली
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6322795.html