जे माँ नंदा देवी भाग 03http://www.youtube.com/watch?v=2y251uMh17cगढ़वाल में हर देवी-देवताओं के पीछे एक कहानी छिपी है। ऐसे ही कहानी किस्सों में एक किस्सा नंदा देवी का भी है। गढ़वाल में एक गांव है, जो देवीखेत कस्बे के नज़दीक पड़ता है। इस गांव में नेगी जाति के लोग रहते हैं। कहते हैं, सदियों पहले इनके पूर्वज राजस्थान से आकर इस गांव में बस गए थे।
यहां भी पूरा गढ़वाल 52 गढों में बंटा था। इनके पूर्वज बड़े शूरवीर थे और यह गांव उन्हें उनकी शूरवीरता के लिए इनाम में मिला था।नंदा नाम की बालिका इसी गांव की एक सुंदर, सुशील होनहार लड़की थी। एक मुहावरा है, 'होनहार बिरवान के होत चिकने पात'।
यह लड़की गांव की अन्य लड़कियों से बिल्कुल अलग थी। बच्चों से प्यार करना, बड़े- बूढ़ों का आदर करना, असमर्थ अपाहिजों की मदद करना, अपने मुस्कराते चेहरे और मधुर व्यवहार से वह पूरे गांव के छोटे-बड़े सबका दिल जीत चुकी थी। सब लोग उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते थे।
गांववालों को विश्वास था कि एक दिन इस लड़की को लेने के लिए एक बहुत अच्छा लड़का आएगा और डोली में बिठाकर ले जाएगा। उस जमाने में आवागनम के साधन नहीं थे। लोग दूर-दूर तक पैदल ही सफर करते थे। शादी-विवाह भी दूर-दूर के गांवों में होते थे।
इस लड़की के लिए भी एक रिश्ता दूर के गांव से आया था। लड़का ठीक गांव के लोगों के सपनों के राजकुमार जैसा ही था।चौड़ा माथा, गोल खूबसूरत सा चेहरा, मजबूत कंधे, चमकदार आंखें, सुशील और नर्म स्वभाव। कहने का मतलब दोनों की जोड़ी बेमिशाल थी। शादी होते ही डोली सजाई गई। भरे दिल से उसे डोली में बिठाया गया। गाजे बाजों के साथ बारात ने प्रस्थान किया।
बराती गाजे बाजे सहित सब मिलाकर 120 आदमी थे। बारात चल पड़ी और नदी, जंगल, घाटियां पार करते हुए अब एक ऊंचे पर्वत की कठिन चढ़ाई पार करनी बाकी थी, इसके बाद ढलान आ जाता।खैर, डोली को बड़ी सावधानी से ले जाते हुए पहाड़ की चोटी पर बारात पहुंची। बराती काफी थक चुके थे,
इसलिए डोली वालों ने डोली नीचे रखी और सारे बाराती विश्राम करने लगे। अभी इन लोगों की थकान भी नहीं उतरी थी, कि अचानक ज़ोर की आंधी चली और फिर बर्फ पड़नी शुरू हो गई। इतने ज़ोर से बर्फ पड़नी शुरू हुई कि बारातियों को संभलने का अवसर ही नहीं मिला और सारे बराती उस बर्फ में दब कर मर गए।
कोई नहीं बचा।कहते हैं वहां जितने लोग बर्फ में दबे थे, उतने ही पेड़ उग आए हैं। लड़की की आत्मा वापस अपने मां के घर लौट आई।
उसी की याद में पूरे गांव वालों ने नंदा देवी के नाम से गांव में एक मंदिर बनवाया है। पूरे गांव वाले बड़ी श्रद्दा से नंदा देवी की पूजा करते हैं और 20-25 सालों में एक बड़ी पूजा करवाते हैं, जिसमें नंदा नेगी के तमाम नाते-रिश्तेदारों तथा गांव की तमाम लड़कियों को बुलाया जाता है।