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Piran Kaliyar - एकता का प्रतीक: पिरान कलियर

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Risky Pathak:
Bhot Badiya pankaj Jee.... Mujhe bhi is sthaan ke baare me pta nahi tha...

पंकज सिंह महर:
सूफी संतों की शान में गाई जा रही कव्वाली, रंग-बिरंगी कशीदाकारी से झिलमिलाती चादरें, लाल गुलाब की पंखुड़ियाँ और दुआ के लिए उठते हजारों हाथ.  ये दृश्य शायद किसी भी दरगाह का हो सकता है लेकिन फर्क ये है कि हरिद्वार के पास कलियर शरीफ़ में दुआ माँगने वालों में सिर्फ़ अल्लाह के बंदे ही नहीं बल्कि राम की पूजा करने वाले और वाहे गुरू का नाम जपने वाले भी होते हैं.

      कलियर शरीफ़ का इतिहास लगभग 850 साल पुराना है. महान सूफी संत बाबा फ़रीदुद्दीन गंजशंकरी ने अपने भांजे मख़दून अली अहमद को आदेश दिया था कि वो कलियर जाकर लोगों की ख़िदमत करें.  कहा जाता है कि अली अहमद ने लगातार 12 साल तक लंगर पकाया और लोगों को खिलाया लेकिन ख़ुद उसमें से कुछ भी नहीं खाया. उनकी इस सेवा से प्रभावित होकर बाबा फ़रीद ने उन्हें साबिर (सब्र करने वाला) नाम दिया.  यहाँ के एक सूफ़ी संत मंज़र एजाज़ के अनुसार, "साबिर साहब बहुत बड़े सूफी संत थे. इनकी बड़ी करामातें हैं. लोगों की मन्नतें यहाँ आकर पूरी हो जाती हैं.”   कोई यहाँ अपनी फ़रियाद लेकर आता है तो कोई शुक्रिया अदा करने. अमृतसर से परिवार के साथ आए, सिर पर टोपी पहने रवींद्र कुमार बताते हैं, "कुछ समय पहले हमने अपने बेटे की नौकरी लग जाने की मन्नत मांगी थी और उसकी नौकरी लग गई इसलिए हम यहाँ चादर चढ़ाने आए हैं.”

पंकज सिंह महर:
पिरान कलियर उर्स

भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुड़की शहर में पिरान कलियर उर्स का आयोजन होता है। मेले का आयोजन रूडकी के समीप ऊपरी गंग नहर के किनारे जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिरान कलियर गांव में होता है। इस स्थान पर हजरत मखदूम अलाउदीन अहमद ‘‘साबरी‘‘ की दरगाह है। यह स्थान हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एकता का सूत्र है। यहां पर हिन्दु व मुसलमान मन्नते मांगते है व चादरे चढाते है। मेले स्थल पर दरगाह कमेटी द्वारा देश/विदेश से आने वाले जायरिनों/श्रद्वालुओं के लिये आवास की उचित व्यवस्था है।दरगाह के बाहर खाने पीने की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध है।

यहां पर गढवाल मण्डल विकास निगम द्वारा संचालित पर्यटन आवासगृह उपलब्ध है जिसके आवास एवं खान-पान की व्यवस्था उपलब्ध है। डाकखाना ,पुलिस चौकी, दूरसंचार विभाग के पी0सी0ओ0 कार्यरत है पीने का पानी की व्यवस्था दरगाह कमेटी द्वारा की जाती है मेले के समय हैण्ड पम्पों की व्यवस्था एवं शौचालय आदि का सुविधा उपलब्ध है स्थानीय स्तर पर मेटाडोर द्वारा यातायात की सुविधा उपलब्ध है। रवीउल अब्बल, चाँद के अनुसार मेले के आयोजन की तिथि तय की जाती है एवं मेला एक माह तक चलता है ।

परंपरा
यहां पर प्रत्येक वर्ष उर्स का आयोजन होता है। उर्स की परम्परा सात सौ वर्षो से भी अधिक पुरानी है। इस अवसर पर यहां लाखों की संख्या में जायरीन (श्रद्धालु) देश व विदेश से आते है। पारम्पारिक सूफीयाना कलाम व कव्वालियां उर्स के समय यहां पर विशेष आकर्षण होता है । उत्तराखण्ड पर्यटन द्वारा वार्षिक उर्स मेले के आयोजन हेतु विगत वर्ष रू0 3.25 लाख की अनुदान धनराशि भी उपलब्ध कराई गई थी।

पिरान कलियर जिला मुख्यालय हरिद्वार से 25 किमी की दूरी पर स्थित है तथा बस, टैक्सी तथा अन्य स्थानीय यातायात की सुविधायें उपलब्ध है ।

निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार 25 किमी0, रूडकी 8 किमी0
निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट 66 किमी0

साभार- विकीपीडिया

पंकज सिंह महर:

पंकज सिंह महर:


Here's a full shot of the shrine, which as you can see has elaborate enamel work decorating the sides.  The part in the foreground is antechamber, and the back half is the location of the tomb itself.  The people gathered outside are like petitioners coming to court, except this is the court of a saint, rather than a king.

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