Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां
पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड ,Purnagiri Temple Uttarakhand
Devbhoomi,Uttarakhand:
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यह मेला चम्पावत जनपद के पूर्णागिरी पर्वत पर लगता है। पूर्णागिरी पर्वत लगभग 10,055 फीट ऊंचा है। यहां की देवी को अन्नपूर्णा पूर्णागिरी माता कहा जाता है। यहां प्रतिवर्ष चैत्र की नवरात्रि में मेला लगता है
जिसमें दूर-दूर से भक्तजन आते है। पूर्णागिरी जाने के लिये टनकपुर रेलवे स्टेशन जाना पड़ता है। टनकपुर से लगभग 20 कि0मी0 दूरी पर पूर्णागिरी मन्दिर है। मन्दिर के लिये पहाड़ से रास्ता पैदल ही तय करना पड़ता है
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देवी व उनके भक्तों के बीच एक अलिखित अनुबंध की साक्षी ये रंगबिरंगी लाल-पीली चीरें आस्था की महिमा का बखान करती हैं। मनोकामना पूरी होने पर फिर मंदिर के दर्शन व आभार प्रकट करने और चीर की गांठ खोलने आने की मान्यता भी है।
टनकपुर से टुण्यास व मंदिर तक रास्ते भर सौर ऊर्जा से जगमगाती टयूबलाइटें, सजी-धजी दुकानें, स्टीरियो पर गूंजते भक्तिगीत, मार्ग में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, देवी के छंद गाती गुजरती स्त्रियों के समूह सभी कुछ जंगल में मंगल सा अनोखा दृश्य उपस्थित करते हैं।
रात हो या दिन चौबीस घंटे मंदिर में लंबी कतारें लगी रहती हैं। मस्तक पर लाल चूनर बांध या कलाई में लपेटे भूख-प्यास की चिंता किए बिना जोर-जोर से जयकारे लगाते लोगों की श्रध्दा व आध्यात्मिक अनुशासन की अद्भुत मिसाल यहां बस देखते ही बनती है।
Devbhoomi,Uttarakhand:
चारों ओर बिखरा प्राकृतिक सौंदर्य ऊंची चोटी पर अनादि काल से स्थित माता पूर्णागिरि का मंदिर व वहां के रमणीक दृश्य तो स्वर्ग की मधुर कल्पना को ही साकार कर देते हैं।
नीले आकाश को छूती शिवालिक पर्वत मालाएं, धरती में धंसी गहरी घाटियां, शारदा घाटी में मां के चरणों का प्रक्षालन करती कल-कल निनाद करती पतित पावनी सरयू, मंद गति से बहता समीर, धवल आसमान, वृक्षों की लंबी कतारें, पक्षियों का कलरव-सभी कुछ अपनी ओर आकर्षित किए बिना नहीं रहते।
चैत्र व शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही लंबे-लंबे बांसों पर लगी लाल पताकाएं हाथों में लिए सजे-धजे देवी के डोले व चिमटा, खड़ताल मजीरा, ढोलक बजाते लोगों की भीड़ से भरी मिनी रथ-यात्राएं देखते ही बनती हैं।
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