दस अखाड़ों ने ठुकराया महामंडलेश्वर नगर
महामंडलेश्वर नगर बसाने को कछुआ गति से चल रहे कार्यो को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और दस अखाड़ों के श्री महंतों का पारा मंगलवार को सातवें आसमान पर पहुंच गया। चंडीघाट पुल के नीचे अचानक दसों अखाड़ों के श्री महंत धरने पर बैठ गए। संतों के धरने पर बैठने की खबर से हड़कंप मच गया।
मेला प्रशासन की ओर से उप मेलाधिकारी मौके पर पहुंचे। यहीं पर उनके सामने श्री महंतों ने महामंडलेश्वर की व्यवस्था से नाखुश होकर महामंडलेश्वर नगर के लिए मेला प्रशासन की ओर से आवंटित जमीन को ठुकरा दिया। श्री महंतों ने अब अखाड़ों के समीप जमीन मांगी है, जो मेला प्रशासन के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर सकती है।
चंडीघाट पुल के नीचे बसने वाले महामंडलेश्वर नगर को लेकर संतों का धैर्य आज जवाब दे गया।
मंगलवार की शाम अचानक अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री और जूना अखाड़े के श्री महंत श्री हरि गिरी महाराज, महानिर्वाणी के श्री महंत रविन्द्र पुरी, उदासीन अखाड़े के श्री महंत राजेन्द्र दास, निरंजनी अखाड़े के श्री महंत त्रियंबक भारती, आह्वान अखाड़े के श्री महंत शिव शंकर गिरी, अग्नि के श्री महंत गोविंदानंद ब्रह्मचारी और अच्युतानंद ब्रह्मचारी सहित दस अखाड़ों के श्री महंत चंडीघाट पुल के नीचे पहुंचे और मेला प्रशासन से नाराज होकर धरने पर बैठ गए। मेला प्रशासन की ओर से तत्काल उप मेलाधिकारी हरबीर सिंह मौके पर पहुंचे।
श्री महंतों का गुस्सा उन पर फूट पड़ा। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री हरि गिरी महाराज ने कहा कि पन्द्रह दिसंबर तक महामंडलेश्वर नगर बस जाना चाहिए था, लेकिन यहां तो अभी केवल 20 प्रतिशत ही कार्य हुआ है।
बिजली, पानी तक की व्यवस्था नहीं हुई है। समतलीकरण तक नहीं कराया गया है। जिस जगह महामंडलेश्वर नगर बसना है, वहां पर अब भी खैर के पेड़ खड़े हैं। दसों अखाड़ों के नाराज श्री महंतों ने उप मेलाधिकारी हरबीर सिंह की मौजूदगी में महामंडलेश्वर नगर की जमीन को मेला प्रशासन से लेने से इंकार कर दिया।
श्री महंतों ने नाराजगी जताई कि महामंडलेश्वर नगर की प्रगति को लेकर शासन, प्रशासन और मेलाधिकारी को महीनों पहले अवगत कराया जा चुका था। इसके बावजूद महामंडलेश्वर नगर के कार्यो पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि शासन, प्रशासन और मेला प्रशासन कुंभ मेला को सकुशल निपटाने में कतई सहयोग नहीं करना चाहता।