Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

RELIGIOUS ASSOCIATION उत्तराखंड की प्रमुख धार्मिक संस्थाएं एवं धार्मिक विभूतियाँ

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Devbhoomi,Uttarakhand:
६-अखिल भारतीय संत समिति हरिद्वार
प्रमुख संत महंतों द्बारा गोरक्षा धर्म रक्षा हेतु इस समिति का गठन किया गया है!

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७-श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति

इस समिति का कार्य मंदिर मैं पूजा -अर्चना,श्रृंगार,आरती,प्रसाद आदि ब्य्वास्थाएं करना तथा दर्सनार्थियों की सुविधा ब्यवस्था बनाना है !

मंदिर समिति के पूर्णकालिक अध्यक्ष राज्य सरकार द्वारा नामित होते हैं,जबकि मुख्य पुजारी दक्षिण के नम्बूदरी ब्राहमण होते हैं !

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8-धार्मिक व सामाजिक संगठन

मां पार्वती का साक्षात रूप मानी जाने वाली देविका की उपेक्षा करने वालों की फेहरिस्त में राजनीतिज्ञों के बाद इलाके के सामाजिक व धार्मिक संगठन का नंबर आता है। कहने को तो इलाके में दर्जनों सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं हैं। परंतु यदि देविका से जुड़ी दो संस्थाओं की बात छोड़ दें तो अन्य किसी संस्था ने आज तक देविका के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया।

धर्म और समाज की दुहाई देने वाली यह हिंदूवादी व धार्मिक सगठनों ने भी आज तक पावन देविका को बचाने के लिए आवाज तक नहीं उठायी है।

चनैनी में सहस्त्रधारा नामक स्थान से प्रकट हुई पावन देविका उत्तरवाहिनी नामक स्थान से कुछ आगे जाकर बसंतर नदी में विलुप्त हो जाती है। पूरी तरह से डुग्गर प्रदेश में बहने के कारण इतिहास के पन्नों में इसे डुग्गर की गंगा का नाम भी दिया है।

इस पौराणिक व पवित्र नदी के प्रति लोगों ने जिस प्रकार का उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रखा है। उससे न सिर्फ इसका अनादर हो रहा है, बल्कि इससे मोक्ष दायिनी नदी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ चुका है। राजनीतिज्ञों के बाद इस पवित्र नदी की दुर्दशा के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार इलाके की धार्मिक व समाज सेवी संस्थाएं है।

 धर्म व समाज के उत्थान की बड़ी बड़ी बातें करने वाले इन संगठनों की जुबान देविका को बचाने के लिए आज तक हलक से बाहर नहीं आई। जहां लाभ हो वहां छोटी सी बात का बतंगड़ बनाने वाली संस्थाओं को देविका का अपमान होता आखिर क्यों नजर नहीं आता। शायद इसलिए क्योंकि देविका को बचाने की आवाज उठाने से उनको कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा।

पर्यावरण पर काम करने वाले कई संस्थाओं को भी आज तक देविका में फैला प्रदूषण नजर नहीं आया। इन धार्मिक और समाज सेवी संस्था का एक मात्र एजेंडा धर्म व समाज सेवा के नाम पर अपना स्वार्थ सिद्ध करना भर रह गया है।

 चंद एक धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं की बात छोड़ दी जाए तो सभी संस्थाओं का ध्यान जनमानस के कल्याण से ज्यादा अपने कल्याण की ओर है।

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इलाके में दर्जनों पंजीकृत व गैर पंजीकृत सामाजिक संगठन हैं। हिंदू धर्म व संस्कृति की रक्षा करने के दम भरने वाली हिंदूवादी और धार्मिक संस्थाओं की भी कमी नहीं है, लेकिन इनमें से शायद ही किसी ने कभी देविका को अपवित्र या प्रदूषित से बचाने के लिए कुछ करने या लोगों को जागरूक करने की जहमत उठाई हो।

देविका को बचाने के लिए यदि कुछ थोड़ा बहुत प्रयास किया तो, वह देविका के नाम से जुड़ी दो संस्थाओं ने। सभी लोगों की तरह धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारी देविका के पावन व पौराणिक महत्व को भली भांति जानते है, लेकिन इसकी स्वच्छता व पवित्रता बरकरार रखने के लिए जमीनी स्तर पर कुछ करने को आज तक आगे नहीं आई है।


इलाका वासियों को देविका को दूषित व अपवित्र न करने के लिए प्रेरित व जागरूक करने में धार्मिक व सामाजिक संस्थाएं अहम भूमिकाएं निभा सकती है। इसलिए इन संस्थाओं को लोगों को देविका को दूषित व अपवित्र न करने के लिए प्रेरित करने की पहल करनी होगी। उनकी यह पहल देविका को बचाने लिए एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगा।

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९-मंदिर समिति गंगोत्री

इस समिति का कार्य गंगोत्री मंदिर मैं दरसन,पूजा,आरती तथा दर्सानार्थियों के लिए ब्यवस्था करना है!

१०-मंदिर समिति यमनोत्री

इस समिति के पदेन अध्यक्ष उप जिलाधिकारी बड़कोट होते हैं!यह समिति मंदिर के समस्त ब्य्वाथाएं करती है !

 ११-स्वामी राम्किर्ष्ण मिशन

यहाँ मिशन हरिद्वार ऋषिकेश व देहरादून मैं कार्यरत है !

१२-स्वामी चिन्यन मिशन - इसका मुख्यालय उत्तरकाशी मैं है ! तथा  इसकी शाखाएं हरिद्वार ऋषिकेश और देहरादून मैं हैं !

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