Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

Sameshwar Temples in Uttarkashi- समेश्वर देवता के मंदिर, उत्तरकाशी, उत्तराखंड

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:



Photo - http://www.meriyatrra.com

where eagles dare:
bahut bahut shukriya mehta jee itna sundar vivran post karne ke liye...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

समेश्वर देव की प्राचीन कथा के स्थानीय बुजुर्ग सुनते है ! सर्व प्रथम समेश्वर देव का आगमन कश्मीर क्षेत्र से हनोल तक हुवा है ! हनोल में उन दिनों एक राक्षस का आतंक था! सद्कुडिया वीर को इस राक्षस का वध करने की शिफ्ट समेश्वर देव द्वारा ही प्रदान की गयी !

वारिश न होने पर समेश्वर देव की पूजा अर्चना की जाती है और वहां वरिश हो जाती है ! ! निकट में ही नेटवाड में स्थित पाखू दविता के मंदिर को इस कथानक से जोड़ा जाता है की पाखू वह राक्षस है जिसे समेश्वर देव की शकित से ही मारा गया !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
पूजा पद्धति समेश्वर मंदिर (कोटगाव) में पूजा का समय दोपहर १ बजे का नियत है! पूजा उपरांत मंदिर के पुजारी स्वयं के निर्मित हाथो का भोजन करते है ! मंदिर के पुजारी बिल्जवांण / रावत का भी इस मंदिर के साथ रोचक इतिहास जुड़ा हुवा है ! किवदंती है सर्व प्रथम बिल्जवांण जाती के पूर्व दूणी (फतेह्पर्वत, मोरी विकास खंड, उत्तरकाशी) में आये ! वहां से आखेट खेलते वे जंगल में चले गए ! जब वे घर लौटे तो उनकी आँखों की ज्योती क्षीण हो गयी और जब को कोट गाव की तरफ आते उनके आँखे ठीक हो जाती और जब वे फतेह्पर्वत की और चले जाते थे तो उनके उनके आँखे बन्ध हो जाती थी ! इस तरह कोट गाव क्षेत्र की और चलते-२ वे राला गाव की और पहुचे जहाँ समेश्वर की मूर्ती भी थी गाव वालो द्वार तब उनके कहा गया था की आप ही इस देवता के पुजारी आप ही बनगे ! 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

समेश्वर देव के साथ इस क्षेत्र की परी आंछारी भी साथ-२ बताई जाती है! विनासु में आंछारी मंदिर है ! जिस पहाड़ पर यह मंदिर है उस पहाड़ पर भारत के मानचित्र सदर्श आक्रति यहाँ के स्थानीय निवास करते है !

आंछारी मंदिर में संतानहीन महिलाए व् अन्य लोग जाते है ! समेश्वर देव के जिन जिन गावो में मंदिर स्थापित है वहां अन्य देवता के मंदिर स्थापित नहीं है ! मात्र कोट गाव में ही समेश्वर मंदिर के पास  लव कुश का मंदिर स्थापित है ! जिसकी इस क्षेत्र में मान्यता है !

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