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भगवान मूल नारायण का निवास स्थान बना शिखर - इस यात्रा का अन्तिंम पड़ाव______________________________________________
भगवान मूल नारायण तब जारती (लोती) से आगे चलते है और एक सुंदर जगह शिखर मे अपनी बुवा नंदा देवी के साथ इस अन्त्यंत रमणीय स्थल पर पहुचते है, जहाँ पर भगवान मूल नारायण का निवास स्थान बन जाता है!
कथावो मे हमने सुना है कि जब नंदा देवी उन्हें अपने पीठ पर और कभी डोली मे शिखर कि ओर ले जा रही थी ! तो मौना बालक यानी मूल नारायण जी शिखर कि चदाई मे उनको अपनी पीठ पर यह बालक भरी लगने लगे, तब नंदा देवी सोचने लगी कि आखिर यह बालक यो वह इतनी दूर से अपनी पीठ पर लाई परन्तु अचानक उनको यह बालक भारी क्यो लगने लगा! इससे यह स्पष्ट था कि मौना बालक को यह जगह पसंद आने लगी थी ! जब नन्द देवी शिखर की चदाई मे चल रहे थे तो बालक ने पानी के मांग किया! तो नंदा देवी ने अपने छड़ी से घरती पर छेद किया तो वहाँ से पानी आने लगा, यह जगह अभी वहाँ है और इस सूखे जगह से पानी आता है !
आख़िर मे नंदा देवी शिखर मे पहुचती है ! नंदा देवी तो मौना बालक को अपने साथ हिमालय मे जाना चाहती थी लेकिन बालक मौना ने सोचा की वह हिमालय मे बर्फ से घिरे हुवे जगह मे करेगा क्या ! तो मूल नारायण भगवान् ने यहाँ पर अवतार ले लिया और कई चमत्कार दिखाए . एक और जोड़.
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सुनपति सौका (व्यपारी) के बकरियों के कर्वचो का पत्थर बनना.
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इस जगह पर दूर हिमालय (भूटान) तरफ़ से लोग पहले व्यापार के लिए आया करते थे ! इस जगह पर खासतौर से उनका पड़ाव हुवा करता था! जब मूल नारायण जी यह पहुचते है, वहाँ पर जो सौका के बकरियों
जब मूल नारायण भगवान् ने देखा की सौका के बकरियों का कर्वाच वहाँ पर पड़े है, उन्होंने ने इनको पत्थर मे बदल दिया ! क्योकि भगवान् ने इस सौका को अपने अवतार होने का सपना पहले ही उसे दे दिया था परन्तु सौका ने इसे वहाँ से हटाया नही ! जिससे सौका कारण सौका का मानसिक संतुलन भी ख़राब हो गया! सौका की बेटी ने मूल नारायण जी के यहाँ पर दर्शन किए और उनसे प्राथना की उसके पिता का मानसिक संतुलन ठीक कर दे ! तब भगवान् ने आकाशवाणी द्वारा सौका से कहा की अब यहाँ पर उनका अवतार हो चुका है इसी लिए वो यहाँ से कही और चले जाय! और सौका ने यही किया तब उसका पागलपन भी दूर हो गया !
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भगवान् मूल नारायण जी का नंदा देवी से पानी के मांग करना
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शिखर जैसे ऊँचे जगह पर पानी मिलना काफी मुश्किल था लेकिन बालक मौना को पानी पिलाना भी जरुरी था! तब नंदा देवी मूल नारायण जी से कहती है कि इस जगह पर पानी कहाँ मिलेगा, मूल नारायण जी एक फल गिराते है और अपनी बुवा नंदा देवी से कहते है जहाँ पर यह फल रुकेगा, वहाँ पर उन्हें पानी मिलेगा ! यह फल गिरते -२ बिगर (गुफा का नाम) वहाँ जा कर रुकता है!