नौलिंग मन्दिर शनिगाड़
शनिगाड़ का नौलिंग मन्दिर शिखर से अधिक दूर नहीं है। मूल नारायण के दो पुत्र माने गये हैं, नौलिंग और बजैण। जिनके नाम पर एक मन्दिर शनिगाड़ और दूसरा भनार में है। पुत्रों के नाम पर बने यह मन्दिर शिखर मंदिर के नीचे भुजाओं की भांति हैं। लोक मान्यताओं के अनुसार नारायण के एक पुत्र ने शनिगाड़ में एक दुर्दान्त राक्षस का वध किया था, जिसके बाद यह स्थान प्रसिद्ध हो गया। प्राचीन समय में यहां पर एक नौला था, जिसमें से पाषाण लिंग स्वयं उत्पन्न हुआ था, इसी को नौल-लिंग के नाम से सम्बोधित कर पूजा की जाने लगी। कालान्तर में वही नाम नौलिंग हो गया।
मूल नारायण के दूसरे पुत्र का जन्म बांज के पेड़ के कोटर में माना गया है, इसलिये उसका नाम बजैण पड़ा। यह मंदिर भनार नामक गांव में स्थित है। यह मंदिर भनार (भण्डार गृह) की आकृति में गुफा के अन्दर बना है।
चैत्र व आश्विन माह के नवरात्रों में नवमी को नौलिंग में बहुत बड़ा मेला लगता है। जो लोग मूल नारायण के दर्शन के लिये शिखर जाते हैं, प्रायः वह सभी शनिगाड़ में भी नौलिंग औए भनार के मंदिरों के दर्शन अवश्य करते हैं। नौलिंग मन्दिर ्में वर्ष भर श्रद्धालुओं का आगमन होता है और यहां पर भक्तजन सत्यनारायण की कथा करवाते हैं।