Author Topic: Some Exclusive Facts of Nanda Raj Jat-नंदा राज जात के कुछ तथ्य  (Read 21401 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Some Important Facts of Nanda Raj Jaat.


दोस्तों,

नंदा देवी उत्तराखंड इस ईष्ट देवी है! उत्तराखंड के घर घर में नंदा देवी की पूजा होती है! वैसे हर साल नंदा देवी के छोटे -२ मेले जगह जगह पर लगते है पर नंदा राज जात १२ साल में एक बार आता है जो के विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा है!
 
 नंदा राज जात के बारे में यहाँ पर कुछ संशिप्त  यहाँ पर पोस्ट करंगे जैसे कि:
 
              -   Nanda Raj Jat Words' biggest Religious Journey. 
             -   नंदा राज जात का आयोजन हर १२ साल में एक बार होता है!
              -    चमोली जिले की अलकनंदा घाटी का क्षेत्र और रुद्रपयाग की मन्दाकिनी घाटी का क्षेत्र "काली कहलाता है !
              -    नंदा देवी का मायका - नौटी है !
              -    नंदा राज जात यात्रा २८० किलोमीटर है जो की पैदल यात्रा है !
 
Regards,

 एम् एस मेहता   
 
 
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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१.  नौटी (चमोली) में नंदा देवी मंदिर (सिध्पीठ) 
 
२.  कासुआ कुवरो का एक गाव है! परम्परा के अनुसार यहाँ के कुवर राज जात के मुख्या व्यवस्थापक है! यात्रा के पूर्व संध्या पर इस इसी गाव से राज छंतोली और चौसिग्या मैडा नौटी (नौटी की सीधी पीठ) पर लाये जाते है! इसलिए इसीलिए कुछ लोग राज जात की शुरुवात कासुआ से भी मानते है !
 
३. नंदा राज जात यात्रा एक और जहां नौटी से शुरू होती है वही दूसरी और कुरुड नंदा देवी मंदिर से भी दशोली और बधाण की डोलिया अलग-२ मार्गो से राज जात के लिए निकलती है ! नन्द केसरी में इनका मिलन होता है!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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४) नन्दा देवी का मुह्बोला भाई  - लाटू है!

५) राज राज जात में शामिल होने वाला बकरी जिसके चार सींग होते है उसे चौसिंग्या कहते है !

६)  नंदा देवी की स्वर्ण मूर्तिया ६ महीने के लिए कुरुड़ और बधाण में रखी जाते है!


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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८) कासुवा से आगे महादेव घाटी पर परम्परागत नौटियालो द्वारा राज छंतोली कोटि के डोडियु को हस्तांरित की जाती है !

९)   चांदपुरी गढ़ी - (आदि बद्री के निकट) तत्काकीन नरेशो द्वारा स्थापित राज राजेश्वरी मंदिर

(some part of information taken from Hema Uniyal' Book on Garhwal Temple - Kedarkhand).

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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१०) बनातोली - में घड्याल मंदिर

११)  सिमतोली धार-  यहाँ से देवी आंखिर बार अपने मायके नौटी को देखते है और लौट लौट कर वापस आना चाहती है!


१२)  दिलखणी धार-  यहाँ से देवी की सुसराल त्रिशूली पर नगर पडती है! वह ससुराल जाने के आना काना करती है ! इस परम्परा का निर्वाह करती है!

Reference - Kedarkhand Book, By Hema Uniyal

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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१३) कोटी -  (१२० परिवारों का गाव कोटी, ड्युटी लोगो का मुख्य गाव है! ये राजछ्तोली को मादेव घात से कैलाश पहुचाते है! कोटी एव बंगोली में लातु देव की स्थापना !

१४)  भगोती गाव ( देवी के मायके का अंतिम गाव, उसके बाद क्योरे गधेरे के पार देवी का ससुराल क्षेत्र लग जाता है)

१५)   क्योर गधेरा (क्योर गधेरे पर एक पुल है जिसे पार देव का  ससुराल क्षेत्र! यहाँ पर देवी नंदा को मना बुझाकर ससुराल भेजे जाने के परम्परा निर्वाह किया जाता है!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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१६) कुलसारी - देवी के ससुराल क्षेत्र का पहला गाव यहाँ पर नंदा काली के रूप में है, भूमि में गड़े काली यन्त्र को यहाँ पूजने की परम्परा है!

१७) चेपड्यू - (राज जात में सम्मलित कुरूद और नौती को देविया रात को एक ही गाव में रहने के दौरान पारंपरिक रूप से नहीं मिलते है! पारंपरिक देवी मिलन नन्द केसरी में होता है)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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18)  21 जगह पड़ाव डालने के बाद यह यात्रा हिमालय के हिमाच्छादित पर्वत की जड़ पर स्थित नंदीकुंड मंेे संपन्न होती है। नंदा देवी को पार्वती का रूप माना जाता है। उन्हें शिव के पास कैलाश पर्वत तक विदा करने के लिए यह यात्रा उत्सव के रूप में मनाई जाती है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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१९) नन्द केसरी -   संन २००० राज जात में ७५ वर्षो के बाद कुमाऊ की छतोलियाँ राज जात में सम्मलित हुयी और यह पड़ाव था नन्द केसरी! नन्द केसरी से आगे एक्मंदिर एवंम कुंज की हरी भरी झाडी है !

२०) मदोली में सिथित मंदिर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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२२) ल्वाजंग -  (नंदा देवी से कुड़ी कथाओ में ल्वाजंग का लोहासुर दैत्य के वध स्थल के रूप में उल्लेख किया जाता है !

२३)   वांण गाव- (लाटू देवता स्थान, अंतिम रिहायशी गाव, उसके बाद अब कही किसी छतोली का मिलन नहीं होता है! वाण के लाटू को विशेष दर्जा प्राप्त है! वाण से जात की अगुवाई करता है !

 

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