Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

Spiritual Places of Uttarakhand - विभिन्न स्थानों से जुड़ी धार्मिक मान्यतायें

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Devbhoomi,Uttarakhand:
मदमेस्वर मंदिर

चौखम्बा शिखर की तलहटी में 3,289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मदमहेश्वर मंदिर में भगवान् शिव की पूजा-अर्चना नाभि लिंगम के रूप में की जाती है। उत्तर भारतीय वास्तुकला शैली में निर्मित इस मंदिर के आसपास प्राकृतिक सुषमा दर्शनीय है। पौराणिक कथा के अनुसार नैसर्गिक सुंदरता के कारण ही शिव.पार्वती ने मधुचंद्र रात्रि (सुहागरात) यहीं मनाई थी।

प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां का जल इतना पवित्र है कि इसकी कुछ बूंदें ही ‘मोक्ष प्राप्ति’ के लिए पर्याप्त मानी जाती हैं। मंदिर से केदारनाथ और नीलकंठ की पर्वत श्रेणियां दिखाई देती हैं।

मदमहेश्वर जाने के लिए एक रास्ता गोंडार से खड़ी चढ़ाई का है और दूसरा रास्ता मनसूना (ऊखीमठ के पास) से भी गुजरता है।

Devbhoomi,Uttarakhand:
                 रुद्रनाथ मंदिर में मिला था नारद को संगीत ज्ञान



रुद्रप्रयाग। जिला मुख्यालय के अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम पर स्थित प्राचीन रुद्रनाथ मंदिर धार्मिक दृष्टि से अपना विशिष्ट महत्व रखता है। भगवान शिव की स्थली होने के साथ ही यह देव ऋषि नारद के सौ वर्षो तक तपस्या का गवाह स्थल भी है। यहीं पर भगवान शिव ने संगीत ज्ञान के बाद नारद को वीणा प्रदान की थी।अलकनंदा व मंदाकिनी के संगम स्थल रुद्रप्रयाग को स्कंद पुराण के केदारखंड में पांच मुख्य स्थान माया क्षेत्र हरिद्वार, कुब्जा क्षेत्र ऋषिकेश, देव क्षेत्र देवप्रयाग, श्री क्षेत्र श्रीनगर में से प्रमुख स्थान दिया गया है। यहां संगम स्थल पर स्थिति रुद्रनाथ मंदिर कई पौराणिक मान्यताओं को समेटे हुए हैं। केदारखंड में लिखा गया है कि भगवान शिव ने माता पर्वती के सती हो जाने पर विरह में वर्षो तक स्तुति की थी और यहां पर उनके अंश्रू भी गिरे, जिससे इसका नाम रुद्र पड़ा तथा प्रयाग जुड़ने से रुद्रप्रयाग हो गया।

 वहीं रुद्रनाथ मंदिर देवर्षि नारद की संगीत शिक्षा का गवाह भी है। यहां पर सौ वर्षो तक भगवान नारद ने शिव की तपस्या की थी, जिसके बाद शिव ने यहां पर उन्हें दर्शन दिए। नारद ने संगीत सीखने का वर मांगा जिस पर शिव ने उन्हें पूरा संगीत ज्ञान प्रदान किया और खुश होकर वरदान के रुप में महति नामक वीणा प्रदान की थी। आज भी संगम स्थल पर नारद शिला स्थित है।

 श्रावण मास में यहां पर रोजना भक्तों की भीड़ लगी रहती है। आज भी प्रतिदिन लोग भारी संख्या में रुद्रनाथ मंदिर में जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कहा जाता है कि यहां पर श्रावण मास में मन से शिव भक्ति करने पर हर मनोकामना पूर्ण होती है।

 मंदिर के मंहत धर्मानंद का कहना है कि रुद्रनाथ मंदिर धार्मिक क्षेत्र में अलग स्थान रखता है। यह स्थान भोले बाबा की स्थली है तथा नारद ने यहां पर संगीत ज्ञान प्राप्त किया था। उन्होंने बताया हर वर्ष श्रावण मास में मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Tapowan

Approximately, 5 kms from the City Bus Stand on the Dehradun-Rajpur road, this place is situated in beautiful surroundings. Legend has it that Guru Dronacharya had done penance in this area.

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