केदारनाथ से 19 किमी पहले गंगोतरी, बूढ़ाकेदार सोनप्रयाग के रास्ते के निकट त्रियुगी नारायण नाम से प्रसिद्ध एक धार्मिक स्थल है। मंदिर के गर्भगृह में नारायण भगवान की सुंदर मूर्ति है। अन्य मूर्तियों में भू-देवी तथा लक्ष्मी की मूर्तियाँ उल्लेखनीय हैं। यहाँ अनेक कुंड भी हैं। इनके नाम ब्रह्म कुंड, रुद्र कुंड और सरस्वती कुंड हैं। इस मंदिर में अखंड धूनी जलती रहती है।
किंवदंती है कि यह वही अग्नि है, जिसकी साक्षी कर शिव ने पार्वती से विवाह किया था। पार्वती का मायका अर्थात हिमालय नरेश का निवास (संभवतः ग्रीष्म निवास) भी यही बताया जाता है। यह तीनों युगों (द्वापर, त्रेता, कलियुग) में पूजित रहने के कारण त्रियुगीनारायण बना तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।