नंदा अष्टमी पर्व के मौके पर उर्गम के घंटाकरण चौक से यात्रा शुरू होकर हिमालय की ओर बढ़ चुकी है जिसे श्रद्धालु नंदा अर्थात पार्वती का बुलावा मानते हैं।
उर्गम घाटी की जात यात्रा बंशीनारायण से मेनवा खाल तथा ओसारी पंच गैंग की जात डुमक बजीर से शुरू होकर नंदी कुंड पहुंचते हैं। मेनवा खाल जात यात्रा के मुखिया डुमक के बजीर होते हैं जो यात्रा का पथ प्रदर्शन करते हैं। यात्रा के दौरान श्रद्धालु ब्रह्म कमल तोड़कर गांव में लाते हैं और इनकी पूजा कर भगवान को समर्पित करते हैं। घाटी के भरकी में नंदा के चौक से यात्रा शुरू होकर नंदा व स्वनूल देवी की छतौलियां पंचमी तिथि को फ्यूंला नारायण जाती हैं जहां रात्रि जागरण के दौरान श्रद्धालु देवी के जागर गीत गाते हैं। सप्तमी तिथि को जात यात्रा मनाई जाती है। इन दौरान दशमी तिथि तक उर्गम घाटी में मेला जारी रहता है। जोशीमठ क्षेत्र में नंदा अष्टमी पर्व पर मेरग, परसारी, बड़ा गांव, लाता, नीती, थैंग, चांई, पाण्डुकेश्वर, बामणी, डुमक कलगौठ में श्रद्धालु देवी की पूजा कर मनौतियां मांगते हैं।