वैष्णवखंड बदरिकाश्रममाहात्म्य में आदि बद्रीनाथ के आसपास ही वसुधाराके होने का जिक्र किया गया है, लेकिन उसमें यह नहीं दर्शाया गया है कि आदि बद्रीनाथ के किस दिशा में है। गंधक युक्त इस पानी के पीने व नहाने से मनुष्य विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है। अब इस पानी को पाने के लिए हर रविवार को लोगों की लंबी कतार भी लगने लगी है।
स्कंद पुराण में कार्तिकेयनने भी अपने पिता शंकर भगवान से वसुधाराके महत्व के बारे में पूछा है, जिसमें शंकर भगवान ने कहा है कि वसुधारामें स्नान करने से मनुष्य समस्त प्रकार के पापों से मुक्ता हो जाता है। स्कंद पुराण में जिस वसुधाराका जिक्र किया गया है यदि यह वही वसुधाराहै तो यह सबसे बडी उपलब्धि है।
अभी तक सरस्वती की ही तलाश की जा रही थी। संयोग से जिस दिन वसुधारामिली थी प्रदेश की पर्यटन मंत्री किरण चौधरी ने उस दिन आदि बद्रीनाथ का दौरा किया। उस दौरान विनय स्वरूप ने वसुधाराके पानी का सैंपल लेकर जांच के लिए किरण चौधरी को सौंपा था।
डीसीनितिन यादव ने पहाडों से पानी की धारा निकलने की बात स्वीकार की। उन्होंने पानी में गंधक व फास्फोरस खनिज तत्व होने की पुष्टि करते हुए कहा कि वन विभाग द्वारा उन्हें पानी के सैंपल भेजे गए थे, जिन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा गया है।
प्रयोगशाला से रिपोर्ट आने के बाद ही जल धारा की वास्तविकता का पता चल पाएगा। इस संबंध में पुरातत्व विभाग को भी एक रिपोर्ट भेजी गई है, जिससे इसके प्राचीन महत्व के बारे में भी जानकारी मिल सके।
उधर, सरस्वती शोध संस्थान के अध्यक्ष दर्शनलालजैन ने भी पानी की धारा मिलने की पुष्टि करते हुए सैंपल जांच के लिए भेजे जाने की बात कही है।