व्यास जी ने महाभारत की रचना इसी स्थल पर की है। सरस्वती गंगा पर माणा गांव के पास भीम ने एक बड़ी शिला रखकर पुल का निर्माण किया था। इस शिलापुल से होकर यात्री वसुधारा प्रपात और सतोपंथ की ओर जाते हैं।
आगे स्वर्गारोहण पर्वत है। सरस्वती गंगा के उत्तरी किनारे पर जो पर्वत शुरु होता है उसके मध्य में श्यामकर्ण घोडे का एक चित्र उभरा हुआ है। यह व्यास गुफा के ठीक सामने है।
माणा गांव में मारछा जाति के लोग रहते हैं। इनका व्यवसाय पशुपालन और तिब्बत के साथ व्यापार है। पुराने समय में भेड़-बकरियां पर खाने पीने का सामान लादकर ये लोग ही पहुंचाते थे।
पुराने गढवाल के उत्तरी भाग का सारा कारोबार इनके पास था। माणा के पास से बहती सरस्वती गंगा अलकनंदा में मिलती है। इसे उत्तराखंड का पहला प्रयाग केशव प्रयाग कहते हैं।