Author Topic: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड  (Read 24375 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड
« Reply #40 on: November 21, 2009, 07:21:46 AM »
Water falls have always captivated the human imagination. 5 Kms. from Mana village, toward the west is the Vasudhara fall with a sheer drop of 145 mtrs.,  set in a background of snowy peaks, glaciers and rocky heights.

 Violent wind sometimes sprays out the entire volume of the water falling and it appears that the water fall ceases for a minute or two, giving rise to a lot of superstitious ideas to the locals.

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Re: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड
« Reply #41 on: November 21, 2009, 07:22:21 AM »
WAY TO VASUDHARA

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Re: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड
« Reply #42 on: November 22, 2009, 10:34:46 AM »

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Re: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड
« Reply #43 on: November 29, 2009, 08:43:00 AM »
Millions of droplets of water come drizzling down from atop the mountain. They fall on heap of snow and down they go, to form Alaknanda.

Nature is at its best all around with mountains chasing the sky and valley chasing the core. It’s as peaceful as it can be and yet and all that is heard is the pacifying noise of the myriads of droplets hitting the ground.

Vasudhara falls find mention in the Mahabharata in the part where the Pandavas are on their last journey. This enchanting place is on 5 kilometers walking distance from Mana gaon, which is the last village of India on this route. Mana is 3 km from Badrinath which is the famous dham in Chamoli district of Uttarakhand.

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Re: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड
« Reply #44 on: December 26, 2009, 08:18:17 AM »
वसुधारा के बारे मैं कहा जाता है कि-नारद ने भगवान की बहुत सेवा की थी। उनके नाम पर शिला और कुण्ड़ दोनों है। प्रह्राद की कहानी तो आप लोग ही है। उनके पिता को बद्रीनाथ मारकर जब नृसिंह भगवान क्रोध से भरे फिर रहे थे तब यहीं आकर उनका आवेश शान्त हुआ था।

नृसिंह-शिला भी वहां मौजूद है। ब्रह्म-कपाली पर पिण्डदान किया जाता है। दो मील आगे भारत का आखिरी गांव माना जाता है। ढाई मील पर माता मूर्ति की मढ़ी है। पांच मील पर वसुधारा है। वसुधारा दो सौ फुट से गिरने वाला झरना है। आगे शतपथ, स्वर्ग-द्वार और अलकापुरी है।

फिर तिब्बत का देश है। उस वन में तीर्थ-ही-तीर्थ है। सारी भूमि तपोभूमि है। वहां पर गरम पानी का भी एक झरना है। इतना गरम पानी हैकि एकाएक पैर दो तो जल जाय। ठीक अलकनन्दा के किनारे है। अलकनन्दा में हाथ दो तो गल जाय, झरने में दो तो जल जाय।

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Re: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड
« Reply #45 on: February 28, 2010, 08:38:11 PM »
वनस्पतिक महायज्ञ अपने आप में एक ऐसी ऊर्जा प्रदान करता है जिससे जीव की स्मरण शक्ति तेज होती है। मनुष्य को अनेक प्रकार की व्याधियों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं यज्ञ में विधि पूर्वक शामिल होने पर अकाल मृत्यु जैसी स्थिति को टाला जा सकता है।

 ऐसे में आदिबद्री आश्रम में 15 सौ साल बाद हो रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व और बढ़ जाता है। इस महायज्ञ में 24 लाख श्री सुक्त और पुरु सुक्त की मंत्रों का जाप व हवन होगा। जिससे अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी।

नाना प्रकार के रोग व्याधि, भूत-प्रेत, काल सर्प, अकाल मृत्यु, गृह बाधा, आपसी कलह और भी संपूर्ण व्याधियों का इस वनस्पतिक यज्ञ के गंध से निवृत्ति होगी। आदिबद्री आश्रम के ब्रह्मचारी श्री विनय स्वरूप महाराज का कहना है कि योनि मूलक सिंधु वन की स्वर्णिम तपो भूति सदैव से जीव के लिए आशीर्वादित रही है। आदिबद्री में आपको नंगे पांव चलने से सूर्य की ऊर्जा का लाभ होता है। यहां की रेत में सोना की मात्रा होती है। वहीं वसुधारा जल का सेवन निरोग बनाती है और केदार नाथ मनुष्य जीवन को शांति प्रदान करते है।

 वनस्पतिक महायज्ञ अपने आप में एक ऐसी ऊर्जा प्रदान करता है जिससे जीव की स्मरण शक्ति तेज होती है। अकाल मृत्यु की स्थिति के बारे में कहे कि जो भी जीव ऐसी स्थिति में हो वह केवल सरस्वती के जल का आचमन व वसुधारा का स्नान कर हवन करे तो अकालमृत्यु जैसी स्थिति से छुटकारा मिल सकता है।

 उन्होंने कहा कि इस वनस्पतिक महायज्ञ में सांसों के बीमार आदमी भी हवन में बैठ सकते है। उनको भी हवन की सुगंध आराम प्रदान करेगा। यह यज्ञ प्रकृति के साथ-साथ जीव जन्तु को भी एक विशेष बल प्रदान करेगा। ब्रह्मचारी का कहना है कि भूमंडल के सर्वश्रेष्ठ संत दंडी स्वाती के संरक्षण में यह यज्ञ संपादित होगा। आचार्य शंकर ने बताया है कि यज्ञ क्रिया अगर प्रणव जाप करने वाले यती दंडी साधु अगर यज्ञ की संरक्षण करते है वह यज्ञ संपूर्ण रोगों से मुक्ति देता है।

 इस महायज्ञ में 24 लाख श्री सुक्त और पुरु सुक्त की मंत्रों का जाप व हवन होगा। जिससे अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी। यज्ञ में शामिल होने के पूरे देश से दशनाम साधुओं को जमावड़ा शुरू हो गया है।

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Re: Vasudhara Uttarakhand वसुधारा उत्तराखंड
« Reply #46 on: August 02, 2011, 09:28:34 PM »

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