Tourism in Uttarakhand > Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां

Ved Vyas Cave in Uttarakhand- वेद व्यास गुफा, जहाँ लिखी गयी थी महाभारत

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Dosto,

Uttarakhand is the abode of God and Goddess. There are many places in Uttarakhand which have relevance with great Epic Hindu like Ramanaya and Mahabharata. It is said that Great Saint Ved Vyas wrote the "Mahabharat Epics in Uttarakhand. This place is situated in Chamoli District of Uttarakhand ahead of famous Badri Nath Dham. 




It is also said that Sage Ved Vyasa composed Mahabharta from this cave with the help of Lord Ganesha.We will provide more information above Ved Vyas Cave in this Thread. Request.. if you have related information and photos, please do share with
us.

Regards,

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
बद्रीनाथ धाम के समीप स्थित माणा गांव पर्वतीय क्षेत्र है। इसलिए इसके आस-पास अनेक चट्टानों में गुफाएं हैं। प्राचीन काल में इन गुफाओं में बैठकर ही ऋषि-मुनियों ने तपस्या की। इन गुफाओं में सबसे प्रसिद्ध है - व्यास गुफा।

मान्यता है कि इसी गुफा में महर्षि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी। महाभारत जैसे महान और बड़े ग्रंथ की रचना के लिए जिस शांत माहौल और एकाग्रता की जरुरत थी। वह आज भी इस गुफा में प्रवेश करने पर महसूस होती है।

व्यास गुफा बड़े क्षेत्र में फैली है। इस गुफा में वेद व्यास की प्रतिमा है। व्यास गुफा सरस्वती नदी के तट पर स्थित है। इसके समीप अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम है। यह स्थान केशव प्रयाग कहलाता है। माणां गांव के ऊपरी क्षेत्र में स्थित हिमनद से सरस्वती का उद्गम माना जाता है। यह माणां गांव के पास से गुजरती हुई केशव प्रयाग में अलकनंदा से मिल जाती है।

सरस्वती नदी का जल साफ और नीला दिखाई देता है। मान्यता है कि वेदव्यास ने सरस्वती नदी के किनारे पर महाभारत के साथ ही श्रीमद्भागवत और १८ पुराणों की रचना की। जो एक दिव्य और अद़भुत कार्य था, जो देवीय कृपा के बिना संभव नहीं था। यह शक्ति उनको माता सरस्वती के आशीर्वाद से प्राप्त हुई। जिसे ज्ञान, विद्या और बुद्धि की देवी माना जाता है। इसलिए यहां पर माता सरस्वती के रुप में सरस्वती नदी और उसके तट पर व्यास गुफा का स्थित होना धार्मिक आस्था बढ़ाता है। यही वह स्थान है, जहां से ज्ञान और अध्यात्म का उजाला पूरे जगत में फैला।

 केशवप्रयाग में सरस्वती अलकनंदा में मिलकर गंगा के रुप में तीर्थराज प्रयाग पहुंचती है। जहां गंगा का संगम यमुना से होता है। इस प्रकार गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम तीर्थराज प्रयाग में माना जाता है। जिसमें सरस्वती नदी गंगा के साथ गुप्त रुप से शामिल होती है।

(Source http://religion.bhaskar.com)

पंकज सिंह महर:
व्यास गुफा बद्रीनाथ धाम से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर है। ढाई किलोमीटर तक यात्री लोग वाहन से जा सकते हैं। इसके बाद चढाई प्रारंभ हो जाती है और यात्रियों को पैदल चलना पडता है। व्यास गुफा वह स्थान है, जहां महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मसूत्र की रचना द्वापर के अंत और कलियुग के प्रारंभ (लगभग 5108वर्ष पूर्व) में की थी। मान्यता है कि आदिशंकराचार्य ने इसी गुफामें ब्रह्मसूत्र पर शरीरिकभाष्यनामक ग्रंथ की रचना की थी। व्यास गुफा के पास ही गणेश गुफा है। यह महर्षि व्यास के लेखक गणेश जी का वास स्थान था।

पंकज सिंह महर:

पंकज सिंह महर:
व्यास गुफा के भीतर

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