Author Topic: Auli Famous Ski Destination in Uttarakhand- औली उत्तराखंड का प्रमुख पर्यटन स्थल  (Read 16952 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड राज्य के जनपद चमोली में स्थित औली अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के अलावा एशिया महाद्वीप का प्रथम ऐसा स्की ट्रैक है जहां सबसे तीव्र ढलान एवं उच्चस्तरीय सुविधायें हैं। औली बहुत ही खूबसूरत जगह है। अगर आप बर्फ से ढ़के पर्वतों और स्की का मजा लेना चाहते हैं तो औली बिल्कुल सही जगह है। जोशीमठ के रास्ते से आप औली तक पहुंच सकते हैं।

जो कि लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सर्दियों में कई प्रतियोगियों का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन गढ़वाल मंडल विकास सदन द्वारा करवाया जाता है। इसके अलावा आप यहां से नंदा देवी,कामत औद और दुनागिरी पर्वतों का नजारा भी देख सकते हैं। जनवरी से माच के समय में औली पूरी तरह बर्फ की चादर से ढ़का हुआ रहता है। यहां पर बर्फ करीबन तीन फीट तक गहरी होती है। औली में होने वाले स्की कार्यक्रम यहां पर्यटकों को अपनी ओर अधिक आकर्षित करते हैं।जोशीमठ से १५ किमी की दूरी पर स्थित इस मनमोहक स्थल की सुन्दरता से आकर्षित होकर देश एवं विदेशों से पर्यटक बड़ी तादाद में यहां पहुंचते हैं।

यहां से हिमालय की सुन्दर चोटियां, नन्दा देवी, त्रिशूल, कामेट, हाथी पर्वत का सुन्दर नजारा देखा जा सकता है। यहां मुख्य तौर पर चीड़, बुरांश, देवदार, कैल तथा थुनैर के पेड़ पाये जाते हैं। जबकि आलू, राजमा, गेहूं, जौ, मटर की खेती की जाती है। तथा सेब, नाशपाती, आड़ू, खुमानी जैसे मुख्य फल पाये जाते हैं। जंगली जानवरों में मुख्यत: सुअर व जड़ी-बूटियों में डोलू, हत्था जड़ी, अतीश, भूतकेश, कटूकी आदि दुर्लभ जड़ी-बूटियां प्राप्त होती हैं। पुरसारी, रविग्राम, सुनील, सिलंग औली से लगे गांव हैं। पडियार देवता का प्राचीन मंदिर है। औली नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क वन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है।

 औली में फिलहाल ८ नं० प्वाइंट तक छोटी गाड़ियों से जाया जाता है जबकि जोशीमठ से गढ़वाल मण्डल विकास निगम द्वारा संचालित रोपवे से औली के १० नं० प्वाइंट तक पंहुचा जा सकता है। पर्यटकों की सुविधा हेतु यहां जीएमवीएन के विश्राम गृह व क्लिफ टाप जैसे तीन सितारा होटल हैं औली के ऊपर स्थित ५० से ६० किमी तक फैला गार्सन बुग्याल है। कंवारी पास, नन्दा देवी, कामेट आदि हिमालयी चोटियों तक पंहुचने के लिये मुख्यत: औली से ही ट्रैकिंग रुट है।

 समुद्र तल से औली की ऊंचाई लगभग ३०४९ मी० है। इसके अलावा औली भारत के हिमाचल स्थित सोलन, रोहतांग, कश्मीर स्थित गुलमर्ग जैसे स्की स्थलों में से एशिया का प्रथम तीव्रतम ढलान वाला डेढ किमी का स्की ट्रैक है। यहां समय-समय में नेशनल गेम आयोजित किये जाते हैं। इस विशेषता को देखकर ही अंतरराष्ट्रीय स्की विशेषज्ञों ने इसका चयन २००९ में दक्षिण एशियाई शीतकालीन खेलों के लिये किया। बर्फ में चलने वाले इस खेल के प्रति आकर्षण के कारण यहां नन्दादेवी, गढ़वाल एडवेंचर इन्सीटयूट, एवं एक्सट्रीम एडवेंचर इन्सटीटयूट की स्थापना हुई, जहां राज्य एवं देश के कई खिलाड़ी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

 इसके अलावा यहां पर सेना, आइटीबीपी एवं गढवाल मंडल विकास निगम के अपने-अपने प्रशिक्षण संस्थान हैं। जबकि सर्वशिक्षा विभाग अभियान के तहत भी स्कूली बच्चों को स्की का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आइटीबीपी में तो प्रतिवर्ष बेसिक कोर्स तीन चरणों में पूरा किया जाता है। जिसमें २०० से लेकर ३०० जवान प्रतिवर्ष प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।

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औली की चमक से अंधेरे में गांव
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सैफ विंटर गेम्स का स्थानीय आधार पर चाहे प्रचार-प्रसार न हुआ हो, पर घंटों बिजली कटौती से दूरस्थ क्षेत्र के ग्रामीणों को अंदाजा लगने लगा है कि जिले में कोई बड़ा आयोजन हो रहा है। सैफ विंटर गेम्स के दौरान औली को रोशनी से जगमगाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र घंटों अंधेरे में डूबने लगे हैं।

औली को रोशनी से जगमगाने के लिए जिले को कटौती मुक्तकरने का दावा करने वाला विद्युत विभाग घंटों कटौती कर रहा है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर में तो कटौती मिनटों के लिए हो रही है, लेकिन, दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में डेढ़ से दो घंटे की कटौती से आम आदमी परेशान है। स्कूली बच्चों की बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं तो जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक में बिजली कटौती परेशानी के साथ ही खतरों को भी न्योता दे रही हैं। ऐसे में ग्रामीणों का बिजली कटौती से परेशान होना स्वाभाविक है। जिला मुख्यालय के समीप देवलधार, गंगोलगांव व सगर की ही बात करें तो यहां शाम को छ: बजे से साढ़े सात बजे तक बिजली कटौती की जा रही है। अधिकारी जिले को कटौती मुक्त रखने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि कर्णप्रयाग, गैरसैंण, घाट, पोखरी, थराली, जोशीमठ व चमोली तहसील के दर्जनों गांव घंटो कटौती के नाम पर रोजाना अंधेरे में डूब रहे हैं। कर्णप्रयाग के नौटी निवासी पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य कैलाश नौटियाल व सेरागाड़ के पूर्व प्रधान रमेश जोशी का कहना है कि विभागीय अधिकारी जिले को कागजों में कटौती मुक्तदिखाकर वाहवाही लूट रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कटौती जम कर हो रही है।

'बिजली कटौती का सैफ गेम्स से कोई लेना देना नहीं है। जरूरत के सापेक्ष उत्पादन कम होने से समस्या उत्पन्न हो रही है।'

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सरूली मेरो जिया लगीगे
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पहले साउथ एशियन विंटर गेम्स के अवसर पर जोशीमठ में आयोजित किए जा रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का समापन प्रसिद्ध जागर सम्राट प्रीतम भरवाण की सुर संध्या के साथ हुआ। भरतवाण ने एक के बाद एक कई जागर व लोकगीत प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में नगरपालिका परिषद जोशीमठ के अध्यक्ष व दक्षिण एशियाई विंटर गेम्स सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने कहा कि खेलों को बढ़ाया देने के साथ-साथ लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है।

औली में आयोजित साउथ एशियन विंटर गेम्स के आयोजन के दौरान जोशीमठ में रोजाना सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा था, जिसका समापन रविवार की शाम को हुआ। कार्यक्रम की अंतिम सांस्कृतिक संध्या प्रसिद्ध जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के नाम रही। भरतवाण ने सुर संध्या की शुरूआत मां देवी के जागरों से की। दर्शकों की फरमाइश पर उन्होंने 'सरुली मेरो जिया लगीगे तेरी रौतेली मुखुड़ी मां, अकबक सी रेग्यूं मी पौंछी तरे कुमों गढ़ मां' व 'मी कुश्ल छन माली दगड़यों दगड़ी, तू कुशल रया माजी भुलों दगड़ी' गीत भी गाए। इससे पूर्व बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के विधायक केदार सिंह फोनिया, जिपं अध्यक्ष विजया रावत, नगरपालिका परिषद जोशीमठ के अध्यक्ष व दक्षिण एशियाई विंटर गेम्स सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत की। इस अवसर पर कांग्रेस कमेटी के पूर्व जिला महामंत्री कमल रतूड़ी, नगर अध्यक्ष प्रकाश, गढ़वाल सांसद प्रतिनिधि उमेश शाह आदि कई लोग मौजूद थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7194079.html

 

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