चोपटा/तुंगनाथ गोपेश्वर से 40 किलोमीटर दूर।
एक हरित घास का मैदान या बुग्याल, चोपटा तुंगनाथ के लिये पड़ाव है। यहां से आप केदारनाथ पथ के ऊपर स्थित पहाड़ियों तथा केदारनाथ एवं चौखंबा शिखर एवं बद्रीनाथ चोटी का पूर्ण दर्शन कर सकते हैं। इन वर्षों में चोपटा के सौंदर्य तथा शांति अनियोजित भोजनालयों की स्थापना से प्रभावित हुआ है।
चोपटा से तुंगनाथ 4,000 फीट ऊंचाई पर 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई है। इसलिये दूरी की बहादुरी भ्रामक हो सकती है। परंतु 80 वर्षीय तुंगनाथ के पंडा महेशानंद मैथानी चोपटा से तुंगनाथ प्रतिदिन पैदल जाते और वापस आते हैं। चढ़ाई निश्चय ही सहज नहीं है (यद्यपि खच्चर उपलब्ध होते हैं)। समुद्र तल से 12,000 फीट ऊपर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ का मंदिर देश में भगवान शिव का सर्वोच्च स्थल पर मंदिर है। इस तीसरे पंच केदार में भगवान शिव की छाती तथा ऊपरी बांहों की पूजा होती है। यहां के पुजारी मकूमठ गांव के होते हैं।
तुंगनाथ क्षेत्र की भूमि का साज-सज्जा मनमोहक है। यहां एक ओर ढलान है जो घनी झाड़ियों में विलीन हो जाता है, सदाबहार जंगल हैं तथा थोड़ी दूरी पर उठती-गिरती घाटियां हैं तथा दूसरी तरफ वास्तव में 90 डिग्री का कगार है। गर्मी के उत्तरार्द्ध बरसात में तुंगनाथ में फूलों के गलीचे बिछ जाते हैं।
जाड़ों में ये ढलान स्कीईंग का आमंत्रण देते हैं, यद्यपि अब तक यह नहीं हुआ है। ढलान पर तीन झरने हैं जो अंत में अक्षकामिनी नदी का निर्माण करते हैं।
मंदिर के सामने नीचे एक ढलान है, जिसे रावण शिला कहते हैं, जहां रावण तप करने एवं भगवान शिव को प्रसन्न करने का विश्वास है और नीचे दूसरी तरफ एचएपीपीआरसी का शिविर स्थल है जो पर्वतीय वनस्पतियों के औषधेय एवं अन्य पहलुओं पर अनुसंधान का कार्य करता है।