इसी तरह नंधौर या देवहा या गर्रा नदी भी सिंचाई के लिए उपयुक्त साधन है। दबका नदी भी भावर की प्यास बुझाकर पश्चिमी रामगंगा में मिलती है जो गतिया, घृणा और निहाल नामों से भी पुकारी जाती है। मकस, ढेला और फोका आदि भी भावर क्षेत्र की उपयोगी नदियों में हैं। वैसे ये स्पष्ट है कि नैनीताल में बहने वाली किसी भी नदी का उद्गम हिमालय पर्वत नहीं है। हिमालय की भारत स्थित नंदादेवी पर्वतमाला के पीछे गौरी, दारमा और कुटी नदी-घाटियों का विशाल भूभाग है। व्यास घाटी में काली नदी के दो स्रोत हैं।
नंदा (कुंटी) नदी का नाम इसी घाटी में बसे कुटी गांव के नाम से पड़ा है। नंदा देवी पर्वतश्रेणी से जुड़े हुए पर्वत नंदा कोट की हिमानियों से पिंडर, सरयू और पूर्वी रामगंगा निकली है। पिंडर गढ़वाल की ओर बहती है तो सरयू तथा पूर्वी रामगंगा दोनों कुमाऊं की ओर बहती हैं।
दानपुर के पश्चिमी भाग में सरयू और गोमती का संगम बागेश्वर में होता है। इस संगम पर बसा हुआ बागेश्वर समुद्र तल से 975 मीटर की ऊंचाई पर अल्मोड़ा से 90 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।