Author Topic: Confluence of Rivers in Uttarkahand - उत्तराखंड में पवित्र नदियों का संगम  (Read 16206 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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पवित्र सरयू और खीरगंगा का संगम स्थल  : खिरौ - कपकोट

[/size]उत्तराखण्ड में बागेश्वर जनपद के कपकोट तहसील मुख्यालय से समीप जीवनदायिनी माँ सरयू और खीरगंगा का संगम होता है। जहाँ एक ओर माँ सरयू कल-कल छल-छल करती अपने मार्ग में पड़ने वाले क्षेत्र को सिंचित करते हुए आती है, वहीं दूसरी ओर खीरगंगा अपने स्वच्छ नीर के साथ कोई आवाज़ किये बिना शान्त स्वभाव से सरयू में समा जाती है। लोग कहते हैं खीरगंगा नदी में चाहे कितना भी पानी क्यों न हो; यह बिलकुल भी आवाज़ नहीं करती है। वास्तव में यह सत्य भी है। बरसात में खीरगंगा अपने पूर्ण यौवनावस्था में होती है; लेकिन यह अपनी प्रकृति के कारण वही कोई आवाज़ किये बिना शान्त रूप से माँ सरयू के गोद में समा जाती है। खीरगंगा नदी 'शिखर' नामक पवित्र पहाड़ के तलहटी से निकलती है।

सरयू और खीरगंगा का संगम स्थल "खिरौ" नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ पर मनुष्य का अंतिम संस्कार होता है। यहाँ पर अन्तिम संस्कार करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। नाकुरी क्षेत्र जो कि यहाँ से काफी दूर है यहाँ के लोग भी अन्तिम संस्कार करने के लिए एक रात आधे रास्ते में रहकर सरयू और खीरगंगा के संगम स्थल 'खिरौ' तक आते हैं।



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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SARYU

 
कत्यूर क्षेत्र से गोमती नदी बागेश्वर में सरयू से संगम करती है और अल्मोडा़ जिले से आकर पनार नदी भी काकड़ीघाट में सरयू में समाहित होती है। काकड़ीघाट के पास ही पूर्वी राम गंगा नदी भी रामेश्वर नामक स्थान पर आकर मिलती है। पूर्वी दिशा में बहकर पंचेसर नामक स्थान पर यही सरयू भी काली नदी में आ मिलती है।

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DARMA VALLEY RIVER-DHAULI
 
दारमा क्षेत्र की धौली नदी के मिलमग्लेश्यिर से अद्भुत गौरी नदी, जौलजीवी (पितौरागढ़) नामक स्थान पर काली नदी से संगम बनाती है। यही नदी टनकपुर में शारदा और आगे फिर घाघरा, फिर सरयू कहलाती हुई गंगा में संगम बनाकर अपना अस्तित्व मिटा देती है।

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RAMESHWAR- PITHORGARH
 
 
कत्यूर क्षेत्र से गोमती नदी बागेश्वर में सरयू से संगम करती है और अल्मोडा़ जिले से आकर पनार नदी भी काकड़ीघाट में सरयू में समाहित होती है। काकड़ीघाट के पास ही पूर्वी राम गंगा नदी भी रामेश्वर नामक स्थान पर आकर मिलती है। पूर्वी दिशा में बहकर पंचेसर नामक स्थान पर यही सरयू भी काली नदी में आ मिलती है।

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कत्यूर क्षेत्र से गोमती नदी बागेश्वर में सरयू से संगम करती है और अल्मोडा़ जिले से आकर पनार नदी भी काकड़ीघाट में सरयू में समाहित होती है।
 
काकड़ीघाट के पास ही पूर्वी राम गंगा नदी भी रामेश्वर नामक स्थान पर आकर मिलती है। पूर्वी दिशा में बहकर पंचेसर नामक स्थान पर यही सरयू भी काली नदी में आ मिलती है।

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CONFLUENCE OF OTHER RIVERS
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गढ़वाल के कर्ण प्रयाग में अलकनंदा से संगम करती पिंडर नदी जिसका उद्गम पिंडारी ग्लेशियर है तथा मेहल चौरी होकर मासी में बहती पश्चिमी रामगंगा जिसका उद्गम स्थल गढ़वाल का दूधतोली का पाद प्रदेश है।
 
मिकिया सैंग में गंगास नदी पश्चिमी रामगंगा में मिलती है और मुरादाबाद में बहती हुई काली नदी में जा मिलती है। अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर के पास भटकोट नामक पर्वत से निकली कोसी नदी भी पश्चिमी रामगंगा में संगम बनाती है।
 
 
चम्पावत तहसील (पिथौरागढ़) से निकली लधिया और लोहावती नदियां भी काली नदी में मिलती हैं।

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GOLA RIVER'S CONFLUENCE
 
नैनीताल जिले की मुख्य नदी गोला चौमसीपट्टी (अल्मोड़ा) के उत्तरी छोर से निकल कर भीमताल, सातताल, उलवाताल और नैनीताल की धारा को समेटती हुई हल्द्वानी होकर भावर में पहुंच जाती है। भावर में सिंचाई के लिए इस नदी का जलस्रोत पर्याप्त है। गोला नदी की दो धाराएं भावर में तथा तीसरी धारा पश्चिमी रामगंगा में मिलती है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इसी तरह नंधौर या देवहा या गर्रा नदी भी सिंचाई के लिए उपयुक्त साधन है। दबका नदी भी भावर की प्यास बुझाकर पश्चिमी रामगंगा में मिलती है जो गतिया, घृणा और निहाल नामों से भी पुकारी जाती है। मकस, ढेला और फोका आदि भी भावर क्षेत्र की उपयोगी नदियों में हैं। वैसे ये स्पष्ट है कि नैनीताल में बहने वाली किसी भी नदी का उद्गम हिमालय पर्वत नहीं है। हिमालय की भारत स्थित नंदादेवी पर्वतमाला के पीछे गौरी, दारमा और कुटी नदी-घाटियों का विशाल भूभाग है। व्यास घाटी में काली नदी के दो स्रोत हैं।

नंदा (कुंटी) नदी का नाम इसी घाटी में बसे कुटी गांव के नाम से पड़ा है। नंदा देवी पर्वतश्रेणी से जुड़े हुए पर्वत नंदा कोट की हिमानियों से पिंडर, सरयू और पूर्वी रामगंगा निकली है। पिंडर गढ़वाल की ओर बहती है तो सरयू तथा पूर्वी रामगंगा दोनों कुमाऊं की ओर बहती हैं।

दानपुर के पश्चिमी भाग में सरयू और गोमती का संगम बागेश्वर में होता है। इस संगम पर बसा हुआ बागेश्वर समुद्र तल से 975 मीटर की ऊंचाई पर अल्मोड़ा से 90 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुमाऊं के छखाता यानी साठ सालों के क्षेत्र में सबसे बड़ा आकर्षण का ताल नैनीताल है। यहीं से गोला नदी की उपधारा बल्लिया नदी का उद्गम होता है। बल्लिया नदी के अतिरिक्त और कई छोटी-छोटी नदियों का जाल बिछा हुआ हैं जिनका समायोजन गोला नदी में हो जाता है। अल्मोड़ा के पूर्व में विसौद और उच्यूर के भू-भाग में कौसिला (कौसी) नदी भी है। पाली पछाऊं के अंचल में वीनू नदी रामगंगा से बूढ़ी केदार में आकर संगम बनाती है। शारदा नामक एक नदी तल्लादेस के भावर के निकट बहती है। पाद प्रदेश से निकली वेणुनदी का संगम देघाट के पास रामगंगा में होता है। यहीं विनसर का विख्यात प्राचीन शिव मंदिर है। कार्तिक-पूर्णिमा को इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है। दूधातोली घनघोर जंगल में स्थित इस मंदिर के प्रांगण में दूर-दराज के नर्तक व नृत्यांगनाएं नृत्य-गीतों का खूब प्रदर्शन करती हैं।
 
http://www.hindi.indiawaterportal.org/node/28434

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SONE PRAYAG
 
चौखम्भा पर्वत श्रृंखला के अन्तर्गत ही बद्रीनाथ तीर्थ स्थित है। इसी पर्वत के उत्तर पूर्व का भाग सतोपंथ शिखर कहलाता है। यहीं स्थित सतोपंथ ताल से अलकनंदा निकलती है। इसी प्रकार केदारनाथ की तीन स्वर्गारोहिणी पर्वत श्रृंखलाओं के उत्तरी पनढाल से केदार गंगा निकलती है, जो गंगोत्री के सामने भागीरथी से मिलकर संगम बनाती है।
 
दक्षिणी-पूर्वी ढाल के चोखाड़ी (अब गांछी) ताल से मंदाकिनी और वासुकी ताल से काली गंगा निकलती है जिसका संगम सोन प्रयाग से होता है। सोन प्रयाग के आगे मंदाकिनी कई गंगाओं को अपने में समेटकर रुद्रप्रयाग में अलकनंदा से संगम करती है। इन्हीं स्वर्गारोहिणी पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य भृगुपंथ और महापंथ नामक तीर्थ हैं जहां देहत्याग कर मानव को स्वर्ग प्राप्ति होती है।

 

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