Author Topic: Confluence of Rivers in Uttarkahand - उत्तराखंड में पवित्र नदियों का संगम  (Read 16193 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

There are many rivers originate from Uttarakhand like National River Ganga and other prominent Rivers Yamuna, Kali, Saryu etc. We will provide information of confluence of of various Rivers of Uttarakhand at different places.

Hope you will also contribute in providing the relevant information here.
 
‘जाड़गंगा’
 
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एक नदी तिब्बत से निकलकर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आती है। इस नदी को ‘जाड़गंगा’ के नाम से जाना जाता है। गंगोत्री से लगभग 15 किलोमीटर पहले भैरव घाटी में इसका भागीरथी के साथ संगम होता है। बरसाती महीनों में इसका जलस्तर गंगा से छह गुना होता है और सामान्य मौसम में चार गुना। भारत-चीन सीमा से भैरव घाटी तक इस नदी को लगभग 200 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इस नदी की विशेषता है कि इसमें रेत नहीं आती, क्योंकि यह तिब्बत से भैरव घाटी तक फैले हुए पठारों के ऊपर से प्रवाहित होकर आती है। भागीरथी गंगा में बहिरागत जाडगंगा पहला संगम बनाती है।
 

Regards,

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 बालीघाट बागेश्वर) - Baalighat (Confluence of River Saryu & Pungru)     
 
 
 
यह जगह बागेश्वर जिला मुखालय से 5 किलोमीटर की दूरी par है ! जहाँ par पवित्र सरयू नदी को पिंडर से निकलती है और पिंगरू नदी जो रीमा, महरोली आदि जगहों से होकर आती है, इन दोनों नदियों का संगम स्थल है ! 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बागनाथ बागेश्वर
 
 
 
महादेव भोले नाथ का मुख्या मंदिर बागेश्वर में है! इस तट par संगम होता है, सरयू एव गरुड़ की और से आने वाली नदी गोमती का! नदी इस संगम स्थल par शव दाह भी होता है!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड की त्रिवेणी "हेलंग" 
 
देवभूमि उत्तराखंड में भी ऐसी ही एक त्रिवेणी है जो प्रचार के अभाव में आज तक आम लोगों की नजर से ओझल है। सीमांत जनपद चमोली जिले में हेलंग के पास स्थित कर्मनाशा, कल्पगंगा और अलकनंदा का संगम है। कर्मनाशा नदी गौरसों से और कल्पगंगा पंचकेदार कल्पेश्वर से निकलकर अलकनंदा नदी में मिलती है। एक जमाने में यहां पर बदरीनाथ जाने वाले तीर्थयात्री स्नान कर आगे की ओर निकलते थे, लेकिन अब जानकारी के अभाव व प्रचार न होने के कारण यह त्रिवेणी पूरी तरह से उपेक्षित है। हालांकि स्थानीय लोग आज भी गंगा स्नान समेत अन्य पर्वो पर यहां पहुंचकर स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं।
 
(http://aviewfromhimalaya.com)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देवप्रयाग पर भागीरथी और अलकनन्दा का संगम
 

 
 
अलकनन्दा नदी कहीं बहुत गहरी, तो कहीं उथली है, नदी की औसत गहराई ५ फुट (१.३ मीटर), और अधिकतम गहराई १४ फीट (४.४ मीटर) है। अलकनंदा की पाँच सहायक नदियाँ हैं जो गढ़वाल क्षेत्र में ५ अलग अलग स्थानों पर अलकनंदा से मिलकर पंच प्रयाग बनाती हैं।:[३] ये हैं-
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Rudraprayag (Confluence of Alaknanda & Mandakini Rivers)
रुद्रप्रयाग में अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदियों का संगम
 

 
रुद्रप्रयाग भारत के उत्तरांचल राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में एक शहर तथा नगर पंचायत है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा देवप्रयाग में जाकर भागीरथी से मिलती है तथा गंगा नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है। भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कर्णप्रयाग
 
अलकनंदा तथा पिण्डर नदियों के संगम पर कर्णप्रयाग स्थित है । पिण्डर का एक नाम कर्ण गंगा भी है, जिसके कारण ही इस तीर्थ संगम का नाम कर्ण प्रयाग पडा!
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नंदप्रयाग
 
मन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों के संगम पर नन्दप्रयाग स्थित par hai!
 

 
The Nandakini River (foreground) meets the Alaknanda River (background) in Nandprayag, in the Garhwal Himalayas, Uttarakhand, India.
 
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Vishnuprayag
 

 
Vishnuprayag is one of the Panch Prayag (five confluences) of Alaknanda River, and lies at the confluence of Alaknanda River and Dhauliganga River on the Joshimath-Badrinath route, in Chamoli district in the Indian state of Uttarakhand. [1] According to mythology, it is the place where Sage Narada meditated, after which Lord Vishnu appeared before him. Kagbhusandi Lake, with its emerald green water, is a nearby attraction.
 
 
शिवलिंग पर्वत श्रृंखला के पश्चिमोत्तर में बंदरपूंछ पर्वत माला है जो 20,731 फुट ऊंचाई पर है जहां के हिमनद से यमुना निकलती है। बंदर पूंछ के बारे में कहा जाता है कि लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने पर हनुमान जी ने यहीं पर तपस्या की थी। अब भी कहा जाता है कि प्रति-वर्ष एक वानर की तपस्या यहां दृष्टव्य है। जोशी मठ से बदरीनाथ की ओर आगे अलकनंदा और धौली के संगम-स्थल को विष्णु प्रयाग कहते हैं। दोनों नदियां यहां बड़े वेग से आकर मिलती हैं। मंदगति से अंधेरे मोड़ों को काटते हुए गोविंदघाट पहुंचने पर लक्ष्मण प्रपात दृष्टव्य है। यहीं सिखों का गुरुद्वारा भी है। विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी भिन्न-भिन्न प्रकार के 2,000 फूलों की किस्मों से सुशोभित है। सितम्बर-अक्टूबर में यहां का नैसर्गिक सौंदर्य स्वर्ग की कल्पना को साकार करता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जौल्जिबि
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जौल्जिबि भारत-नेपाल सीमा (उत्तराखंड/महाकाली क्षेत्र) पर काली और गोरी नदियों के संगम पर स्थित एक छोटा बाज़ार है। यह नाम दोनो ओर के बाज़ारों के लिए प्रयुक्त होता है, जिसमें से नेपाल की ओर बसा बाज़ार भारत की ओर बसे बाज़ार से छोटा है। दोनों ओर के बाज़ार एक झूला पुल से जुड़े हुए हैं।

 

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