Tourism in Uttarakhand > Tourism Places Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थलों से सम्बन्धित जानकारी

Details Of Tourist Places - उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों का विवरण

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

देवप्रयाग

भारत और नेपाल के सर्वाधिक दिव्य एवं धार्मिक स्थानों में से एक माना जाने वाला देवप्रयाग पौराणिक विरासत का धनी है तथा इस पावन स्थल से कई देवी-देवता संबद्ध रखते हैं। यही वह जगह है जहां भारत की नदियों में सर्वाधिक पावन नदी, गंगा का उद्बव भागीरथी नदी एवं अलकनंदा नदी के संगम से हुआ और यह तथ्य देवप्रयाग को वह पवित्रता प्रदान करता है जो अन्य किसी स्थान को प्राप्त नहीं है। अलकनंदा पर पांच संगमों (पंच प्रयाग) में से देवप्रयाग को सर्वाधिक धार्मिक कहा गया है। स्कंद पुराण के केदारखंड में देवप्रयाग पर 11 अध्याय हैं।

ऐतिहासिक महत्व के स्थान

देवप्रयाग, भारत तथा नेपाल के 108 अत्यंत दिव्य स्थानों में से एक माना जाता है तथा पौराणिक तौर पर इस समृद्ध पवित्र स्थल से कई देवी-देवता जुड़े हैं। यही वह स्थान है जहां भारत के पवित्र नदियों में सबसे पवित्र गंगा यहां भागीरथी तथा अलकनंदा का संगम है और यही तथ्य देवप्रयाग को अधिकाधिक पवित्र बनाती है जो देश के बहुत ही कम स्थान दावा कर सकते हैं। इन्हीं कारणों से भागीरथी के पांच संगमों (पंच-प्रयाग) में देवप्रयाग को सबसे पवित्र माना जाता है। केदार खंड के स्कंद पुराण में देवप्रयाग को 11 अध्याय समर्पित हैं। भागीरथी की तेज गति से प्रवाहित हल्की मटमैली भागीरथी का जल यहीं स्वच्छ हरे रंगों में अलकनंदा की बहती जल से मिलकर पवित्र नदी गंगा बनती हैं।

संगम पर क्रम में बने कई सीढ़ियों के साथ बने घाट संगम तक जाती है। रघुनाथ मंदिर में पूजा से पहले आवश्यक है कि भक्त इस संगम पर स्नान करें।

अनंत काल से यह संगम साधुओं तथा संतों के लिये तपस्या का स्थान रहा है।
 
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कीर्तिनगर

कीर्तिनगर एक छोटा पर महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसने उस आंदोलन को देखा है जिसके कारणवश टिहरी गढ़वाल का भारतीय संघ में विलय हुआ, जब नागेन्द्र सकलानी तथा मोलू राम जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को राजा के सैनिकों ने गोली से मार डाला। प्राय: भूल से श्रीनगर का विस्तार मान लिया जाने वाला, यह शहर धार्मिक नदी अलकनंदा के विपरीत किनारे पर बसा है तथा इसके आसपास कुछ प्राचीन एवं रूचिकर स्थान हैं। यह शहर टिहरी जिला प्रशासन की चौकी भी है जहां एक छोटा पर व्यस्त बाजार है जो कार्यकलापों का केंद्र भी है।

ऐतिहासिक महत्त्व के स्थान

कीर्तिनगर में नहीं है, निकटतम स्थान है: श्रीनगर
 
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मुनि की रेती

मुनि की रेती - पवित्र चार धाम तीर्थयात्रा का एक समय में प्रवेश द्वार - आज गलतीवश ऋषिकेश का एक भाग समझा जाता है। लेकिन पवित्र गंगा के किनारे तथा हिमालय की तलहटी में अवस्थित इस छोटे से शहर की एक खास पहचान है। मुनि की रेती भारत के योग, आध्यात्म तथा दर्शन को जानने के उत्सुक लोगों का केन्द्र है, यहां कई आश्रम हैं जहां स्थानीय आबादी के 80 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिलता है और यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि यह विश्व का योग केन्द्र है। अनुभवों के खुशनुमा माहौल में प्राचीन मंदिरों, पवित्र पौराणिक घटना के कारण जाने वाली स्थानों, तथा एक सचमुच आध्यात्मिक स्वातंत्र्य का एक ठोस वास्तविक अहसास - और वो भी आरामदायक आधुनिक होटलों, रेस्टोरेन्ट तथा भीड़भाड़ वाले बाजारों में - उपलब्ध है। यहां इजराइली तथा इटालियन व्यंजनों के साथ शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलता है, भजन-कीर्तन एंव आरती के साथ टेकनो संगीत, एक ओर पर्यटक गंगा में राफ्टिंग करते हैं और दुसरी और भक्त इसमें स्नान करते हैं; इनमें से जो भी आप ढुंढ रहे हैं, मुनि की रेती में ही आपको मिल जायेगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नरेन्द्र नगर स्थित

यमुनोत्री एवं गंगोत्री के रास्ते पर ऋषिकेश से 16 किलोमीटर से भी कम दूरी पर निचले हिमालय क्षेत्र में नरेन्द्र नगर स्थित है, जिसने पहले के रजवाड़ों से संबद्ध पुराने समय की मनोहरता को बरकरार रखा है। यह वर्ष 1919 में टिहरी रियासत की राजधानी बना जब राजा नरेन्द्र शाह ने टिहरी से प्रशासनिक केन्द्र हटा लेने का निर्णय किया। वर्ष 1949 में उसके तत्कालीन राजा ने नरेन्द्र नगर को स्वाधीन भारत में विलय कर लिया। वर्ष 1989 तक यह शहर टिहरी गढ़वाल जिले का मुख्यालय था जब प्रशासनिक केंद्र को वापस टिहरी लाया गया। आज यह एक शांतिदायक शहर प्रतिष्ठा को प्रवाहित करता है तथा अपने अद्भुत सूर्यास्त, दूनघाटी के मनोरम दृश्य, गंगा तथा हिमालय क्षेत्र के पुराने राजमहल में स्थित आनंदा एन द हिमालया रिसार्ट एवं वार्षिक रूप से आयोजित कुंजापुरी मेला के लिये प्रसिद्ध है।

ऐतिहासिक महत्व के स्थान

नाम : नंदी बैल
दिशा : प्रमुख सड़क पर, मुख्य बाजार के विपरित
परंपरागत/
ऐतिहासिक महत्व : प्रस्तर-प्रतिमा का गठन प्रसिद्ध गढ़वाली शिल्पकार अवतार सिंह पंवार द्वारा वर्ष 1960 में किया गया तथा नगर पालिका द्वारा उदघाटित हुआ।
विशेष मंतव्य : उत्तरी भारत में नंदी बैल की यह सर्वाधिक बड़ी प्रस्तर-प्रतिमा है (भगवान शिव की सवारी)



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

टिहरी

नई टिहरी की स्थापना तब हुई जब भागीरथी पर विशाल टिहरी हाईडेल प्रोजेक्ट का निर्माण शुरू हुआ। नदी पर बांध बांधने तथा विशाल जलाशय टिहरी झील के बनने से पुरानी टिहरी के वासियों का पुर्नवास इस नये शहर में हो गया। अब नई टिहरी अपनी नई संस्कृति तथा अपना एक नया इतिहास रचने की प्रक्रिया में है। नये शहर में एक नई जीवन शैली, एक नई सोच तथा एक नई दृष्टि दिखायी पड़ती है। एक ओर समुदाय का अपनी विरासत तथा परंपरा की ओर गहरा लगाव है, दूसरी ओर वह उत्तराखंड की उन्नति एवं संपन्नता की दिशा में अग्रसर है।

नाम  :
 जिला कारागार, नई टिहरी
दूरभाष  :
 01376-232007
 
व्यक्ति गण (जिनसे संपर्क किया जा सकता है) :
 जेलर
स्थापना :
 वर्ष 1992 में सरकार द्वारा नई टिहरी में, (पहले वर्ष 1910 से पुरानी टिहरी में)

 
पारम्परिक/ ऐतिहासिक महत्त्व  :
 श्री देव सुमन, स्वतंत्रता सेनानी की हथकड़ी, 24 जुलाई, 1944 को 84 दिनों का ऐतिहासिक आमरण अनशन, और वे मर गये।

 
अन्य विशेषताएं/विशेष रूचि  :
 25 जुलाई (मेला) प्रदर्शनी की शुरूआत दिवस (प्रति वर्ष)
 

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