उत्तरांचल-पर्यटकों के लिए स्वर्ग भारतवर्ष के उत्तरी भाग में विशाल एवं सौन्दर्य पूर्ण क्षेत्र में शान्त सौन्दर्यपूर्ण एवं महान हिमालय की गोद में स्थित देवभूमि (देवताओं का घर) के नाम से प्रसिद्ध उत्तरांचल राज्य ने स्मरणातीत समय से सम्पूर्ण विश्व के पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकृर्षित किया है। हिन्दुओं के तीर्थ स्थल श्री बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, सिक्खों के पवित्र तीर्थ हेमकुण्ड, लोकपाल, हनाकमत्ता एवं मीठा-रीठा साहिब तथा मुसलमानों के तीर्थ स्थल पीरान कलियर ने आध्यात्मिक सन्तुष्टि की खोज में उत्तरांचल आने वाले तीर्थयात्रियों एवं अन्वेषकों को पूर्ण शान्ति एवं सन्तुष्टि प्रदान की है। पवित्र यमुना एवं गंगा नदियों के उदगम स्थल उत्तरांचल राज्य में ही स्थित है। पवित्र गंगा एवं यमुना नदियों के उदगम स्थल की इस महान भूमि की समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं, दुर्लभ प्राकृतिक सौन्दर्य तथा शीत एवं शक्तिवर्धक जलवायु यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं।
सांस्कृतिक रुप से उत्तरांचल को एक समृद्घ एवं गुन्जायमान विरासत प्राप्त हुई है। यहाँ पर अनेकों स्थानीय मेले एवं त्यौहार मनाये जाते हैं। जैसे- झन्डा मेला (देहरादून), सरकन्डा देवी मेला (टिहरी गढवाल), माघ मेला (उत्तरकाशी), नन्दा देवी मेला (नैनीताल), चैती मेला (ऊधम सिंह नगर), पूर्णागिरि मेला (चम्पावत), पिरान कलियर मेला (हरिद्वार), जोलिजवी मेला (पिथौरागढ), उत्तरायणी मेला (बागेश्वर), कुम्भ एवं अर्द्ध कुम्भ मेला (हरिद्वार) इत्यादि। ये मेले एवं त्यौहार उत्तरांचल में सांस्कृतिक पर्यटन के लिए अपार सम्भावनाओं की ओर संकेत करते हैं। पर्वतों की रानी मसूरी, भारत का झील जिला नैनीताल, कोसानी, पौडी, लैंसडाउन, रानीखेत, अल्मोडा, पिथौरागढ, मुन्सयारी एवं अन्य बहुत से आकर्षक पर्यटन स्थल उत्तरांचल के भाग हैं।
उत्तरांचल साहसिक क्रीडाओं के लिए स्वर्ग है। विविध प्रकार की साहसिक क्रीडा जैसे भागीरथी, चैखम्भा, नन्दा देवी कामेट, पिन्डारी, सहस्त्रताल, मिलाम, कफनी, खटलिग एवं गौमुख पर्वत शिखरों का पर्वतारोहण एवं ट्रैकिंग, औली, दयारा, बुग्याल, मुन्सयारी एवं मुन्डाली में स्क्रीइंग, उत्तरांचल में टिहरी बाँध सहित सभी झीलों एवं नदियों में जल क्रीडा के अतिरिक्त हवाई क्रीडाएं जैसे पिथौरागढ, जौली ग्रान्ट एवं पौडी में हैंग ग्लाइडिंग एवं पैराग्लाइडिंग उत्तरांचल को न केवल भारतवर्ष में वरन् सम्पूर्ण विश्व में साहसिक क्रीडाओं के लिए अत्याधिक आकर्षक स्थलों में से एक बनाती है।
विश्व प्रसिद्ध कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान सहित उत्तरांचल में वन जीव पर्यटन के लिए राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, गोविन्द पशु विहार, असान बैराज एवं सप्तऋषि आश्रम नामक अनेकों विस्मयकारी स्थल है। इनमें से अन्तिम चार पक्षी उद्यान के रुप में प्रसिद्ध हैं।
उत्तरांचल में विविध प्रकार की दुर्लभ वनस्पति एवं वनजीव पाये जाते हैं। ये सभी सम्मिलित रुप में उत्तरांचल को पारिस्थितिक पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थल बनाते हैं। पारिस्थितिक पर्यटन के अन्तर्गत जंगल सफारी, वन पगडंडियों पर ट्रेकिंग, प्राकृतिक रुप में टहलना, पंचेश्वर में महाशीर एवं अन्य मत्सय प्रजातियों को पकडना एवं छोडना सम्मिलित है। तथापि क्षेत्र की पारिस्थितिक सुकुमारता को बनाये रखने के लिए इन समस्त गतिविधियों को अत्याधिक प्राथमिकता दी गई है। स्वच्छ एवं बलवर्धक पर्यावरण उत्तरांचल को विश्राम हेतु एक वटीय स्थल बनाता है। आधुनिक सुविधाओं सहित मसूरी एवं नैनीताल के अछूते सौन्दर्य, हिमाच्छादित शिखरों के प्राचीन सौन्दर्य, नदियों एवं पर्वतों सहित उत्तरांचल पर्यटकों को वह सभी प्रदान करता है जिसकी एक पर्यटक आनन्द प्राप्ति के लिए चाह कर सकता है।