Author Topic: Devalgarh An Introduction - देवलगढ़: एक परिचय  (Read 24599 times)

सन्दीप काला

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देवलगढ़, श्रीनगर से खिरसू मार्ग पर लगभग १६-१७ किलोमीटर दूर
स्थित हैं ,जिसकी अपनी एक प्राचीन मान्यता है ।








सन्दीप काला

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #1 on: June 30, 2008, 06:13:35 PM »
देवलगढ़

यह परिसर गढ़वाली विरासत की सुषमा खासकर उसकी प्राचीन वास्तुकला का दर्शन कराता है। देवलगढ़ का नाम इसके संस्थापक कांगड़ा शासक देवल के नाम पर पड़ा है तथा इस भूमि को गौड़ माता का आशीर्वाद प्राप्त है। देवी के आशीर्वाद प्राप्त कुबेर ने इस मंदिर का निर्माण किया। इसके प्रारंभिक इतिहास के बारे में बहुत कुछ जानकारी नहीं है सिवा इसके कि इस परिसर में पांच मंदिर थे।

अजय पाल ने जब अपनी राजधानी को चांदपुर गढ़ी से देवलगढ़ स्थानांतरित की तब से ही देवलगढ़ की ख्याति हुई। यह वर्ष 1506 से पहले के बीच राजधानी रही जब फिर से इसे श्रीनगर वर्ष 1506-1519 ले जाया गया उसके बाद भी राजा ने गर्मियों में देवलगढ़ तथा जाड़ों में श्रीनगर में रहना जारी रखा।

अजय पाल देवलगढ़ के निकट रहने वाले नाथ योगी, सत्यनाथ का शिष्य था। अजय पाल ने पांच मंदिरों से पत्थर निकालकर अपना राजमहल बनवाया। मूल राजमहल तीन मंजिला है। ऊपरी मंजिल पर शनि को समर्पित एक मंदिर है, बीच की मंजिल पर राजा एवं उनका परिवार रहता है एवं नीचे की मंजिल पर नौकर-चाकर रहते हैं। देवलगढ़ मंदिर समिति के महासचिव श्री कुलिक प्रसाद उन्नियाल के अनुसार पंवार राजा श्री विद्या के भक्त थे जो श्री यंत्र से पालित होता था। अजय पाल ने श्री यंत्र को चंद्रपुर गढ़ी से लाकर अपने घर में यहां स्थापित कर दिया। यह अब भी महाकाली यंत्र एवं महाकालेश्वर यंत्र के साथ वहीं स्थित है।

 

राज परिवार के इष्टदेवता बद्रीनाथ थे एवं कुलदेवी राजराजेश्वरी थी जो श्री विद्या के प्रतीक थे। राजा एवं उनके दरबारी उनकी, कुलदेवी की तरह पूजा करते थे। उनकी शक्ति ऐसी थी कि वे जो श्री विद्या के साथ उनकी तुष्टि करता, उसे वह भोग, योग एवं मोक्ष प्रदान करने में समर्थ थी। देवी राजराजेश्वरी की प्रतिमा देवलगढ़ के 18 कमरे वाले घर के अंदर स्थित है जहां कभी राज परिवार रहता था।

देवलगढ़ का दूसरा मंदिर, भगवती गौरादेवी को समर्पित है। ये पास के एक गांव, सुमारी के काला परिवार की कुलदेवी हैं। मूलरूप में मंदिर सुमारी में स्थित था तथा बैशाखी के दिन अपने खंभों सहित उसे लाया गया। बैशाखी के उस दिन बड़े मेला का आयोजन होता है जब गौरा देवी को हिंडोला पर मंदिर से बाहर लाया जाता है।

         

पहले वैशाखी मेले का भारी महत्त्व होता था। इस समय फसलें कटने का त्योहार मनाया जाता है तथा पुराने जमाने में लोग गेहूं के ताजे पिसे आटे से रोटियां सेंककर मंदिर में चढ़ाते थे। इस मेले में हजारों की भीड़ होती है। आज नौकरी की तलाश में इतने लोग यहां से पलायन कर गये हैं कि मेले का महत्त्व समाप्त हो गया है। फिर भी यहां मेले में आने वाले दूकानदारों द्वारा परंपरागत पापड़ी एवं जलेबियां बनायी जाती है, जिसके लिये देवलगढ़ प्रसिद्ध था।

देवलगढ़ में अन्य उल्लेखनीय भवन है-थोड़ी ऊंची जगह पर स्थित सोम-की-डंडा या राजा का चबूतरा। वर्गाकार भवन के पत्थर की दीवारों पर पाली भाषा के लेख अंकित हैं। कहा जाता है कि इस ढांचे से ही राजा अजय पाल न्याय करता था तथा खुदे लेख वास्तव में उसके द्वारा किये गये फैसले ही हैं। नीचे राजा का कार्यालय बना था।

देवलगढ़ का यह महत्त्वपूर्ण परिसर अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन प्रबंधन में है।

सन्दीप काला

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #2 on: June 30, 2008, 06:14:12 PM »
सडक पर उतर कर बाँयी ओर पहाड़ी पर कच्चा पैदल मार्ग है,
जहाँ से चल कर कुछ दूरी पर माँ गौरा देवी का प्राचीन मन्दिर है ,
थोड़ा और ऊपर जाने पर माँ राजराजेश्वरी का मन्दिर है ।












सन्दीप काला

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #3 on: June 30, 2008, 06:14:35 PM »
माँ राजराजेश्वरी




मन्दिर का द्वार










सन्दीप काला

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #4 on: June 30, 2008, 06:15:04 PM »
माँ गौरा देवी का मन्दिर




मन्दिर का आँगन



Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #5 on: June 30, 2008, 06:17:51 PM »
1 cheej to hai Uttarakhand main saare mandiron ki banavat vaastukaari 1 jaisi hai. +1 karma is exclusive info ke liye.

हेम पन्त

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #6 on: June 30, 2008, 06:23:27 PM »
काला जी बहुत अच्छे!!! हम अज्ञानियों को इस महत्वपूर्ण स्थान से परिचित कराने के लिये आपका धन्यवाद....

सन्दीप काला

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #7 on: June 30, 2008, 06:26:36 PM »
धन्यवाद आपका ।

सन्दीप काला

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #8 on: June 30, 2008, 06:26:56 PM »
कुछ और तस्वीरें देवलगढ़ से





सन्दीप काला

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Re: देवलगढ़-एक परिचय
« Reply #9 on: June 30, 2008, 06:27:14 PM »




 

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