द्वारहाट तो बनना था द्वारिका
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कहते है कि यहाँ पर द्वारिका बनाने के तजवीज देवताओ ने ठहराई थी और कोशी व् रामगंगा आज्ञा हुई की दोनों नदिया द्वाराहाट में मिले! इस बात की खबर गगास की तरफ से रामगंगा को देने को गिवाड में, छानागाव के पास सेमल पेड़ ठहराया गया! जिस वक्त रामगंगा को लौटने के रास्ते पर पहुची थी, कहते है के सेमल का पेड़ सो गया उसकने गगास का संदेशा रामगंगा से नहीं कहा! जब राम गंगा गिवाड को चली गयी, तब सेमल पेड़ जागा और राम गंगा से गगास की बाते कही, किन्तु रामगंगा ने कहा, अब उनका लौटना संभव नहीं !
पहले से मालूम होती तो दूसरी बात थी! इस कारण द्वाराहाट में द्वारिका नहीं बन सकी
! उस दिन से संदेशा देने में जो देरी या सुस्ती करे , उसे सेमल का पेड़:" कहते है! साभार -
कुमाऊ का इतिहास किताब - पेज नंबर ६६