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गोपेश्वर (चमोली)। एक ओर राज्य सरकार चाल-खाल के संरक्षण के दावे कर रही है, दूसरी ओर श्रीबदरीनाथ धाम में स्थित शेषनेत्र झीलें संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खोती जा रही हैं। नगर पंचायत बदरीनाथ कई बार इन झीलों के सुंदरीकरण का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज चुकी है, लेकिन इसे स्वीकृति नहीं मिल रही है। हैरत की बात यह है कि खुद पुलिस महकमा ही झील की जमीन पर अवैध तरीके से अतिक्रमण कर रहा है।
बद्रिकाश्रम क्षेत्र में नर पर्वत की तलहटी पर दो झीलें स्थित हैं। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु अलकनंदा नदी के दूसरे छोर पर स्थित नारायण पर्वत पर तपस्या के लिए गए, तो उन्होंने शेषनाग से कहा कि वे नर पर्वत पर ही रुकें और तपस्या पूर्ण होने तक नारायण पर्वत की ओर न आएं। शेषनाग विष्णु भगवान के इस निर्णय को सुनकर भावुक हो उठे और उनकी आंखों से आंसू झलक पड़े। कहते हैं कि उनकी आखों से निकले आंसुओं से ही नारायण पर्वत की तलहटी पर आसपास स्थित दो झीलों का निर्माण हुआ, जिन्हें शेषनेत्र झीलों के नाम से जाना गया। वर्तमान में इन दोनों झीलों के पास एक बड़ा पत्थर स्थित है जिस पर आंखनुमा संरचना बनी हुई है, जिसे शेषनाग की आंख कहा जाता है। धार्मिक महत्व के बावजूद राज्य सरकार इन दोनों झीलों के संरक्षण पर ध्यान नहीं दे रही है।
नगर पंचायत ने 53 नाली 12 मुट्ठी क्षेत्रफल में स्थित इन झीलों के संरक्षण के लिए लगभग 73 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है, लेकिन अभी तक उसे स्वीकृति प्रदान नहीं मिली है। सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस विभाग झील की भूमि के एक हिस्से को अपना बताकर उस पर अतिक्रमण कर रहा है, जिसे लेकर स्थानीय लोगों में रोष है। संरक्षण के अभाव में ये दोनों झीलें सूखने की कगार पर हैं।