Author Topic: Hill Station Chamba Tehri Garhwal Uttarakhand-चम्बा टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड  (Read 29139 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
दोस्तों चंबा टिहरी गढ़वाल का एक प्रशिध पर्यटन स्थल की ओर काफी विकसित होने जा रहा है,मैदानी भागों में तपिश चरम पर है और बच्चों के स्कूल भी खुलने को हैं। जो लोग रह गए, वे बचे हुए समय में कहीं न कहीं निकलने की योजना बना रहे होंगे।

 आप लोगों के पास हिल स्टेशनों की एक लंबी चौडी लिस्ट होगी। लेकिन कई लोग इस संशय में होंगे कि ये हिल स्टेशन उनकी जेब के मुताबिक मुफीद होंगे या नहीं। खैर कोई बात नहीं, यदि आप सीमित बजट में खूबसूरत हिल स्टेशन की सैर करना चाहते हैं तो पैक कीजिए अपना सामान और बिना किसी झिझक के चले आइए चंबा।

आम तौर पर चंबा का नाम आते ही लोगों के जेहन में हिमाचल की ही तस्वीर उभर कर सामने आती है, लेकिन यदि आप उत्तराखंड आएं तो यहां भी आप चंबा के दर्शन कर सकते हैं। इस चंबा की खूबसूरती भी देखते ही बनती है।

 फर्क सिर्फ इतना है कि हिमाचल का चंबा पर्यटन के नक्शे पर अपना मुकाम बना चुका है जबकि उत्तराखंड में स्थित चंबा अभी अपनी जगह बनाने की कोशिश में है।



 M S JAKHI

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
मसूरी, ऋषिकेश, नई टिहरी, धरासू और उत्तरकाशी की सडकों के बीच स्थित चंबा छोटा किंतु मनोहारी पर्यटन स्थल है। गंगोत्री जाने वाले पर्यटक और तीर्थयात्रियों को चंबा के दर्शन करने का मौका मिलता है।

 देवदार और बुरांश के घने जंगलों के बीच चंबा प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग सरीखा है क्योंकि हिमालय के सभी शिखरों को चंबा के आसपास से आप आसानी से देख सकते हैं। बंदरपुंछ और भागीरथी शिखरों के दृश्य हर किसी को लुभाते हैं।

 गर्मी में जंगली गुलाब, जलीय पौधे और मौसमी फल यहां बहुतायत में मिलते हैं। चंबा मौसमी फलों के लिए भी मशहूर है क्योंकि यहां का एक इलाका फल पट्टी के रूप में जाना जाता है। वन्य प्रेमियों के लिए भी ये क्षेत्र एक आदर्श स्थान है।

लंगूर, जंगली बिल्ली, लोमडी, खरगोश के अलावा चंबा के इर्द गिर्द के क्षेत्रों में काले भालू भी देखने को मिलते हैं। टिहरी झील के बनने से इस स्थान का आकर्षण कुछ ज्यादा ही बन गया है क्योंकि टिहरी की झील यहां से ज्यादा दूर नहीं है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                         चम्बा का  एतिहासिक विवरण
                   ======================

इतिहास में बावन गढ़ों के नाम से प्रसिद्ध गढ़वाल के वीरों की गाथाएं प्रदेश और देश की सीमाओं में नहीं बंधी हैं। गढ़ योद्धाओं की वीरता की गूंज फ्रास के न्यू चैपल समेत इटली से लेकर ईरान तक सुनी जा सकती है। क्रूर मौसम भले ही खेत में खड़ी फसलों को चौपट कर दे, लेकिन रणबाकुरों की फसल से यहा की धरती हमेशा ही लहलहाती रही है।

उत्तराखंड के टिहरी जिले के चंबा ब्लाक के गावों की भूमि इसकी तस्दीक करती है कि दुनिया के इतिहास को बदलने में इनकी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यही वह भूमि है जहा प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान न्यू चैपल के नायक रहे विक्टोरिया क्रास विजेता शहीद गबर सिंह ने जन्म लिया था।

चंबा कस्बे से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर बसे स्यूटा गाव को ही लें। यहा के रणबाकुरे लगभग एक सदी से लगातार विजय की नई इबारत लिख रहे हैं।

प्रथम विश्व युद्ध में गाव से 36 जाबाज शामिल हुए, जिसमें से चार शहीद हो गए थे। तब से लेकर आज तक इस गाव के अधिकाश युवक सेना में रहकर देश की सेवा में लगे हैं।

 वैसे तो गढ़वाल के कई क्षेत्रों से लोग प्रथम विश्व युद्ध से लेकर आजाद हिंद फौज और देश स्वतंत्र होने के बाद सेना में शामिल होकर देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन स्यूटा गाव इसलिए महत्वपूर्ण है कि एक ही गाव से एक बार में इतनी बड़ी संख्या में लोग युद्ध में शामिल नहीं हुए।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना की ओर से लड़ते हुए न्यू चैपल लैंड में गाव के जगतार सिंह, छोटा सिंह, बगतवार सिंह और काना सिंह शहीद हो गए। इस गाव के जाबाज सिपाहियों ने प्रथम ही नहीं द्वितीय विश्व युद्ध में भी जर्मन सेना को धूल चटाने में कोई कमी नहीं रखी। इस युद्ध में भी स्यूटा के 10 जवान शामिल हुए, जिसमें से बैशाख सिंह और लाभ सिंह रणभूमि में काम आए।

यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, 1962 के भारत-चीन युद्ध में शामिल होने वाले यहा के जाबाजों की संख्या 40 तक पहुंच गई थी। इस लड़ाई में सते सिंह पुंडीर शहीद हुए। अस्सी के दशक में तो 132 परिवार वाले गाव में हर परिवार से औसतन एक सदस्य सेना में था।

आज भी गाव में 45 लोग सेना के पेंशनर हैं और 25 लोग सेना और दूसरे सुरक्षा बलों में सिपाही से लेकर डीआईजी तक हैं। गाव के प्रधान रहे सेवानिवृत्त 80 वर्षीय कैप्टन पीरत सिंह पुंडीर बताते हैं कि 1946 में जब वे सेना में शामिल हुए तो तब तक द्वितीय विश्व युद्घ समाप्त हो चुका था।

 उन्होंने 1962, 1965 और 1971 की लड़ाई लड़ी और इसमें भी गाव के कई लोग शामिल हुए। स्यूटा गाव से लगे मंजूड़ गाव के भी 11 जाबाज प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुए।

विक्टोरिया क्रास विजेता गबर सिंह नेगी इसी गाव के थे। इसी तरह से स्यूटा से कुछ ही दूर पर स्थित बमुंड पट्टी के जड़दार गाव के 16 रणबाकुरे प्रथम विश्व युद्ध में शामिल हुए थे। इसलिए स्यूटा गाव को लोग आज भी फौजी गाव भी कहते हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                                            चंबा बर्ड वाचिंग के शौकीनों का केंद्र है
                                                ======================


चंबा बर्ड वाचिंग के शौकीनों के लिए भी एक आदर्श स्थान है। बिना किसी दूरबीन की सहायता के अलग-अलग तरह के पक्षियों को करीब से निहारना ही चंबा की सबसे बडी खासियत है।

 इस छोटे से कस्बे के इर्द गिर्द के इलाकों में हडियाल, कबूतर, कस्तूरिका, बकवादी पक्षी और कठफोडवा सामान्य रूप में पाए जाते हैं। चंबा की सबसे बडी खासियत यह है कि मसूरी और टिहरी जैसे हिल स्टेशनों के बहुत करीब होते हुए भी इस छोटे से शांत कस्बे ने अपने ग्रामीण परिवेश को आज भी संजो रखा है। यही वजह है जब सैलानी यहां पहुंचते हैं तो उन्हें शहर के कोलाहल से कुछ समय के लिए शांति और सुकून मिलता है।

 चंबा उन जगहों में एक है जहां आप आसानी से कुछ दिन बिता सकते हैं। सूर्यास्त का नजारा भी यहां से विस्मयकारी है। यहां का बागेश्वर मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है। मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है।

 इस मंदिर में स्थापित लिंग पौराणिक और स्वयंभू है। चंबा और इसके आसपास देखने योग्य कई अन्य जगहें भी हैं- प्राचीन सुरकंडा देवी मंदिर यहां से एक घंटे में पहुंचा जा सकता है तो नई टिहरी जैसा खूबसूरत मास्टर प्लान शहर यहां से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर है जहां से टिहरी बांध और वहां फैलाव लिए हुए झील को आसानी से देखा जा सकता है।

 घने देवदार वृक्षों के बीच खूबसूरत धनोल्टी भी यहां से बहुत करीब है। धनोल्टी का आर्कषण पर्यटकों को लुभाता है। चंबा के नजदीक ही रानीचौरी नामक स्थान है जहां पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय का कैंपस लोगों के आकर्षण का केंद्र है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
कृषि वैज्ञानिकों की बनाई फूलों की वाटिका यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को लुभाती है, साथ ही यहां पर अंगूरा ऊन का केंद्र भी है जहां दूर-दूर से लोग पहुंचकर अंगूरा ऊन खरीदते हैं। सुंदर मौसम और आसपास के मनोहारी दृश्य इसे एक आकर्षक पर्यटन स्थल बनाने के लिए काफी हैं।

 चंबा छुट्टियां बिताने के लिए उन आरामदायक स्थानों में से एक है जहां पहुंचकर आप अद्भुत शांति प्राप्त कर सकते हैं। देवदार, बांज व बुरांश के पेड और इनसे बहने वाली ठंडी हवाएं और मनोरम दृश्य यहां पहुंचने वालों को आकर्षित करते हैं।



Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                                           कैसे पंहुचें  चम्बा टिहरी गढ़वाल
                                         ===================

देहरादून का जौली ग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है। हरिद्वार या ऋषिकेश नजदीकी रेलवे स्टेशन है। देश के किसी भी कोने से आप हवाई या रेल मार्ग के जरिए इन स्थानों पर पहुंच सकते हैं। इसके बाद चंबा तक बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।

 हरिद्वार से चंबा करीब 92 किलोमीटर और ऋषिकेश से 62 किलोमीटर की दूरी पर है। मसूरी से चंबा की दूरी 105 किलोमीटर है। गर्मियों में यहां का तापमान 15 से 30 डिग्री और जाडों में 8 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड के करीब होता है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                                   कहाँ ठहरें चम्बा टिहरी गढ़वाल
                                       
यूं तो चंबा में गढवाल मंडल विकास निगम का पर्यटक आवास गृह भी है लेकिन अब इस कस्बे ने अपना आकार बढा लिया है और जब से गंगोत्री और यमुनोत्री आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है तब से यहां छोटे-छोटे होटल भी खुल गए है,

 जो पर्यटकों को आसानी से सस्ते दामों पर मिल जाते हैं। कुल मिलाकर चंबा हर किसी की जेब के लिए मुफीद हिल स्टेशन है जहां आप आसानी से कुछ दिन फुर्सत से बिता सकते हैं, बिना किसी टेंशन के।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                       चंबा हिल



यह समुद्र ताल से करीब १६७६ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है , यह टेहरी गढ़वाल का सबसे सुन्दर स्थान है | मंसूरी से इसकी दूरी करीब ६० किलोमीटर है | नरेंद्र नगर से चंबा तक का सफ़र बहुत ही खुशगवार होता है |

नरेंद्र नगर से इसकी दूरी करीब ४५ किलोमीटर है | रास्ते भर में आप हिमालय के दर्शन करते हैं और कलकल करती हुई भागीरथी नदी आपका मन मोह लेती है | इतनी स्वच्छ , इतनी उजली , विश्वास ही नहीं होता | लगता है कोई सपना देख रहे हैं |

बादल हमें छू छू कर जा रहे थे | हमारे देश में इतनी खूबसूरती भरी हुई है कि बस देखते ही बनता है |

श्रीनगर की घाटियों जैसा ही था यह रास्ता | पहाड़ तो पहाड़ ही होते हैं फिर चाहे वह कश्मीर हो या चंबा | बादल क्या कभी किसी में फर्क करते हैं ?
कश्मीर , तेरे लिए दिल रोता है | गोलियों के शोर से पिघलती सरहदें , सर्द जज्बातों का शहर |



Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
                            चंबा, धनौल्टीः पर्वत और पेड़ों से बर्फ की अठखेलियां

मसूरी-टिहरी मार्ग पर स्थित है शांत एवं सुरम्य पर्वत स्थल 'धनौल्टी'। देवदार, बॉज बुरॉस और चीड़ के घने वनों से
घिरी है यह जगह।

टिहरी-गढ़वाल जनपद के अंर्तगत आने वाला यह मनोरम पर्यटक केन्द्र समुद्र तट से लगभग 2300 मी. की ऊंचाई पर है। धनौल्टी को देखकर लगता है, जैसे प्रकृति ने अपनी छटा के सभी रंग इस क्षेत्र में बिखेर दिए हैं। जो पर्यटक मात्र प्रकृति की गोद में विचरण के उद्देश्य से कहीं घूमने जाते हैं, उनके लिए यह जगह स्वर्ग के समान है।

धनौल्टी एक पर्यटक केन्द्र के रूप में पिछले 10-12 सालों में विकसित हुआ है। महानगरों के भीड़ भरे कोलाहलपूर्ण एवं प्रदूषित वातावरण से दूर यहां की शीतल ठंडी हवाओं का साथ पर्यटकों को फिर तरोताजा बना देता है।

 यहां के ऊंचे पर्वतों व घने वनों का नैसगिर्क एवं सुरम्य वातावरण धनौल्टी का मुख्य आकर्षण है। यहां स्थित आकाश को छूते देवदार के वृक्ष किसी कवि की कल्पना से भी आकर्षक और धनौल्टी के आभूषण हैं।

आजादी से पहले तक धनौल्टी पर्यटन स्थल नहीं था। यहां टिहरी नरेश का इस्पेक्शन बिल्डिंग होती थी। सन् 1950 में टिहरी नरेश की रियासत के राज्य में सम्मिलित होने के बाद यह बिल्डिंग तहसील के रूप में कार्य करने लगी।

 धनौल्टी तहसील में नायब तहसीलदार के संरक्षण में सभी सरकारी कार्य होते हैं। सर्दियों में धनौल्टी में अत्यधिक ठंड और बर्फबारी होने की वजह से यह तहसील थत्यूड़ (ब्लाक मुख्यालय में स्थानांतरित हो जाती है। धनौल्टी में सरकारी कार्यालय के नाम पर तहसील के अतिरिक्त एक बैंक, एक छोटा पोस्ट ऑफिस और एक जूनियर हाईस्कूल ही हैं। इंटर कॉलिज यहां से चार कि.मी. दूर भवान में स्थित है। धनौल्टी की मूल आबादी मात्र 400-500 है।

 ये सभी गढ़वाली लोग हैं, जो आसपास के गांवों से यहां आकर बस गए हैं। प्रत्येक वर्ष ग्रीष्म ऋतु में लगभग 25-30 हजार से अधिक पर्यटक धनौल्टी में डेरा डालते हैं। धनौल्टी में ठहरने के स्थान बहुत सीमित होने की वजह से पर्यटकों को कई बार रात बिताने मसूरी वापस जाना पड़ता है।

सर्दियों में धनौल्टी में 2-3 फुट तक बर्फ पड़ती है तथा आम जीवन लगभग असाध्य हो जाता है। कई बार तो यहां एक सीजन में 8-10 बार तक बर्फ पड़ती है। अत: पर्यटन की दृष्टि से मई, जून एवं अक्तूबर के महीने धनौल्टी जाने के लिए सर्वोत्तम कहे जा सकते हैं। हालांकि कई पर्यटक बर्फ देखने के उद्देश्य से नवम्बर-दिसम्बर में भी इस स्थान का विचरण करते हैं।

यहां तक पहुंचने के लिए मसूरी से बस, जीप, टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या फिर निजी वाहन से भी वहां जा सकते हैं, लेकिन आपको खड़े पहाड़ों पर चढ़ाई का अनुभव होना चाहिए।



 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22