शिव प्रसाद डबराल जी द्वारा लिखित "उत्तराखण्ड का इतिहास" में कटारमल के मंदिर निर्माण का वर्णन किया है-
कटारमल्ल देव (१०८०-९० ई०) ने अल्मोड़ा से लगभग ७ मील की दूरी पर बड़ादित्य (महान सूर्य) के मंदिर का निर्माण किया था। उस गांव को, जिसके निकट यह मंदिर है, अब कटारमल तथा मंदिर को कटार्मल मंदिर कहा जाता है। यहां के मंदिर पुंज के मध्य में कत्यूरी शिखर वाले बड़े और भव्य मंदिर का निर्माण राजा कटारमल्ल देव ने कराया था। मंदिर में सूर्य की उदीच्य प्रतिमा है, जिसमें सूर्य को बूट पहने हुये खड़ा दिखाया गया है।
मंदिर की दीवार पर तीन पंक्तियों वाला शिलालेख, जिसे लिपि के आधार पर राहुल सांस्कृत्यायन ने दसवीं-ग्यारहवीं शती का माना है, अस्पष्ट हो गया है। इसमें राहुल जी ने ....मल्ल देव.... तो पढ़ा था, सम्भवतः लेख में मंदिर के निर्माण और तिथि के बारे में कुछ सूचनायें थी, जो अब अपाठ्य हो गई है।
मन्दिर में प्रमुख मूर्त बूटधारी आदित्य (सूर्य) की है, जिसकी आराधना शक जाति में विशेष रुप से की जाती है। इन मंदिरों में सूर्य की दो मूर्तियों के अलावा विष्णु, शिव, गणेश की प्रतिमायें हैं। मंदिर के द्वार पर एक पुरुष की धातु मुर्ति भी है, राहुल सांस्कृतायन ने यहां की शिला और धातु की मूर्तियों को कत्यूरी काल का बताया है।