Author Topic: My Uttarakhand Tour - मेरा उत्तराखंड भ्रमण  (Read 20558 times)

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
Re: Katarmal ka Surya Mandir
« Reply #30 on: May 01, 2008, 03:14:04 PM »
शिव प्रसाद डबराल जी द्वारा लिखित "उत्तराखण्ड का इतिहास" में कटारमल के मंदिर निर्माण का वर्णन किया है-

कटारमल्ल देव (१०८०-९० ई०) ने अल्मोड़ा से लगभग ७ मील की दूरी पर बड़ादित्य (महान सूर्य) के मंदिर का निर्माण किया था। उस गांव को, जिसके निकट यह मंदिर है, अब कटारमल तथा मंदिर को कटार्मल मंदिर कहा जाता है। यहां के मंदिर पुंज के मध्य में कत्यूरी शिखर वाले बड़े और भव्य मंदिर का निर्माण राजा कटारमल्ल देव ने कराया था। मंदिर में सूर्य की उदीच्य प्रतिमा है, जिसमें सूर्य को बूट पहने हुये खड़ा दिखाया गया है।
      मंदिर की दीवार पर तीन पंक्तियों वाला शिलालेख, जिसे लिपि के आधार पर राहुल सांस्कृत्यायन ने दसवीं-ग्यारहवीं शती का माना है, अस्पष्ट हो गया है। इसमें राहुल जी ने ....मल्ल देव.... तो पढ़ा था, सम्भवतः लेख में मंदिर के निर्माण और तिथि के बारे में कुछ सूचनायें थी, जो अब अपाठ्य हो गई है।
      मन्दिर में प्रमुख मूर्त बूटधारी आदित्य (सूर्य) की है, जिसकी आराधना शक जाति में विशेष रुप से की जाती है। इन मंदिरों में सूर्य की दो मूर्तियों के अलावा विष्णु, शिव, गणेश की प्रतिमायें हैं। मंदिर के द्वार पर एक पुरुष की धातु मुर्ति भी है, राहुल सांस्कृतायन ने यहां की शिला और धातु की मूर्तियों को कत्यूरी काल का बताया है।

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Re: Katarmal ka Surya Mandir
« Reply #31 on: May 30, 2008, 05:10:05 PM »
Sorry for the delay aaj se is topic pai kaam shuru ho jaaega.

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
Re: Katarmal ka Surya Mandir
« Reply #32 on: May 30, 2008, 05:26:45 PM »
जल्दी शुरु करो गुरुजी, हमें बेसब्री से इंतजार है।

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
चितई ग्वेल्ज्यु - Chitai Gweljyu
« Reply #33 on: June 01, 2008, 05:18:35 PM »
दोपहर वहाँ पहुँचने के बाद हमने मोहन दा जो गेस्ट हाउस के किचन इंचार्ज हैं को कहा की दाल भात पका दो उन्होंने बहुत जल्दी ही बहुत बढ़िया भोजन हमें परोस दिया खाना खा के हम कुछ देर प्रकृति के नजारे देखते रहे. फ़िर ऐसे ही आराम से शाम बिताते हुए हम रात को भोजन कर के सो गए.
अगले दिन सवेरे हम सबसे पहले ग्वेल्ज्यु के मन्दिर चितई दर्शन करने पहुँच गए. वहाँ अब बंदरों का बहुत आतंक हो गया है. चढावे की थाली किसी कपड़े से ढँक के ले जानी पड़ती है. ग्वेल्ज्यु के मन्दिर मैं दर्शन करने के बाद हम बाहर दूकान पी आ गए फ़िर वहाँ से हमने ग्वेल्ज्यु की कथा की CD और किताब खरीदी.


Raju Da material to itna hai ki abhi 1 hafta chalega tab tak yeh padhiye:

हम २३ मार्च २००८ की सुबह ५:३० बजे घर (दिल्ली से) निकले १० बजे हल्द्वानी - काठगोदाम रोड पर हमने वाटिका रेस्टौरेंट में नाश्ता किया, भीमताल, भवाली होते हुए हम अल्मोड़ा की तरफ़ रवाना हुए २:३० बजे दोपहर में हम अपने गंतव्य कटारमल में जीबी पन्त इन्स्टीच्युट ऑफ़ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड डेवेलपेमेंट के गेस्ट हाउस पहुँच गए. कोसी नदी के ऊपर स्थित इस गेस्ट हाउस से अल्मोड़ा का बहुत ही मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है.

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Re: चितई ग्वेल्ज्यु - Chitai Gweljyu
« Reply #34 on: June 01, 2008, 05:21:32 PM »
Gweljyu ke Mandir ka Pravesh dwar:


Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Re: चितई ग्वेल्ज्यु - Chitai Gweljyu
« Reply #35 on: June 01, 2008, 05:22:13 PM »
Mandir main latki hui arjian aur Ghantian:


Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Re: Jaageshwar Dhaam - जागेश्वर धाम
« Reply #36 on: June 01, 2008, 05:36:40 PM »
चितई से हम जागेश्वर जो वहाँ से ३२ किलोमीटर है रवाना हो गए. रास्ता बहुत ही मनोरम था क्यूंकि हम मार्च आखरी मैं गए थे टू टूरिस्ट का बहुत ज्यादा आवागमन नही था. जागेश्वर जी के रास्ते मैं ८ किलोमीटर पहले हमें १ रास्ता ऊपर वृद्ध जागेश्वर जी के लिए जाते हुए दिखा. हमने पहले जागेश्वर जी जाने का ही निश्चय किया. घने देव्दारों के जंगल से घिरा हुआ जागेश्वर धाम अपने आप मैं १ बहुत ही अनूठा अहसास करता है. कल कल बहती हुई नदी और उसके बगल मैं जागेश्वर जी का धाम. जागेश्वर धाम का अपना ऐतिहासिक महत्व भी है काफ़ी लोग इसे १२ ज्योतिर्लिंगों मैं से १ मानते हैं. भगवान् भोलेनाथ का महामृत्य्न्जय रूप मैं मन्दिर हिन्दुस्तान मैं केवल जागेश्वर धाम मैं ही है. यहाँ ४ मुख्य मन्दिर हैं महामृत्य्न्जय जी, जागेश्वर जी, दुर्गा माँ और केदारनाथ जी. कहा जाता है की केदारनाथ जी का १ रूप यहाँ भी निवास करता है. 

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Shri Jaageshwar ji Dhaam:


Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Jaageshwar Dhaam main Dakshinmukhi Hanumaan ji:


Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
Saparivaar main Jaageshwar Dhaam main:


 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22