Author Topic: Nainital - नैनीताल  (Read 75537 times)

पंकज सिंह महर

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #40 on: November 05, 2007, 05:23:06 PM »
 
हनुमानगढ़ी :

नैनीताल में हनुमानगढ़ी सैलानी, पर्यटकों और धार्मिक यात्रियों के लिए विशेष, आकर्षण का केन्द्र है। यहाँ से पहाड़ की कई चोटियों के और मैदानी क्षेत्रों के सुन्हर दृश्य दिखाई देते हैं। हनुमानगढ़ी के पास ही एक बड़ी वेद्यशाला है। इस वेद्यशाला में नक्षरों का अध्ययन कियी जाता है। राष्ट्र की यह अत्यन्त उपयोगी संस्था है।

नैनीताल की सौन्दर्य - सुषमा अद्वितीय है। नैनीताल नगर भारत के प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है। उत्तर - पूर्व रेलवे स्टेसन काठगौदाम से नैनीताल ३५ कि. मी. की दूरी पर स्थित है। आगरा, लखनऊ और बरेली को काठगोदाम से सीधे रेल जाती है।

हवाई - जहाज का केन्द्र पन्त नगर है। नैनीताल से पन्त नगर की दूरी ६० कि. मीटर है। दिल्ली से यहाँ के लिए हवाई यात्रा होती रहती है।

नैनीताल जिले में कई  स्थान ऐसै हैं, जहाँ बसों द्वारा आना - जाना रहता है। हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर, रामनगर, किच्छा और पन्त नगर आदि नैनीताल में ऐसै उभरते हुए नगर हैं, जिनमें बसों के माध्यम से प्रतिदन सम्पर्क बना रहता है।

नैनीताल नगर निरन्तर फैलता ही जा रहा है। आज यह नगर ११ - ७३ वर्ग किलोमीटर में फैला हूआ है। पर्वतारोहण, पदारोहण जैसे आधुनिक आकर्षणों के कारण, यहाँ का फैलाव नित नये ढ़ंग से हो रहा है। 'कुमाऊँ' विश्वविद्यालय के मुख्यालय होने के कारण भी यहाँ नित नयी चहल - पहल होती है। नैनीतान में कई संस्थान हैं। पर्ववतारोहण की संस्था भी यहाँ की एक शान है।





पंकज सिंह महर

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #41 on: November 22, 2007, 02:19:06 PM »
1- Raj bhawan
2- Raj bhawan view 2
3- Fllates
4- Lake view from china peak

पंकज सिंह महर

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #42 on: November 22, 2007, 02:25:24 PM »
1- naini lake
2- the mall
3- mata naina devi

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #43 on: November 22, 2007, 02:32:16 PM »
Mahar ji welcome back. Thanks for all the great info regarding Nainital.

पंकज सिंह महर

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #44 on: November 27, 2007, 08:37:46 PM »
नैनीताल
नैनीताल भारत के उत्तर मे स्थित "उत्तरान्चल" नामक प्रदेश का सब से प्रसिद्ध शहर है। मूलतया ये शहर अन्ग्रेजो के जमाने मे पर्वतीय स्थान के रूप में प्रसिद्ध हुआ. यहां नैना देवी का एक मन्दिर है. नगर के बीचोंबीच एक झील भी है जिस की आकृति देवी की आंख यानि “नैन” जैसी है. इसी झील (ताल) के कारण इस स्थान का नाम नैनीताल पडा. नैनीताल आज भारत के अग्रणी पर्वतीय स्थलों में से है. हर साल यहां गर्मियों में पर्यटक प्रकृति का आनंद उठाने आते हैं.

   कैसे पहुंचें
निकटतम रेलवे स्टशन : काठ्गोदाम (35 किलोमीटर)
निकटतम हवाई अड्डा : पंतनगर (70 किलोमीटर)
निकटतम राजमार्ग : नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 87 पर है.


कुछ प्रमुख शहरों से नैनीताल की सडक द्वारा दूरी:

अलमोडा 64
पिथोरागढ 186
रानीखेत 62
चंपावट 160
कसौनी 117
काठगोदाम 34
हल्द्वानी 40
लालकुआं 60
रामनगर 65
बरेली 140
लखनऊ 400
आगरा 403
दिल्ली 310
देहरादून 300
हरिद्वार 245
बद्रीनाथ 334


"http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A5%88%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B2" से लिया गया

पंकज सिंह महर

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #45 on: November 27, 2007, 08:43:41 PM »
पुराना नैनीताल देखना है?????????
 इस http://www.nainitaltourism.com/old_pic.html को क्लिक करिये, देखना जरुर, मजा नहीं आया तो सारे पैसे वापस.... ;D  ;D  :o

Rajen

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #46 on: November 28, 2007, 10:45:58 AM »
नैनीताल की खोज:

सन् १८३९ ई. में एक अंग्रेज व्यापारी पी. बैरन था। वह रोजा, जिला शाहजहाँपुर में चीनी का व्यापार करता था। इसी पी. बैरन नाम के अंग्रेज को पर्वतीय अंचल में घूमने का अत्यन्त शौक था। केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने के बाद यह उत्साही युवक अंग्रेज कुमाऊँ की मखमली धरती की ओर बढ़ता चला गया। एक बार खैरना नाम के स्थान पर यह अंग्रेज युवक अपने मित्र कैप्टन ठेलर के साथ ठहरा हुआ था। प्राकृतिक दृश्यों को देखने का इन्हें बहुत शौक था। उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से जब 'शेर का डाण्डा' इलाके की जानकारी प्राप्त की तो उन्हें बताया गया कि सामने जो पर्वत हे, उसको ही 'शेर का डाण्डा' कहते हैं और वहीं पर्वत के पीछे एक सुन्दर ताल भी है। बैरन ने उस व्यक्ति से ताल तक पहुँचने का रास्ता पूछा, परन्तु घनघोर जंगल होने के कारण और जंगली पशुओं के डर से वह व्यक्ति तैयार न हुआ। परन्तु, विकट पर्वतारोही बैरन पीछे हटने वाले व्यक्ति नहीं थे। गाँव के कुछ लोगों की सहायता से पी. बैरन ने 'शेर का डाण्डा' (२३६० मी.) को पार कर नैनीताल की झील तक पहुँचने का सफल प्रयास किया। इस क्षेत्र में पहुँचकर और यहाँ की सुन्दरता देखकर पी. बैरन मन्त्रुमुग्ध हो गये। उन्होंने उसी दिन तय कर ड़ाला कि वे अब रोजा, शाहजहाँपुर की गर्मी को छोड़कर नैनीताल की इन आबादियों को ही आबाद करेंगे।


                                                                                                     जारी   है....

Rajen

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #47 on: November 28, 2007, 10:52:04 AM »
पी. बैरन 'पिलग्रिम' के नाम से अपने यात्रा - विवरण अनेक अखबारों को भेजते रहते थे। बद्रीनाथ, केदारनाथ की यात्रा का वर्णन भी उन्होंने बहुत सुन्दर शब्दों में लिखा था। २४ नवम्बर सन् १८४१ को कलकत्ता के 'इंगलिश मैन' नामक अखबार में पहले - पहले नैनीताल के ताल की खोज खबर छपी थी। बाद में आगरा अखबार में भी इस बारे में पूरी जानकारी दी गयी थी। सन् १८४४ में किताब के रुप में इस स्थान का विवरण पहली बार प्रकाश में आया था। बैरन साहब नैनीताल के इस अंचल के सौन्दर्य से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने सारे इलाके को खरीदने का निश्चय कर लिया। पी बैरन ने उसे इलाके के थोकदार से स्वयं बातचीत की कि वे इस सारे इलाके को उन्हें बेच दें।
 

                                                                                        आगे और है....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #48 on: November 28, 2007, 10:53:54 AM »

Rajen JI,


Every exclusive information you are providing about Nainital. Thanx.


नैनीताल की खोज:

सन् १८३९ ई. में एक अंग्रेज व्यापारी पी. बैरन था। वह रोजा, जिला शाहजहाँपुर में चीनी का व्यापार करता था। इसी पी. बैरन नाम के अंग्रेज को पर्वतीय अंचल में घूमने का अत्यन्त शौक था। केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करने के बाद यह उत्साही युवक अंग्रेज कुमाऊँ की मखमली धरती की ओर बढ़ता चला गया। एक बार खैरना नाम के स्थान पर यह अंग्रेज युवक अपने मित्र कैप्टन ठेलर के साथ ठहरा हुआ था। प्राकृतिक दृश्यों को देखने का इन्हें बहुत शौक था। उन्होंने एक स्थानीय व्यक्ति से जब 'शेर का डाण्डा' इलाके की जानकारी प्राप्त की तो उन्हें बताया गया कि सामने जो पर्वत हे, उसको ही 'शेर का डाण्डा' कहते हैं और वहीं पर्वत के पीछे एक सुन्दर ताल भी है। बैरन ने उस व्यक्ति से ताल तक पहुँचने का रास्ता पूछा, परन्तु घनघोर जंगल होने के कारण और जंगली पशुओं के डर से वह व्यक्ति तैयार न हुआ। परन्तु, विकट पर्वतारोही बैरन पीछे हटने वाले व्यक्ति नहीं थे। गाँव के कुछ लोगों की सहायता से पी. बैरन ने 'शेर का डाण्डा' (२३६० मी.) को पार कर नैनीताल की झील तक पहुँचने का सफल प्रयास किया। इस क्षेत्र में पहुँचकर और यहाँ की सुन्दरता देखकर पी. बैरन मन्त्रुमुग्ध हो गये। उन्होंने उसी दिन तय कर ड़ाला कि वे अब रोजा, शाहजहाँपुर की गर्मी को छोड़कर नैनीताल की इन आबादियों को ही आबाद करेंगे।


                                                                                                     जारी   है....

Rajen

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Re: नैनीताल - QUEEN OF HILL STATION
« Reply #49 on: November 28, 2007, 11:09:41 AM »
 पहले तो थोकदार नूर सिंह तैयार हो गये थे, परन्तु बाद में उन्होंने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया। बैरन इस अंचल से इतने प्रभावित थे कि वह हर कीमत पर नैनीताल के इस सारे इलाके को अपने कब्ज में कर, एक सुन्दर नगर बसाने की योजना बना चुके थे। जब थोकदार नूरसिंह ने इस इलाके को बेचने से मना करने लगे तो एक दिन बैरन साहब अपनी किश्ती में बिठाकर नूरसिंह को नैनीताल के ताल में घुमाने के लिए ले गये। और बीच ताल में ले जाकर उन्होंने नूरसिंह से कहा कि तुम इस सारे क्षेत्र को बेचने के लिए जितना रू़पया चाहो, ले लो, परन्तु यदि तुमने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया तो मैं तुमको इसी ताल में डूबो दूँगा। बैरन साहब खुद अपने विवरण में लिखते हैं कि डूबने के भय से नूरसींह ने स्टाम्प पेपर पर दस्तखत कर दिये और बाद में बैरन की कल्पना का नगर नैनीताल बस गया। सन् १८४२ ई. में सबसे पहले मजिस्ट्रेट बेटल से बैरन ने आग्रह किया था कि उन्हें किसी ठेकेदार से परिचय करा दें ताकि  नैनीताल में बंगले बनवा सकें। सन् १८४२ में बैरन ने सबसे पहले पिलग्रिम नाम के कॉटेज को बनवाया था। बाद में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने इस सारे क्षेत्र को अपने अधिकार में ले लिया। सन् १८४२ ई. के बाद से ही नैनीताल एक ऐसा नगर बना कि सम्पूर्ण देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी सुन्दरता की धाक जम गयी।   

धन्यबाद

 

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