Author Topic: NARENDAR NAGAR,UTTARAKHAND,(नरेंद्रनगर,उत्तराखंड )  (Read 36295 times)

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  लेंटना,



ये कांटे दार झाडियाँ होती हैं इनमें जो फूल होते हैं ये बहुत सुन्दर होते हैं लेंटीना के फूल गर्मियों मैं खिलते हैं और ये उत्तराखंड के पड़ी इलाकों मैं पाए जाते हैं !

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स्थानीय जीव-जंतुओं में काकरी हिरण, बघीरा, हाथी, मोर, जंगली मुर्गी,   लंगूर तथा बंदर शामिल है। यहां लंगूरो एवं बंदरों की बहुलता है पर अन्य जानवर बहुत कम ही देखे जाते हैं। कीड़े-मकोड़े तथा तितलियों की विभिन्न प्रजातियां काफी हैं, पर उनकी संख्या शहरीकरण के कारण कम होती जा रही है।


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आंनदा एन द हिमालाया
वर्तमान राजा ने राजमहल एवं ढ़लानों सहित जंगल की जागीर को आतिथ्य कंपनी को लीज पर दे दिया जो आंनदा एन द हिमालाया चलाता है। यह जगह ही नरेन्द्र नगर जैसे छोटे स्थान को अंतर्राष्ट्रीय आतिथ्य के नक्शे पर ले आने के लिये जिम्मेदार है, जिसने कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किये हैं।

 राजमहल के प्रवेश द्वार पर प्रथम विश्व युद्ध के दो तोप दोनों किनारे पर रखी हैं। राजमहल नावनुमा भवन-निर्माण कला का नमूना है एवं यहां की दीवारें अब भी असली सहायता कार्यों को दर्शाती हैं।



राजपरिवार की पुरानी धरोहर पूरी तरह संरिक्षत है, जो आगंतुकों का अनुभव ही बढ़ाते हैं। इसके प्रमाण 100 वर्ष से ऊपर का बिलियर्ड टेबल है जो भारत की सबसे पुरानी वस्तुओं में से एक है तथा मूल स्केटिंग फर्श जहाँ अब भवन का सम्मेलन गृह है। यहाँ की दीवारों पर राज-परिवार के पूर्वजों एवं उनके विशिष्ट अतिथियों के चित्र अब भी टंगे हैं।


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यह आनंद, सम्मेलन तथा प्रबंधन विश्राम के लिए एक आदर्श स्थल हैं जहां विस्तारपूर्वक 150 अतिथियों की बैठक की सुविधा है। वायसराय के राजमहल में छत के ऊपर वोर्ड-रूम एवं चबूतरे मनोहारी हैं।

 एक उभयघर थियेटर, मंदिर तथा सुंदर सजे बागान हैं। साग-सब्जियों की छतरी सहित अमरिका से आयातित 6 छिद्रों युक्त एक गोल्फ मैदान है एवं निजी एवं पूरी तरह गाड़ी चलाना सीखने के लिए सम-त्रिकोणीय मार्ग में एक स्वतंत्र कार चालक क्षेत्र है। छोटा पर पूर्णतया निर्मित गोल्फ मैदान अपने हिमालयी धुरी पर चुनौतीपूर्ण ही है।

यद्यपि यहां का सबसे सस्ता कमरा भी साधारण पर्यटक की पहुँच से बाहर हो सकता है, पर यह स्थान घूमकर देखने, शांत वातावरण का आनंद उठाने तथा समय हो तो रेस्तरां में भोजन करने योग्य है।

 

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नंदी  बैल(NARENDAR NAGAR)




नरेन्द्र नगर को उत्तर भारत में भगवान शिव की सवारी नंदी बैल की सर्वाधिक बड़ी प्रस्तर-प्रतिमा रखने की विशिष्टता प्राप्त है। ऋषिकेश से आते हुए बाजार पार करने के बाद यह बायीं ओर स्थित है।
इस मूर्ति का निर्माण प्रसिद्ध गढ़वाली मूर्तिकार अवतार सिंह पंवार ने वर्ष 1960 में किया था तथा नगर पालिका द्वारा स्थापित किया गया।



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राधा  कृष्ण मंदिर,narendra nagar



यह मंदिर अन्य की तुलना में नया है इसकी स्थापना वर्ष 1960 में की गई थी। जिन प्रमुख देवी-देवताओं की यहां पूजा होती है उनमें राधा, कृष्ण, भगवान शिव, गणेश एवं हनुमान शामिल हैं। मंदिर के ठीक नीचे ताजे जल का एक श्रोत है। कहा जाता है कि एक  साधु तप के दौरान इस जल स्रोत को प्रतिदिन प्रकट कराते थे।


 पूजा के बाद जल स्रोत लुप्त हो जाता था। जब साधु की हत्या कर दी गई तब से ही यह जल श्रोत मौजूद है। यह जाड़ों में गर्म तथा गर्मियों में ठंढा होता है। अगर नगर पालिका से जल आपूर्ति न भी हो तब भी नरेन्द्र नगर के वासियों का जलापूर्ति जारी रहेगा।

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कुंजापुरी सिद्धपीठ



स्कन्दपुराण के अनुसार राजा दक्ष की पुत्री, सती का विवाह  भगवान शिव  से हुआ था। त्रेता युग में असुरों के परास्त होने के बाद दक्ष को सभी देवताओं का प्रजापति चुना गया। उन्होंने इसके उपलक्ष में कनखल में यज्ञ का आयोजन किया।

उन्होंने, हालांकि, भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया क्योंकि भगवान शिव ने दक्ष के प्रजापति बनने का विरोध किया था। भगवान शिव और सती ने कैलाश पर्वत, जो भगवान शिव का वास-स्थान है, से सभी देवताओं को गुजरते देखा और यह जाना कि उन्हें निमंत्रित नहीं किया गया है।

जब  सती  ने अपने पति के इस अपमान के बारे में सुना तो वे यज्ञ-स्थल पर गईं और हवन कुंड में अपनी बलि दे दी। जब तक शिव वहां पहुंचते तब तक वे बलि हो चुकी थीं।

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भगवान शिव ने क्रोध में आकर तांडव किया और अपनी जटाओं से गण को छोड़ा तथा उसे दक्ष का सर काट कर लाने तथा सभी देवताओं को मार-पीट कर भगाने का आदेश दिया। पश्चातापी देवताओं ने भगवान शिव से क्षमा याचना की और उनसे दक्ष को यज्ञ पूरा करने देने की विनती की।
 लेकिन, दक्ष की गर्दन तो पहले ही काट दी गई थी। इसलिए, एक  भेड़े  का गर्दन काटकर दक्ष के शरीर पर रख दिया गया ताकि वे यज्ञ पूरा कर सकें।

 

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