गोविंद राष्ट्रीय उद्यान
वर्ष 1965 में पंडित गोविंद बल्लभ पन्त के नाम पर गोविंद पशुविहार (शरण-स्थली) के तौर पर घोषित किया गया था। वर्ष 1990 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया जिसमें टोन्स वन डिविजन के सम्पूर्ण सुपिन रेंज को समाहित किया गया।
953 वर्ग किमी के भू-भाग में चीड़, नीले चीड़, बांज, रोडोडेन्ड्रोन, देवदार, देवदारू, स्प्रूस, सरू, भूज एवं अल्पाइन जड़ी-बूटियों एवं झाड़ियों के घने जंगल हैं। इस क्षेत्र के प्राणियों में सामान्य लोमड़ी, लंगूर, जंगली बिल्ली, लाल बंदर, हिमालयीन काले भालू, भूरे भालू, बार्किंग डीयर, साम्भर, कस्तूरी मृग, भारतीय चितराला, तेंदुआ, सेराव, टहर, मरमट और हिम तेंदुआ शामिल हैं।
फेजेन्ट जैसे मोनल, वेस्टर्न होर्न्ड चीमर खलीजपेऊरा पाट्रिज, खलीज के साथ-साथ चुकोर और ब्लैक पाट्रिज निचली ऊंचाईयों के पक्षी-प्रजातियों में शामिल हैं।
चो, हिम कबूतर, हिमालयीन नट क्रैकर अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं जबकि मध्यवर्ती ऊंचाई वाले क्षेत्र में लाल चोंच वाले बैब्लर, नीले मटरी चिलबिल, लाल चोंच वाले स्कारलेट, मिनीवेट, वर्डिडर, फ्लाइकैचर और भूरे पंखों वाले ब्लैक वर्ड पाए जाते हैं।
मनोरम हर की दुन घाटी भी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित है।
घूमने का सबसे अच्छा समय जून से सितंबर तक का होता है। इस इलाके की ऊंचाई समुद्र स्तर से 1400 से 6100 मीटरों तक है।