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Sukhata, Old lake of Nainital - नैनीताल की सूखाताल झील

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Dosto,

Sharing some exclusive inforamtion about Sukhatal, an old lake in Nainital area.


ख्याति प्राप्त सरोवर नगरी नैनीताल में कभी नैनीझील की तरह सूखाताल झील भी पानी से लबालब हुआ करती थी। उसमें नावें भी चलती थीं और आसपास हरियाली भी थी।

पर्यटन मानचित्र पर दर्ज यह झील कालांतर में अतिक्रमण और उपेक्षा की शिकार बन गई। गर्मी के दिनों में यहां आने वाले पर्यटक आकर्षकविहीन इस झील को दूर से देखकर जाते रहे।

अब हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अतिक्रमण हटाकर झील को पुराने स्वरूप में लाने की कोशिश हो रही है। नैनीताल की खोज करने वाले ब्रितानी पीटर बैरन की पुस्तक ‘वांडरिंग इन द हिमाला’ और ‘आगरा अखबार’ में सूखाताल झील के अस्तित्व में होने का जिक्र है।

(सूखाताल झील की ये फोटो वर्ष 1948 से 1950 के बीच के हैं। तब यह झील नैनीझील की तरह लबालब थी। ये फोटो राजेंद्र लाल साह ने कैमरे में कैद किए थे।) - source http://www.dehradun.amarujala.com/feature/city-news-dun/sukhatal-lake-in-nainital/

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


 नैनी झील की कभी कैचमेंट रही सूखाताल झील की 30 मीटर परिधि से अतिक्रमण हटाने तथा निर्माण को प्रतिबंधित करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां जिला प्रशासन झील के पुराने स्वरूप को लौटाने की कवायद कर रहा है, वहीं अतिक्रमणकारियों का एक धड़ा झील के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा रहा है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है।

याचिकाकर्ता प्रो. अजय रावत का कहना है कि पीटर बैरन की पुस्तक ‘वांडरिंग इन द हिमाला’ में सूखाताल का जिक्र है। यह झील लोक परंपरा के साथ भी जुड़ी रही।

नैनीझील में स्नान करने वाले लोग सूखाताल को देवी का निवास मानते हुए वहां मत्था टेकते थे और बारापत्थर से शहर से बाहर जाते थे। उन्होंने कहा कि 1971 में वेटलैंड (साल भर पानी से भरी रहने वाली भूमि अथवा दलदल) के संरक्षण के संबंध में अंतरराष्ट्रीय संधि पर भारत समेत 168 देशों ने हस्ताक्षर किए थे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 इसी क्रम में 1987 में भारत सरकार ने वेटलैंड बोर्ड बनाया। प्रदेश का मुख्य सचिव इसका अध्यक्ष होता था, लेकिन दुर्भाग्यवश उत्तराखंड में इसका गठन नहीं हो पाया है। इसी कारण से धीरे-धीरे यहां की झीलें उपेक्षित होती रहीं।

वरिष्ठ समाजसेवी तथा 1971 से 77 तक नगर पालिका सभासद रहे राजेंद्र लाल साह का कहना है कि सरकार रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर अरबों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन प्राकृतिक झील सूखाताल की उपेक्षा हो रही है।

उन्होंने आजादी के दौर की सूखाताल झील के फोटोग्राफ का जिक्र करते हुए कहा कि नैनीताल खोज के दौरान भी सूखाताल झील अस्तित्व में थी। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के जल संरक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि उनके बाद 1950 तक नैनीझील के जल को पीने के लिए उपयोग में नहीं लाया जाता था।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 पेयजल के रूप में प्राकृतिक स्रोत का उपयोग करते थे, जबकि नैनीझील के जल को राजभवन में बागवानी की सिंचाई और मुख्य बसासत में टैंक बनाकर नालियों की सफाई के लिए उपयोग किया जाता था, जो सीमित था।

-पर्यटन को झीलों के संरक्षण से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। पर्यटन विकास को दूरगामी योजनाएं क्षेत्र की जरूरत है। जन दबाव, शासन की गलत नीतियों, झील की प्राकृतिक उम्र अथवा किसी भी कारण से यदि झील का स्वरूप बिगड़ता है तो इससे पर्यटन प्रभावित होना तय है। यह पर्यटन के भविष्य के लिए भी हानिकारक है।

http://www.dehradun.amarujala.com/feature/city-news-dun/sukhatal-lake-in-nainital/?page=1
-उमेश तिवारी विश्वास, पर्यटन विशेषज्ञ

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