गूमखाळ , सतपुळी , सिलोगी , घट्टू गाड , माळा बिजनी में भोजन पर्यटन उदाहरण
भोजन , स्वाद केंद्रित पर्यटन वृद्धि के कारण
Gumkhal, Beeronkhal , Silogi examples of Food Tourism
भोजन पर्यटन विकास -4
Food /Culinary Tourism Development 4
उत्तराखंड पर्यटन प्रबंधन परिकल्पना - 390
Uttarakhand Tourism and Hospitality Management -390
आलेख - विपणन आचार्य भीष्म कुकरेती
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भोजन साम्य पर्यटन को भी प्रभावित करता है और भोजन स्थान को छवि प्रदान भी करता है। भोजन केंद्रित पर्यटन में वृद्धि हो रही है। विश्व भर में भोजन केंद्रित या भोजन स्वाद हेतु पर्यटन विकास के मुख्य कारक निम्न हैं -
१ अमेरिका , कनाडा या यूरोप में वृद्ध जनसंख्या वृद्धि और इन वृद्धों के पास व्यर्थ व्यय हेतु धन उपलब्धि और इन्हे नई साखी जनरेसन हेतु धन निड़ाने की कोई चिंता नहीं है तो वे स्वाद इन्द्रिय तृप्ति हेतु धन व्यय करते रहते हैं।
२-एशियाई देशों में युवा जनसंख्या वृद्धि , परिवार में डबल इनकम याने मिंया बीबी कमाई वाले परिवारों में वृद्धि ; देशों में सामन्य तौर पर आय वृद्धि और परिवारों के पास व्यर्थ व्यय हेतु धन उपलब्धि ,
3 - भारत में राशन में कम कीमत पर राशन , ग्रामीण भारत मनरेगा व अन्य सरकारी स्कीमों से समाज में धन वितरण, धन चक्री घूमन (Money circulation ) से भोजन पर्यटन या स्वाद पर्यटन प्रभावित होना
४- आय वृद्धि से भारत के प्रवासियों की अपने पैतृक स्थलों में निवेश विशेषतः भूमि मकान निवेश में वृद्धि होना व आय वृद्धि , परिहवन साधन वृद्धि से प्रवासियों का पैतृक स्थान दर्शन , भ्रमण में अचानक वृद्धि होना।
उपरोक्त कारणों से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भी भोजन या स्वाद केंद्रित पर्यटन में वृद्धि हुयी है।
उपरोक्त पर्यटन वृद्धि कारक उत्तराखंड में भी वृद्धिकारक सिद्ध हुए हैं।
आंतरिक वाह्य पर्यटकों के कारण सतपुली , गुमखाल , सिलोगी , माळा बिजनी में भोजन पर्यटन वृद्धि
पहाड़ी प्रवासियों के आने -जाने (यात्राएं ) से सड़कों पर स्थित मुख्य बजारों में भोजन व विभिन्न भोजन उपलब्ध होने लगा है जैसे गुम खाळ , बीरों खाळ , पाबो , ब्यासी , चम्बा , सतपुली , धुमाकोट सिलोगी आदि । इन ग्रामीण बजारों में नास्ता , भोजन ही उपलब्ध नहीं हो रहा है अपितु पैकिंग शैली भी विकसित हो चुकी है। विभिन्न किस्मों के भोजन उपलब्धि ने आस पास के निकटवर्ती गाँवों से इन बजारों में पर्यटकों का भ्रमण बढ़ गया है। अब इन बजारों में निम्न भोजन पर्यटन आकर्षित करने वाले सामग्री भी उपलब्ध हो गयी है -
१- प्रवासियों -हेतु पहाड़ी दाल , अनाज , गीन्ठी अचार , शहद , बेडु , तिमलु , तैड़ू , मूळा , सुक्सा , लिंगड़ -खुँतड़, हिसर , काफळ, बुरांस रस आदि उपलब्धि से सामन्य पर्यटन साधन उपलब्धि को बल मिला है। गूमखाळ जैसा बजार तो इन अनाज दाल हेतु बड़ा बजार बन गया है। कोई भी बस खड़ी होती है तो प्रवासी पर्यटक इन विशेष अनाज दाल , सब्जी खरीदते ही हैं।
२- इन ग्रामीण बजारों में सब्जी फल भंडार भी उपलब्ध हो गए हैं तो निकटवर्ती ग्रामीण सब्जी खरीदने बजार आते हैं इसे आंतरिक भोजन पर्यटन कहा जाता है।
३- इन बजारों में शराब के ठेके खुलने से निकटवर्ती ग्रामीणों का आवागमन बढ़ गया है। जब किसी गाँव में सामूहिक भोज भंडारा हो तो इन बजारों से शराब उपलब्ध होती है।
४- लगभग हर बजार में मुर्गी , बकरे , मच्छी शिकार उपलब्धिकरण से आंतरिक पर्यटन बढ़ा है।
५- दूध विक्री - इन बजारों से आस पास के गाँवों में दूध बितरण होता है।
६- कैटररों दुकाने - गाँवों में अब सहकारिता कमजोर पद गयी है व युवाओं के न होने से अब सामूहिक भोज या शादी विवाहों , श्रीमद भगवद सप्ताह , में भोजन पकाने हेतु अब वाह्य सर्यूळों व कारीगरों की आवश्यकता पड़ने लगी है। मांग बढ़ने से इन बजारों में कैटरर की दुकाने भी खुल गयी हैं जो वास्तव में भोजन पर्यटन के ही अंग हैं।
७- श्रीमद भागवद सप्ताह , चंडी पाठ , आदि कर्मकांड कराने वाले पंडितों द्वारा कोटद्वार -ऋषिकेश , हल्द्वानी के कैटररों के साथ भागीदारी या सहयोग भी भोजन या स्वाद पर्यटन अंग ही है
८- आइस क्रीम बेचने वाले गाँव गाँव घूमते हैं वह भी स्वाद पर्यटन व्यापार ही है।
९- उपरोक्त बजारों में अब ग्रामीण अपने फसल , फल , सब्जी , मुर्गी , बकरे ,मच्छी बेचने आते हैं तो वह कुछ नहीं भोजन या स्वाद तृप्ति पर्यटन के साधन और भोजन या स्वाद पर्यटन के अभिन्न अंग हैं।
१० - रिखणी खाळ ब्लॉक के देवेश रावत आदमी द्वारा देहरादून में व ढांगू के रूप चंद्र जखमोला द्वारा ऋषिकेश में पहाड़ी अनाज की ट्रेडिंग /दूकान खोलने से अलग तरह का पर्यटन बढ़ा है या तो इन्हे गाँव खरीदी हेतु आना पड़ता है या गाँव के लोगों को सामग्री लेकर शहर आना पड़ता है तो यह भोजन या स्वाद पर्यटन ही है
शिवपुरी निकट घट्टू गाड , माळा बिजनी क्षेत्र के रिजॉर्ट्स
शिवपुरी के निकट , घट्टू गाड बिछला ढांगू या उदयपुर पट्टी में भी भोजन पर्यटन वृद्धि हुयी है। ऋषिकेश , देहरादून के कई पर्यटक इन क्षेत्रों में मांशाहारी भोजन व शराब हेतु आते हैं और स्वाद क्षुधा तृप्ति कर चले जाते हैं। इस क्षेत्र में आवास, स्वादिष्ट भोजन व शराब उपलब्धि ने ग्रामीण पर्यटन विकास को संबल दिया है।
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