Tourism in Uttarakhand > Tourism Places Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के पर्यटन स्थलों से सम्बन्धित जानकारी

Tourism and Hospitality Industry Development & Marketing in Kumaon & Garhwal (

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Bhishma Kukreti:

                                             उत्तराखंड में पर्यटन , आतिथ्य प्रबंधन का विकास व वृद्धि


                                 Evolution and Growth of Tourism  Hospitality Management in Uttarakhand

           (   Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Haridwar series-5)


                                             उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 5

                                                    लेखक : भीष्म कुकरेती                             
                                                 (विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )

 
 उत्तराखंड  आदि मानव संस्कृति  लेकर आज तक पर्यटकों को किसी ना किसी प्रकार इ आकर्षित किया है।
पर्यटन विकास को हम निम्न कालखंडों में विभाजित कर सकते हैं
१- आदि मानव काल से लौह युग तक में उत्तराखंड पर्यटन विकास
२- वैदिक व महाभारत युग में उत्तराखंड पर्यटन विकास
३- चरक सुश्रुवा युग में उत्तराखंड में औषधीय अन्वेषण व व्यापारिक पर्यटन विकास
४-मौर्य काल में उत्तराखंड पर्यटन विकास
५-गुप्त काल में उत्तराखंड पर्यटन विकास
६- गुप्त काल के पश्चात उत्तराखंड पर्यटन विकास में परिवर्तन
७- अंध युगीन पर्यटन
८-ब्रिटिश काल में उत्तराखंड पर्यटन विकास
९- स्वतंत्रता पश्चात उत्तराखंड पर्यटन विकास
१०- उत्तराखंड राज्य बनने के पश्चात उत्तराखंड पर्यटन विकास

                आदि मानव काल से लौह युग तक में उत्तराखंड पर्यटन विकास

आदि मानव एक घुमंतू समाज था तो मानव यहाँ से तहां घूमता ही रहता था।  उस समय भी मानव हिमालय में विभिन्न ज्ञान प्राप्त करने पर्यटन परिभाषा के अनुसार उत्तराखंड में पर्यटन अवश्य करते थे।  धातु युग में भी वस्तु विनियम व स्थान अन्वेषण के कारण उत्तराखंड में पर्यटक आते रहते थे।
धार्मिक पर्यटन या रहस्यात्मक पर्यटन शुरू हो गया था।

                           वैदिक व महाभारत युग में उत्तराखंड पर्यटन विकास

वैदिक युग में वैदिक मानव उत्तराखंड में बसे आदि मानव को निष्काषित करने के लिए कटिबद्ध थे अत: वैदिक मानव निरीक्षण , जासूसी आदि के लिए उत्तराखंड भ्रमण पर आते रहे हैं।
शकुंतला प्रकरण सिद्ध करता है कि उत्तराखंड में ऋषि -मुनि व राजा उत्तराखंड भ्रमण पर आते थे।
रामायण काल में हनुमान द्वारा जड़ी बूटी लाने उत्तराखंड में आने का प्रकरण सिद्ध करता है कि उत्तराखंड उस समय औषधीय पेड़ पौधों के लिए प्रसिद्ध हो चुका था और औषधि अन्वेषी पर्यटक व व्यापारी पर्यटक उत्तराखंड में आने लगे थे।
महाभारत काल में तो उत्तराखंड में पर्यटन विकास अपने परवान पर था।  नाना प्रकार के धार्मिक, औषधीय ,  वानष्पतिक, जैविक, कृषि उत्पाद , खनिज, गंगाजल    व अन्य भौतिक वस्तुएं उत्तराखंड से निर्यात  होतीं थीं व कई वस्तुएं आयात होती थीं। व्यापारिक लें दें से पर्यटन में विकास हुआ।
महाभारत काल में धार्मिक पर्यटन ने बहुत  विकास किया।

                            मौर्य व गुप्त काल पर्यटन का सवर्णिम युग

 मौर्य राजबंश की नीव एक कुमाऊं के खश  वंशधारी ने ही रखी थी जो द्योतक है कि उत्तराखंड में पर्यटन किस हद तक विकसित था।
मौर्य काल में गोविषाण (आज का काशीपुर क्षेत्र ) व कालसी विश्व स्तर की मंडियां थीं और इन मंडियों से नाना प्रकार की वस्तुओं का विनियम होता था।  उत्तराखंड की कई वस्तुएं जैसे औषधि , सुरमा व जीव (घोड़े , चंवर गायें आदि ) आदि यूनान व रोम में भी प्रसिद्ध थीं।  जो यह सिद्ध करते हैं कि मौर्य व किसी हद तक गुप्त काल में उत्तराखंड में पर्यटन अपने चरम सीमा पर था।
वास्तु व धातु परिष्करण में निपुण कलाकारों व श्रमिकों की मांग मैदानो में खूब थी।
                        चरक सुश्रुवा युग में उत्तराखंड में औषधीय अन्वेषण व व्यापारिक पर्यटन विकास चरम सीमा पर हुआ।  कहते हैं चरक भी औषधीय अन्वेषण हेतु उत्तराखंड आये थे।
कई विदेशी पर्यटक भी भारत आये।

                            अंध युग में पर्यटन

अंध युग में पर्यटन अधिकाँशत: धार्मिक वा राजनायक पर्यटन तक सिमिट  गया . किन्तु पर्यटन ने वह  चरम स्थिति नही पायी जो मौर्य काल में थी।  व्यापार व कृषि में अन्वेषण रुकने से पर्यटन उद्यम पर धक्का लगा।
पंवार व चंद राजाओं ने मैदानी सैनिकों की भर्ती करने से पर्यटन बढ़ा किन्तु आंतरिक तकनीक विकास में क्षरण से पर्यटन को उतना प्रश्रय नही मिला जितना मिलना चाहिए था।
शंकराचार्य , माधवा चार्य , मेधाकर आदि  धार्मिक संतों के आने से धार्मिक पर्यटन बढ़ा। किन्तु यह पर्यटन उत्तराखंड के लोगों को वह धन -धान्य नही दे सका जो अन्य माध्यमों के विकसित होने से मिलता है।
मुग़ल काल में पहाड़ी  राज्य भी युद्ध में लीन रहे तो पर्यटन राजनैतिक रूप में अधिक रहा।

         ब्रिटिश काल में पहाड़ यात्रा का प्रचलन

ब्रिटिश अधिकारीयों ने मसूरी , नैनीताल , पौड़ी , लैंसडाउन जैसे कस्बों की स्थापना से उत्तराखंड पर्यटन को नया आयाम दिया। पर्यटन संगठित संस्थानों द्वारा संचालित होने की शुरुवात ब्रिटिश काल में हुयी। नैनीताल उत्तर प्रांत की उप राजधानी बनने से पहाड़ों को पर्यटन मिले।    पहाड़ों से नौकरी की खोज से भी पर्यटन में नया बदलाव आया।
धार्मिक पर्यटन ही सबसे अधिक पर्यटक उत्तराखंड बुलाने में सक्षम रहा ,

                      स्वतंत्रता पश्चात उत्तराखंड पर्यटन विकास

स्वतंत्रता पश्चात उत्तराखंड पर्यटन विकास ब्रिटिश शाशन निर्मित माध्यमो पर ही निर्भर रहा और मंथर गति से चलता रहा। 1991 के पश्चात पर्यटन ने गति पकड़ी।
 
                उत्तराखंड राज्य बनने के पश्चात उत्तराखंड पर्यटन विकास
यद्यपि उत्तराखंड राज्य बनने के पश्चात उत्तराखंड पर्यटन में विकासहुआ किन्तु उत्तराखंड राज्य जन आकांशाओं के अनुरूप पर्यटन उद्यम विकसित नही कर सका।
पर्यटकों हेतु नये नये साधन उत्तराखंड में आये किन्तु आज भी आम जनता पर्यटन उद्यम को अपने से नही जोड़ पायी जिस तरह मौर्य काल में स्थिति थी।
कुछ नये माध्यम या पर्यटन प्रोडक्ट या उत्पाद  अवश्य आये किन्तु पोटेंसियलिटी या सम्भानवनाओं के अनुसार पर्यटन उद्यम में उतना विकास नही हुआ जितना राज्य से आशाएं थीं।
आज भी उत्तराखंड धार्मिक पर्यटन या उत्तराखंड के से पलायन कर चुके अपने प्रवासियों पर ही अधिक निर्भर है।

Copyright @ Bhishma Kukreti 3/12/2013

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Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Haridwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी …

                                    References

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वार , गढ़वाल
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Bhishma Kukreti:
                                 भारत में पर्यटन संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़े

        (   Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Haridwar series-6)


                                             उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 6

                                                    लेखक : भीष्म कुकरेती                             
                                                 (विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
 भारत सरकार पर्यटन को महत्व देती आती रही है।
सन 2012 में पर्यटन की स्थिति इस प्रकार थी।

                     सन 2012 में भारत में पर्यटन संबंधी महत्वपूर्ण आंकड़े
                         विदेशी पर्यटक आंकड़े

भारत में सन 2012 में 65. 77 लाख विदेशी पर्यटक भारत आये (4. 3 %वृद्धि ) , 2011 में विदेशी पर्यटकों की संख्या  63. 09 (9. 2 % वृद्धि ) लाख थी तो सन 2010 में  संख्या 57. 75 लाख थी।
विदेशी पर्यटकों से सन 2010 में विदेशी मुद्रा आय 64889 करोड़ , सन 2011 में 77,591 करोड़ व सन 2012 में विदेसी मुद्रा  आय 94,487 (19. 6 % वृद्धि ) रुपया थी।

                  महत्वपूर्ण देस जो भारतीय पर्यटन में योगदान देते हैं
क्रम संख्या ---------देस ---------------------2012 में विदेसी पर्यटकों की संख्या दस लाख में -------------भागीदारी %
1 ----------------संयुक्त अमेरिका -------------1. 040 ---------------------------------------------------------15. 81
2 -------------------संयुक्त ब्रिटेन -------------0. 788 ----------------------------------------------------------11. 98
3 ------------------बंगला देस ------------------0.  487 ----------------------------------------------------------0 7. 40
4 ----------------श्री लंका -----------------------0. 297 ------------------------------------------------------------0 4. 20
5 ------------------कनाडा ----------------------0.256---------------------------------------------------------------03.89
 6--------------जर्मनी -------------------------0. 255---------------------------------------------------------------03.88
7---------------फ्रांस ---------------------------0.241-------------------------------------------------------------03.66
8---------------जापान ------------------------0.220--------------------------------------------------------------03.34
9-------------ऑस्ट्रेलिया -------------------0,202--------------------------------------------------------------03.07
10------------मलेसिया -------------------0.196-------------------------------------------------------------02.98
  दस देसों के पर्यटकों का योग ------- 3.982-------------------------------------------------------------60.53
11-- अन्य देस ------------------------ 2.595-------------------------------------------------------------39.47
   सभी देसों का योग ------------- 6.577 -------------------------------------------------------------100

सन 2012 में भारत से 1492 लाख भारतीय विदेस भ्रमण  (सन 2011 से 6. 7 % वृद्धि ) पर गये।
सन 2012 में भारत में 103635 लाख भारतीयों ने अन्तर्देशीय पर्यटन किया जो सन 2011 के मुकाबले 19. 9 प्रतिशत अधिक है।
     भारत के मुख्य अंचल जहां  सन 2012 में अंतर्देशीय पर्यटन हुआ
क्रम संख्या --------प्रदेस --------------------पर्यटकों की संख्या लाख में -------------भारत में प्रतिशत
1---------------आंध्र प्रदेश -------------------------2068-----------------------------------20.0
2---------------तामिलनाडु ------------------------1841-----------------------------------17.8
3--------------उत्तरप्रदेश -------------------------1683----------------------------------16.2
4--------------कर्नाटक ------------------------------940-----------------------------------9.1
5--------------महाराष्ट्र -----------------------------663----------------------------------6.4
6------------मध्य प्रदेश----------------------------531---------------------------------5.1
7-----------राजस्थान -----------------------------286--------------------------------2.8
8----------उत्तराखंड ----------------------------268--------------------------------2.6
9-----------गुजरात -----------------------------244--------------------------------2.4
10--------पश्चिम बंगाल -----------------------227--------------------------------2.2
दस प्रदेशों में संख्या --------------------------8754------------------------------84.5
अन्य प्रदेश ----------------------------------1608--------------------------------15.5
कुल योग ------------------------------------10363--------------------------------100


         सन 2012 में   दस मुख्य प्रदेश जहां विदेशी पर्यटकों  का आगमन हुआ
श्रेणी -----------प्रदेस -----------विदेशी आगंतुक संख्या लाख में -----------------प्रतिशत
1---------------महारष्ट्र -----------------51---------------------------------------------24.7
2-------------तामिलनाडु --------------35.6------------------------------------------17.2
3----------------दिल्ली -----------------23--------------------------------------------11.3
4-------------उत्तरप्रदेश -------------20----------------------------------------------9.6
5------------राजस्थान --------------14.5---------------------------------------------7.0
6----------पश्चिम बंगाल -----------12-----------------------------------------------5.9
7------------बिहार --------------------11----------------------------------------------5.3
8------------केरल --------------------7.9---------------------------------------------3.8
9-----------कर्नाटक ------------------5.9---------------------------------------------2.9
10--------हिमाचल प्रदेश ------------5----------------------------------------------2.4
दस परदेश योग -------------------187---------------------------------------------90.1
अन्य प्रदेश -----------------------20-----------------------------------------------9.9
कुल योग --------------------------207--------------------------------------------100


स्रोत्र -भारतीय पर्यटन विभाग की वेबसाइट
 
Copyright @ Bhishma Kukreti 4/12/2013

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उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी …

                                    References

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वारा , गढ़वाल

Bhishma Kukreti:
                      उत्तराखंड में पर्यटन व आथित्य उद्यम की एक झांकी

                        Tourism and Hospitality  Industry in Uttarakhand at a Glance

       (   Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series-7 )


                                             उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 7

                                                    लेखक : भीष्म कुकरेती                             
                                                 (विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )


               उत्तराखंड में सन 2000 से 2012 तक पर्यटकों की संख्या **

 क्रम -------- वर्ष -----------------पर्यटक संख्या लाख
1- ---------2000----------------111.36
2-----------2001----------------106.04
3-----------2002----------------117.08
4-----------2003----------------129.94
5-----------2004----------------139.05
6-----------2005----------------163.74
7----------2006-----------------194.54
8----------2007-----------------222.60
9----------2008-------------------231.76
10--------2009------------------232.72
11---------2010-----------------311.08
12--------2011------------------268.09
13---------2012-----------------284.33 सन  2012 में 1.41 लाख विदेशी पर्यटन आये।
**स्रोत्र -उत्तराखंड पर्यटन विभाग वेबसाइट

 उत्तराखंड के मुख्य पर्यटन स्थल
    पहाड़ी स्थल या हिल स्टेसन्स
 अबौट माउंट, अल्मोड़ा ,औली , भीमताल , चकराता , चम्बा , चम्पावत , चौकोरी , चोपता , धन्तोली , धारचूला ,डीडीहाट ,द्वारहाट , गंगोलीहाट ,ग्वालदम ,हरसिल, जिओलीकोट ,कानाताल ,कसौनी , खिर्सू , लैंसडाउन ,लोहाघाट ,मुक्तेश्वर ,मुन्सियारी ,मसूरी ,नैनीताल , नौकुचिताल ,पंगोट ,पाताल भुवनेश्वर , पौड़ी ,पिथोरागढ़ ,रामगढ़ ,रानीखेत ,सत्तल , नई टिहरी , उत्तरकाशी
          वन विरहण स्थल (वाइल्ड लाइफ )

बिनसर , राजा जी पार्क , जिम कॉर्बेट पार्क , रामनगर

       साहसिक पर्यटक स्थल /ट्रैकिंग , पैराग्लाइडिंग आदि
औली ,बड़कोट ,बेदनी आली बुग़याळ  ,भोजबासा ,चंद्रशिला, चोपता , दयारा बुग्याल,देवरिया ताल ,डोडी ताल ,गांधी सरोवर , गंगनानी , हेमकुंड ,कल्पेश्वर ,केदार ताल, केदारनाथ ,मद्महेश्वर ,मिलाम ग्लेसियर  ,मोरी , मुन्सियारी , पिंडारी ग्लेसियर ,रूपकुंड , रूद्रनाथ ,सुंदरढुंगा ग्लेसियर ,तुंगनाथ


          धार्मिक पर्यटक स्थल

आदि कैलाश ,अल्मोड़ा ,अगस्तमुनि ,बद्रीनाथ ,ब्यासचट्टी, ,देवप्रयाग ,द्वारहाट ,गंगनानी ,गंगोलीहाट ,गंगोत्री ,गौरीकुंड ,घंघारिया ,गुप्तकाशी ,हनुमान चट्टी ,हरिद्वार ,हेमकुंड ,जागेश्वर ,जानकी चट्टी ,जोशीमठ ,कल्पेश्वर ,कर्णप्रयाग ,केदारनाथ , मद्महेश्वर ,नानकमट्टा , नीलकंठ ,पाताल  भुवनेश्वर ,रूपकुंड , रूद्रनाथ, रुद्रप्रयाग , विष्णु प्रयाग , तुंगनाथ , यमुनोत्री ,उखीमठ, ऋषिकेश ,  कैंडुळ (सावित्री मेला )   आदि
                   
स्रोत्र -पर्यटन विभाग वेबसाइट




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                                    References

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वारा , गढ़वाल
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                               पर्यटकों द्वारा पर्यटन के  मुख्य उद्देश्य
                                  Why do People Travel
    (   Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series-8 )


                                    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 8

                                                    लेखक : भीष्म कुकरेती                             
                                                 (विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
      किसी भे विभाग के विपणन या विक्री में विपणनकर्ता Marketer को सर्वप्रथम ग्राहक की जानकारी आवश्यक होती है।
उत्तराखंड पर्यटन विकास के भागीदारों , सहयोगियों, समर्थकों  को पर्यटकों द्वारा पर्यटन के आधारभूत  मनोविज्ञान को समझना एक आवश्यक शर्त है।
पर्यटक निन्म मुख्य या विशेस कारणो से पर्यटन करता है।

१- ज्ञान पिपासा शांत  करने हेतु  ऐतिहासिक स्थल भ्रमण
२- जीवन में ऊब या एकरसता मिटाने हेतु या भौतिक , मानसिक व आध्यात्मिक एकरसता मिटाने हेतु
३- रोजमर्रा की दौड़ -भाग की जिंदगी से निजात पाने हेतु
४ -अन्य समाज -संस्कृति से मिलने हेतु या दूसरे समाज -संस्कृति की जानकारी हेतु
 ५--जीवन , संसार आदि में विविधता लाने या विविधता के दर्शन करने
६- थकावट दूर करने
७- जीवन में उत्साह लाने हेतु
८-पहली बार कुछ करने की मानवीय प्रवृति के लिए
९-धार्मिक उदेश्य प्राप्ति हेतु , आत्मचिंतन हेतु , एकांत में अपने को खोजना
१०- रोमांच प्राप्ति हेतु
११- रोमांस में वृद्धि हेतु
१२- अनजान में खो जाने  हेतु
१३- सपने साकार करने हेतु अथवा अवचेतन मन के दबाब के कारण पर्यटन करना
१४-किसी से पर्तियोगिता के खातिर अथवा सामजिक प्रतिष्ठा प्राप्ति हेतु
१५-शारीरिक -मानसिक बीमारी उपचार हेतु याने उम्र बढ़ाने हेतु
१६- भौतिक वस्तुएं प्राप्ति हेतु (खरीददारी , व्यापार या अन्य कारण ) , विशेष भोजन प्राप्ति, अर्थ या आर्थिक फायदे हेतु  आदि आदि
१७- आध्यात्म हेतु जैसे मृत्यु प्राप्ति हेतु (आध्यात्म का एक भाग )
१८- सवैधानिक अधिकार, नियम पालन या अन्य अधिकार प्राप्ति हेतु
 १९-राजनैतिक कारणो या बेचारगी से उत्पन पर्यटन
२०- अन्य अनेक कारण





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उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी …

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1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वारा , गढ़वाल
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Bhishma Kukreti:


                उत्तराखंडी  समाज में पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति समझने  में संवेदनशीलता की आवश्यकता
                       
              Uttarakhand  Society Should Always Keep Eye on Present and Future Trends in Tourism and Hospitality

   (   Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series-9 )


                                    उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 9

                                                    लेखक : भीष्म कुकरेती                             
                                                 (विपणन व विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
                               मैंने अपने पर्यटन व आथित्य संबंधी सभी लेखों में सदा ही पर्यटन उद्यम  विकास में समाज को अधिक महत्व दिया है  । मानना है कि किसी भी भूक्षेत्र में सरकारी अधिकारी  व नेता भी तो समाज की ही देन है।  सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर बना सकती है किन्तु पर्यटन वृद्धि समाज के जिम्मे रहती है।
            पर्यटन वा आथित्य उद्योग में वर्तमान व भविष्य की प्रवृतियों को पहचानना व प्रवृति अनुसार पर्यटन सुविधाओं में परिवर्तन लाना पर्यटन का एक मुख्य महत्वपूर्ण  कार्यक  है। समाज को हर समय पर्यटन व आथित्य प्रवृतियों के प्रति संवेदन शील होना आवश्यक है। अधिकतर गढ़वाली व कुमाऊनी लोग कहते रहते हैं कि गढ़वाल -कुमाऊं के गाँवों -शहरों में होटल आदि पर अब बाहर वालों का प्रभुत्व हो गया है।  वास्तव में यह दर्शाता है कि पुराने होटल स्वामी पर्यटन व  आथित्य उद्यम में नई प्रवृति को समझने में सर्वथा नाकामयाब रहे।  यदि पहाड़ों के होटल आदि में बाहरी लोगों का अधिपत्य हो गया तो साफ़ है कि सम्पूर्ण पहाड़ी समाज टूरिज्म में नई प्रवृति , पर्यटकों की नई आशा , नई आकांशाओं को पहचानने में सर्वथा नाकामयाब रहा है।
               पहाड़ी समाज को समझना चाहिए कि यदि समाज पर्यटन उद्यम सेवा के सभी माध्यमों में अधिपत्य चाहता है तो उसे पर्यटन व आथित्य में प्रवृति के बारे में संवेदनशील होना पड़ेगा।

              पर्यटन में कुछ नये प्रवृतियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी
                                                         विकल्पों की अधिकता

                 पर्यटकों के पास अब विकल्प खुल गये हैं। धार्मिक पर्यटन में भी अब पर्यटक अति संवेदनशील हो गया है। एक समय था दुग्गडा (पौड़ी -गढ़वाल ) में यदि भोजन चाहिए तो केवल स्व ह्रदय राम कुकरेती संचालित होटल था और पर्यटकों को इसी होटल में आना पड़ता था।  अब कुकरेती भोजनालय बंद हो गया है और कई विकल्प पर्यटकों के लिए  खुल गए हैं। अब पर्यटक कोटद्वार से ही नही अपने गाँव से सैंडविच भी ला सकता है।  कुकरेती भोजनालय बंद होने के पीछे कारण  स्व हृदय राम कुकरेती की मृत्यु नही अपितु पर्यटन में नई नई प्रवृतियों का आना है।
  देहरादून में रेलवे स्टेसन पास गांधी रोड में  पुंडीर परिवार संचालित  स्टैण्डर्ड होटल का अच्छा खासा नाम था किन्तु अब यह होटल एक आम होटल है।  कारण होटल में पर्यटन उद्यम में बदलाव के अनुसार परिवर्तन नही हुआ।
                                                 पर्यटको को विशेष , अभिन्न अनुभव चाहिए

             पर्यटक अब पर्यटक स्थल को केवल देखने की जगह  नही मानता है अपितु पर्यटक कुछ अभिन्न अनुभव हेतु पर्यटन करने लगा है।
 पर्यटकों के पास अन्य स्थानों के पर्यटन का अनुभव भी है।  अत: पर्यटक अब पर्यटन साधन से अधिक मांग करने में सक्षम है।

                                                     ट्रांस्पोर्टेशन /परिवहन में क्रांति
याद कीजिये जब ऋषिकेश से मोटर सड़क देव प्रयाग तक ही थी और बद्रीनाथ -केदारनाथ के पर्यटकों को रहने व भोजन के लिए देव प्रयागी पंडों, होटल  व दुकानदारों पर निर्भर रहना पड़ता था।  अब सड़क बद्रीनाथ या रामबाड़ा तक पंहुच गयी है, टैक्सी -कार ट्रांसपोर्ट सुलभ हो गयी है या हवाई यात्रा सुलभ हो गयी है तो पर्यटन में भी परिवर्तन आ गया है। ट्रांस्पोर्टेशन में गतिशीलता आने से ग्रामीण पर्यटन में परिवर्तन आवश्यक हो गये हैं।
                                                   लघु पर्यटन

अब भारतीय पर्यटक भी साल भर में बार बार पर्यटन के लिए निकल पड़ते हैं और उनका पर्यटन समय छोटा हो गया है।  अत: उत्तराखंड के पर्यटन में भी परिवर्तन अवश्य ही आ गया है। दिल्ली -पंजाब -लखनऊ के प्रवासी अब अपनी कार से सुबह अपने गाँव पंहुचते हैं , दिन में धार्मिक अनुस्ठान में भाग लेते हैं और शाम को फिर अपने गंतव्य  स्थान के लिए निकल पड़ते हैं।
                                          पर्यटको की क्रियाशीलता में वृद्धि

अब पर्यटक अधिक क्रियाशील हो गए हैं।

                              सूचना -प्रसारण माध्यमों से पर्यटन  शैली में परिवर्तन
 सूचना -प्रसारण माध्यमों में क्रांति आने से पर्यटकों की पर्यटन शैली में अत्याधिक बदलाव आया है. अब कुली को भी ठीक समय पर मोबाइल से बुलाया जाता है। सूचना प्रसारण सेवा से अग्रिम बुकिंग पर अत्याधिक प्रबाहव पड़ा है। सूचना -प्रसारण माध्यमों से पर्यटक अधिक ग्यानी हो गया है। ऑनलाइन ज्ञान प्राप्ति और ऑनलाइन बुकिंग की मांग बढ़ गयी है।

                                     इंटरनेट व सोसल मीडिया


इंटरनेट व सोसल मीडिया पर्यटन को प्रभावित क्र रहा है। सोसल मीडिया सोसल व्यापार में परिवर्तित हो रहा है।
                   पर्यारण व वातावरण के प्रति पर्यटकों व भागीदारियों की चेतना व संवेदनशीलता

अब पर्यटक , समाज सेवी व भागीदार पर्यावरण , वातावरण के प्र्रति आग्रही हो गये हैं जो पर्टयन शैली में निरंतर बदलाव ला रहे हैं।
               पर्यटन स्थलों में विशेषता की मांग

अब पर्यटक स्थलों में एक्सक्लूजिविटी की डिमांड बढ़ गयी है। पर्यटन में कई नई विभाग आ गये हैं।
             ग्लोबलिजेसन का प्रभाव

आर्थिक वैश्वीकरण के खुलने से पर्यटन में भारी बदलाव आया है।  अब न्यूयार्क पर्यटन उद्यम  भी बद्रीनाथ पर्यटन  से प्रतियोगिता करता पाया जा सकता है। 
               स्वास्थ्य पर्यटन में आशातीत वृद्धि

कई कारणो से स्वास्थ्य लाभ हेतु पर्यटन में वृद्धि देखी गयी है। वेलनेस टूरिज्म की मांग बढ़ रही है।
             साहसिक व अनुभव प्राप्ति पर्यटन में विकास

साहसिक व अनुभव प्राप्ति पर्यटन में विकास  की सम्भावनाओं में वृद्धि हुयी है।
             युवाओं की भागीदारी

युवाओं की पर्यटन में भागीदारी बढ़ रही है। उसी तरह ओल्ड एज टूरिज्म से पर्यटन उद्यम को नया आयाम मिल रहा है ।
           ओसन व स्पेस टूरिज्म

अब स्पेस टूरिज्म , जलया समुद्री टूरिज्म को नया आयाम  मिलते रहेंगे


         भविस्य में विषेशज्ञों की आवश्यकता
पर्यटकों के ज्ञान में जिस तरह वृद्धि होगी पर्यटन उद्यम विशेषज्ञों का उद्यम रह जाएगा।  गौरी कुंड से केदारनाथ    तक घोड़े वाले को भी विशेष पर्यटन विशेषज्ञ बनना आवश्यक हो जाएगा।
आजकल पर्यटन में मॉसक्लूजिविटी  शब्द का पर्यटन उद्यम में चलन बढ़ गया है है कि भीड़ , समूह भी अब विशेष यात्रा अनुभव चाहता है।  मॉसक्लुजिविटी का अर्थ है एक्सक्लुजिविटी फॉर मासेज याने समूह , बहुसंख्यक , भीड़ भी विशेष की चाह रहे हैं।
        स्नोमोडिटी , उबेर प्रीमियम टूरिज्म , हाइजेनियिक टूरिज्म , नेसन'स लाइट , ट्रांसउमेरिज्म , नॉन साइक्लिकल रिच टूर, जनरेसन कंज्यूमर आदि नये नये  शब्द अब टूरिज्म को मिल रहे है जो यह इंगित कर रहे हैं कि भविष्य का नया पर्यटन उद्योग रोज पर्यटन उद्यम परंपराओं को तोड़ता जाएगा।
अत: उत्तराखंडी समाज को पर्यटन व आथित्य की बदलती प्रवृतियों के प्रति सचेत व संवेदनशील रहना पड़ेगा।
 

Copyright @ Bhishma Kukreti 7/12/2013

Contact ID bckukreti@gmail.com

Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी …

                                    References

1 -भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना , शैलवाणी (150  अंकों में ) , कोटद्वारा , गढ़वाल

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उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;पिथोरागढ़। उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;बागेश्वर ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;चम्पावत ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;नैनीताल, उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;अल्मोड़ा ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;उधम सिंह नगर उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;गंगा सलाण ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;पौड़ी गढ़वाल ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;टिहरी गढ़वाल ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;चमोली गढ़वाल ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ; उत्तरकाशी गढ़वाल ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;देहरादून गढ़वाल ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;हरिद्वार ,उत्तराखंड समाज को पर्यटन व  आथित्य की वर्तमान एवं  भविष्य प्रवृति के बारे में संवेदनशीलता की आवश्यकता ;
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