Author Topic: Tourism Related News - पर्यटन से संबंधित समाचार  (Read 65685 times)

पंकज सिंह महर

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पर्यटकों की आवाजाही से रौनक बरकरार

नैनीताल। पर्यटन नगरी में विभिन्न शहरों से पहुंचे पर्यटकों के चलते रौनक बरकरार है। अधिकांश होटल अभी भी पैक है। नगर के प्रमुख पर्यटन स्थल राजभवन, चिड़ियाघर, केव गार्डन, स्नोव्यू, हनुमानगढ़ी मंदिर, लवर्स प्वाइंट समेत किलबरी आदि क्षेत्रों की सैर करने के लिए सुबह से ही पर्यटकों की भीड़ जुट रही हैं।

नैनी झील में भी सैलानी जमकर नौका विहार का आनंद उठा रहे है। माल रोड पर शाम को हजारों की संख्या में सैलानी चहल-कदमी कर यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठा रहे है। उधर भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल, पंगूठ आदि समीपवर्ती पर्यटन स्थलों में भी काफी संख्या में सैलानी घूमने पहुंचे रहे है। जिस कारण इन पर्यटन स्थलों में चहल-पहल बनी है। उम्मीद है कि ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन इस महीने आखिरी तक पूरे शबाब पर रहेगा।

हेम पन्त

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समाचार श्रोत - "आज का पहाड" समाचार पत्र

देवभूमि उत्तराखण्ड में अब एक नहीं दो चारधाम यात्राएं आयोजित होंगी. अब पहली बार कुमाऊँ मण्डल विकास निगम राज्य के पर्यटन विभाग के सहयोग से पूर्णागिरी, बागेश्वर, जागेश्वर व पातालभुवनेश्वर धामों के लिये भी यात्राएं करा रही है. उपरोक्त के अलावा बैजनाथ, कटारमल व गंगोलीहाट के लिये पैकेज टूर चलाये जा रहे हैं, जिन्हें शीघ्र चारधाम यात्रा में समाहित करने की योजना है. कुमाऊँ मण्डल विकास निगम धार्मिक पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण पूर्णागिरी धाम, शंकराचार्य द्वारा स्थापित जागेश्वर मंदिर समूह, बैजनाथ मंदिर, देश के एकमात्र सूर्यमंदिर कटारमल एवं कालिकामंदिर गंगोलीहाट के लिये पैकेज टूर शुरू किये हैं. निगम के बागेश्वर के कोठगाडी देवी मंदिर, नौलिंग मंदिर, शिखर भनार व कोट भ्रामरी मंदिर, प्रागैतिहासिक भित्तिचित्रों युक्त लखूउडियार व चितई गोलू मंदिर को भी चिन्हित किया है.

हेम पन्त

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देहरादून। 'हम गुजरात से यात्रा करने आए थे। बीच में बिछड़ गए। पर्यटक पुलिस की सहायता मिली और हमें सही सलामत हनुमानचंट्टी बस पर पहुंचाया गया। इसमें हमारे सारे लोग मिल गए। थैंक्स टूरिस्ट पुलिस।' गुजरात निवासी भगवान बाई पटेल, कोर बहिन आदि ने यह उद्गार पर्यटक पुलिस के रजिस्टर में दर्ज किया है। चार धाम यात्रा पर आए सैकड़ों पर्यटकों ने टूरिस्ट पुलिस का ऐसे ही शब्दों में आभार जताया है।

नारायण विहार, दिल्ली निवासी मंगनी पत्नी रमणी यमुनोत्री यात्रा पर गईं थी। बकौल उनके, 'पति की तबीयत अचानक खराब हो गई। पर्यटन पुलिस ने मदद की और दवा की सुविधा उपलब्ध कराई। इसके लिए मैं आभारी रहूंगी।' बाद में मंगनी ने यह उद्गार रजिस्टर में दर्ज किया। इजराइल निवासी डोरर इस्साक, मेटन इलाड और इमरी रोडेन ने लिखा है 'वेरी गुड टूरिस्ट पुलिस, कीप्स द आर्डर एंड फ्रेंडली।' जबकि, नार्वे से आए इंड्रा, आस्ट्रेलिया से आए राबर्ट और बेल्जियम से आए कागी दास ने भी टूरिस्ट पुलिस का आभार व्यक्त किया है। इसी प्रकार, ग्वालियर के अनिल कुमार, उज्जैन के ऋषि कुमार, पश्चिम बंगाल के आशुतोष मुखर्जी, कर्नाटक के यात्रीगण, कोरिंगा जिले परमेश्वरी, पटेलनगर दिल्ली की ऋतु अग्रवाल, राजस्थान के लीलाधर, भोपाल के अनार नाई, इंदौर के मोहन यादव और गुजरात की सरोजनी आदि ने भी अपने उद्गार रजिस्टर में दर्ज की है। ज्यादातर लोगों ने टूरिस्ट पुलिस की मदद के लिए धन्यवाद दिया है। चार धाम यात्रा पर आने वाले पर्यटकों की भारी संख्या को देखते हुए इस वर्ष पर्यटन पुलिस की तैनाती की गई थी। इसके लिए कुल 100 पुलिसकर्मियों को स्वागत और अच्छे बर्ताव की ट्रेनिंग दी गई थी। खासबात यह थी कि ट्रेनिंग देने वालों में ऐसी संस्थाएं भी शामिल थी जो एयर होस्टेस को स्वागत के गुर सिखाती हैं। बाद में चार धाम यात्रा मार्गो पर कुल 22 स्थानों पर इनकी तैनाती की गई। इसके काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। गढ़वाल रेंज आईजी अशोक कुमार के मुताबिक पर्यटन पुलिस ने मित्रता, सेवा और सुरक्षा की मिसाल पेश की है। पर्यटन पुलिस को आगे और भी ट्रेंड करके तैनात किया जाएगा।

हेम पन्त

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उत्तरकाशी। भोजवासा में भोज वृक्ष लगातार घट रहे हैं, यहां भोजपत्र के वृक्षों को तोड़कर यात्री व पर्यटक अपने साथ ले जाना शुभ मानते हैं और यही एक बड़ी वजह भी रही भोज वृक्ष सिमट गए हैं।

गंगोत्री से गोमुख मार्ग पर भोजवासा कभी भोज वृक्षों से आच्छादित थे, किंतु अब यहां भोजवृक्ष विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं। भोजवृक्षों को पुन: उगाने के वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है लेकिन प्रयास सफल नहीं हो पा रहे हैं। पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह उच्च हिमालय क्षेत्र में मानवीय हस्तक्षेप है। गोमुख जाने वाले यात्री व पर्यटक भोजपत्रों को लगातार नुकसान पहुंचा रहे है। उनका मानना है कि गोमुख से भोजपत्र व भोज छड़ी अति शुभ होती है। इसे शुभ मानते हुए यात्री व पर्यटक लगातार वृक्षों को नुकसान पहुंचाते रहे हैं। वर्तमान में प्रति दिन इस उच्च हिमालय क्षेत्र में 150 यात्रियों व पर्यटकों की आवाजाही हो रही है यानि माह में 4 हजार 5 सौ यात्री भोजवासा से गुजर रहे हैं। वन विभाग हालांकि दावा कर रहा है कि हर यात्री व पर्यटक पर उनकी नजर है किन्तु यह इस क्षेत्र में संभव ही नहीं है।

पंकज सिंह महर

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देहरादून, जागरण प्रतिनिधि: अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं और उत्तराखंड के 8वीं से 16वीं शताब्दी तक के पुरातात्विक महत्व के स्थलों, गुफाओं व पौराणिक मंदिरों से रूबरू होना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको इन स्थानों पर जाने की आवश्यकता नहीं है। इन सारे पुरातात्विक स्थलों को आप अब एक ही स्थान पर देख सकते हैं। दून स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआई) ने प्रदेश के संरक्षित स्मारकों व पौराणिक स्थलों के ट्रांसलाइट तस्वीरों से सजे एक डिस्पले हॉल का निर्माण किया है। जहां राज्य के प्राचीन मंदिरों, पुरातात्विक स्थलों और मंदिरों से मिली मूर्तियों के बड़े-बडे़ ट्रांसलाइट फोटो लगाए गए हैं। त्यागी रोड स्थित ट्रांसलाइट हॉल शनिवार, रविवार को छोड़कर सभी कार्यदिवसों में शाम छह बजे तक खुला रहेगा। इसे देखने के लिए कोई टिकट नहीं रखा गया है। हॉल में 8वीं से 16वीं शताब्दी तक के प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों को फोटो के जरिए प्रदर्शित किया गया है। फोटो के साथ ही तीन स्कॉरलर बोर्ड की मदद से मंदिरों से मिली मूर्तियों, संरक्षित स्मारकों और सरंक्षण के काम को दर्शाया गया है। यहां आप अल्मोड़ा के कटारमल और जागेश्वर मंदिर समूह, बागेश्वर के बैजनाथ मंदिर समूह, चंपावत के बालेश्वर मंदिर समूह, लाखामंडल का शिव मंदिर, रावल निवास गोपेश्वर, महासू मंदिर हनोल, चमोली के प्राचीन पांडुकेश्वर मंदिर, गोपेश्वर के रुद्रनाथ मंदिर, नंदादेवी, दूनागिरी और बेथारतोली के साथ ही चांदपुर गढ़ी, लाखामंडल और खलंगा स्मारक के फोटो देख सकते हैं। हॉल में लगे स्कॉरलर बोर्ड में राज्य के मंदिरों से मिली देवी पार्वती, सूर्य देव, उमा-महेश्वर, यमदेव, भगवान विष्णु, गणेश, नंदी, महिषासुर मर्दिनी और सप्तमातृका आदि मूर्तियों की तस्वीरें देख सकते हैं। एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद् सैय्यद जमाल हसन ने बताया कि स्मारकों के प्रति लोगों को खासकर नई पीढ़ी को जागरूक करने के लिए और राज्य में आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए हॉल का निर्माण किया गया है। लोगों को राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और विरासत की जानकारी देने के लिए दून में कोई संग्रहालय नहीं है, यह हॉल इस कमी को भी पूरा करेगा।
 

पंकज सिंह महर

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देहरादून, जागरण संवाददाता: समुद्र तल से 3886 मीटर की ऊंचाई पर स्थित प्राचीन मंदिर तुंगनाथ व चंद्रशिला चोटी तक ट्रैकिंग की चाहत रखने वाले पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है। गढ़वाल मंडल विकास निगम 1996 से बंद पड़े अपने चोपता स्थित पर्यटक आवास गृह को जल्द ही खोलने जा रहा है। इसके लिए निगम को आवास गृह में जैविक-अजैविक कचरे के निस्तारण की ठोस व्यवस्था करनी होगी। साथ ही, अन्य सभी व्यवस्थाओं को भी इको फ्रेंडली बनाना होगा, जिसमें करीब 50 लाख रुपये खर्च का अनुमान है। पहाड़ी ढलानों पर स्थित घास के मैदानों (बुग्याल) से होते हुए प्राचीन तुंगनाथ महादेव मंदिर तक पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों व पर्यटकों को अब चोपता में आवास सुविधा के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। गढ़वाल मंडल विकास निगम 12 साल से बंद पड़े अपने चोपता पर्यटक आवास गृह को फिर से खोलने की तैयारी में जुट गया है। वर्ष 1994 में स्थापित इस आवास गृह को पर्यावरणीय कारणों के चलते 1996 में हाईकोर्ट के आदेश पर बंद कर दिया गया था। निगम ने इसके लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था कर अजैविक कचरे को श्रीनगर स्थित डेंसिक एवेशन प्लांट में निस्तारित करने की योजना बनाई है। चोपता को जीरो गारबेज जोन बनाते हुए किचन में एलपीजी व सोलर कुकर इस्तेमाल करने होंगे। साथ ही, पक्के निर्माण की जगह बैम्बू हट बनाकर 33 फीसदी क्षेत्र में हरित वाटिका भी तैयार करनी होगी। यह तमाम व्यवस्थाएं जुटाने में तकरीबन 50 लाख खर्च का अनुमान है। हालांकि पूर्व में आईआईटी रुड़की द्वारा तैयार डीपीआर में इस पर 80 लाख खर्च का अनुमान था, जिसका प्रस्ताव 2004 में पर्यटन निदेशालय को भी भेजा गया था। निगम के चेयरमैन उमेश अग्रवाल ने बताया कि अब नये सिरे से पहल की जा रही है। उम्मीद है कि आगामी ट्रैकिंग सीजन से पहले इस दिशा में काफी कुछ काम हो जाएगा।
 

पंकज सिंह महर

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पौड़ी, जागरण कार्यालय: नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटक गांव खिर्सू आने वालों के लिए एक और खुशखबरी है। गढ़वाल मंडल विकास निगम खिर्सू को बर्ड वाचिंग सेंटर के रूप में विकसित करने की तैयारी में जुट गया है। यदि पर्यटन को बढ़ावा देने की निगम की यह पहल साकार होती है तो निश्चित रूप से खिर्सू को पर्यटन के अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान मिल पाना संभव हो सकेगा। मंडल मुख्यालय पौड़ी से करीब बीस किमी की दूरी पर स्थित खिर्सू पहले से ही देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की पसंदीदा जगहों में से एक रहा है। यहां पर प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों में सबसे अधिक संख्या बंगाली व विदेशी पर्यटकों की है। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटक गांव खिर्सू के चारों ओर फैले बांज-बुरांस व देवदार के हरे-भरे जंगल यहां आने वाले पर्यटकों को एक नई ताजगी का एहसास कराते हैं, वहीं यहां से दिखने वाला हिमालय का विहंगम दृश्य पर्यटकों के स्वागत के लिए आतुर दिखाई देता है। यही नहीं, पर्यटकों की सुविधा को देखते हुए रहने के लिए यहां पर गढ़वाल मंडल विकास निगम का आवासगृह, वन विभाग का विश्राम गृह व निजी लाज भी बनाए गए हैं। अब गढ़वाल मंडल विकास निगम ने खिर्सू को और अधिक आकर्षक व खूबसूरत बनाने के लिए एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत खिर्सू के कई किमी वर्ग क्षेत्रफल में फैले बांज-बुरांस व देवदार के जंगलों को देशी-विदेशी पक्षियों का बसेरा बनाया जाएगा। इसके लिए निगम ने एक कार्ययोजना तैयार कर अमलीजामा पहनाने की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही निगम, खिर्सू व आस-पास के क्षेत्रों में ट्रैक रूटों को भी विकसित करने जा रहा है, जिससे यहां आने वाले पर्यटक टै्रकिंग का भी भरपूर आनंद उठा सकें। गढ़वाल मंडल विकास निगम के उपाध्यक्ष जसपाल सिंह नेगी का कहना है कि खिर्सू में बर्ड वाचिंग का प्रस्ताव शीघ्र ही बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद इसको अमलीजामा पहनाने की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार पौड़ी व आस-पास के दर्जनों उपेक्षित पर्यटन स्थलों को भी विकसित करने की योजना बना रही है, जिससे खिर्सू के साथ-साथ आस-पास के सौंदर्य से भरपूर रमणीक स्थलों को उनके महत्व के अनुरूप विकसित किया जा सके।
 

पंकज सिंह महर

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देहरादून। उत्तराखंड में अब ग्रामीण पर्यटन की परिकल्पना साकार होने की संभावना दिख रही है। सूबे के प्रत्येक जिले में दो गांवों को चुनकर वहां आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। एक गांव पर अनुमानत: 70 लाख से अधिक रुपये खर्च किए जाएंगे।

मुख्यमंत्री के पर्यटन सलाहकार प्रकाश सुमन ध्यानी के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद इन गांवों का चयन करेगी। इसके लिए जिलाधिकारी के स्तर पर समितियों का गठन किया जा चुका है। इन पर पंचायत चुनाव के बाद अमल किया जाएगा। इस योजना के तहत पर्यटन गांव की परिकल्पना को साकार किया जाएगा। एक तरफ गांवों में पूरे साल पर्यटन गतिविधियां संचालित करने का प्रयास किया जाएगा। दूसरी तरफ सिर्फ यात्रा रूट पर चलने वाले पर्यटन को अंदर के गांवों तक पहुंचाने का प्रयास इस योजना में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर गांव के लिए निर्धारित राशि में से 50 लाख के करीब हार्डवेयर पर खर्च किया जाएगा। इसके तहत गांव की सड़कें, पुल, सामुदायिक भवन, प्रकाश व्यवस्था सीवेज सिस्टम और सालिड स्टेट मैनेजमेंट समेत इंफ्रास्ट्रेक्चर डेवलपमेंट को शामिल किया गया है। दूसरा हिस्सा साफ्टवेयर कहलाएगा। इसे स्वयं सेवी संगठनों तथा सेल्फ हेल्प गु्रपों के सहयोग से पूरा किया जाएगा। इसमें इन संस्थाओं द्वारा गांव में जागरूकता के लिए प्रशिक्षण, स्वास्थ्य की जानकारी, सेमिनारों का आयोजन आदि शामिल है। पर्यटन विकास के लिए संचालित की जा रही वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में इन पर्यटन ग्रामों के युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

पंकज सिंह महर

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नैनीताल। साल दर साल घट रही बंगाली पर्यटकों की आमद में वृद्धि के लिए कुमाऊं व गढ़वाल मंडल विकास निगम के आवास गृहों में आटम सीजन के दौरान सीमित सर्किटों में बंगाली सैलानियों को विशेष पैकेज के तहत 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। प्रदेश के पर्यटन के व्यापक प्रचार के लिए पर्यटन विभाग ने कोलकता के ट्रेवल एजेंटों व मीडिया को आमंत्रित किया है।

गौरतलब है सितंबर व अक्टूबर में चलने वाला सीजन बंगाली सीजन के नाम से जाना जाता है। परन्तु पिछले एक दशक से बंगाली सैलानियों की आमद में निरंतर कमी आ रही है। हालांकि पर्यटन विभाग के अधिकारी इससे सहमत नहीं है। इसके बावजूद पर्यटन विभाग आटम सीजन के दौरान बंगाली पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए बेहद फिक्रमंद है। जिसके मद्देनजर हाल ही में कोलकता में आयोजित टूरिज्म ट्रेड मार्ट में पर्यटन मंत्री प्रकाश पंत समेत विभाग के उच्चाधिकारियों ने भाग लिया। इस दौरान पर्यटन मंत्री ने बंगाली सीजन के दौरान कुछ सीमित सर्किटों में बंगाली सैलानियों को निगम के पर्यटक आवास गृहों में 10 प्रतिशत की विशेष छूट देने की घोषणा की।

संयुक्त निदेशक पर्यटन एके द्विवेदी के मुताबिक पांच व 6 दिवसीय विशेष पैकेज बनाए गए है। कुमाऊं में पूर्णागिरि, श्यामलाताल, लोहाघाट व मायावती सर्किट के लिए 6 दिवसीय पैकेज बनाया है, जबकि जागनाथ, कालिका, पाताल भुवनेश्वर, बागनाथ व बैजनाथ के लिए पांच दिवसीय पैकेज बनाया है। इसी तरह गढ़वाल मंडल के लिए भी विशेष पैकेज बनाए गए है। राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने पहली बार विशेष छूट वाले पैकेज का प्रावधान रखा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के पर्यटन का व्यापक प्रचार हो सके इसके लिए कोलकता के ट्रेवल एजेंटों व मीडिया को आमंत्रित किया गया है। 15 से 30 अगस्त के बीच प्रदेश के सीमित सर्किटों में उन्हे नि:शुल्क आवास मुहैया कराया जाएगा। कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम अशोक जोशी ने बताया कि बंगाल में लगे टीटीएफ पर्यटन मेले के दौरान बंगाली सैलानियों को आकर्षित करने के लिए राज्य के खूबसूरत पर्यटन स्थलों की जानकारी दी गई। साथ ही प्रदेश में विकसित किए जा रहे नए पर्यटन स्थलों की खूबियों के बारे में भी प्रचारित किया गया। पर्यटन विभाग को उम्मीद है कि विभाग द्वारा की जा रही कवायद से निश्चित बंगाली सैलानियों की आमद में इजाफा होगा।

पंकज सिंह महर

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बागेश्वर। बागनाथ मंदिर में सावन के अंतिम सोमवार को हवन व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। श्रावण मास के अंतिम सोमवार के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान करते हुए मंदिर में पूजा अर्चना की।

हवन व भंडारे का आयोजन विधायक चंदन दास, नगर पालिका अध्यक्ष सुबोध साह, कोतवाल चंदन सिंह जड़ौत, भाजपा जिला महामंत्री जगदीश कालाकोटी, प्रमोद मेहता, डब्बू ने किया था। गायत्री परिवार के सदस्यों ने हवन में प्रतिभाग किया। दिन भर चले विशाल यज्ञ में जिले में शांति, सुख समृद्धि की कामना की गयी। बाद में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इससे पूर्व प्रात: से ही मंदिर में जल चढ़ाने वालों का तांता लगा रहा। बागनाथ मंदिर, उल्का, चंडिका, नीलेश्वर, बैजनाथ मंदिरों सहित जनपद के विभिन्न स्थानों में सोमवार को विशेष पूजा अर्चना की गयी।

बागनाथ मंदिर में रोपा बेल पत्री का पौधा

बागेश्वर। श्रावण माह के अंतिम सोमवार को ग्रामीण संस्कृति संस्कार श्रम समिति ने बागनाथ मंदिर में बेल पत्री व तुलसी का पौधा रोपित किया। इस अवसर पर श्रीमहंत शंकर गिरी ने कहा कि बेलपत्री व तुलसी का पौध का पर्यावरण के साथ ही धार्मिक रूप से काफी महत्व है। मंदिर परिसर में पहली बार बेलपत्री का पौध रोपित किया गया। श्री महंत ने कहा कि बेलपत्री लगने से श्रद्धालुओं को सुविधा होगी ही साथ ही पर्यावरण में इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा।

 

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