पौड़ी गढ़वाल। नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर पौड़ी जनपद में पर्यटन उपेक्षा का शिकार है। जनपद में अनगिनत स्थल ऐसे है जिन्हें एक बार देखने के बाद हर कोई बार-बार देखना चाहेगा, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यह पर्यटकों की नजरों दूर हैं। यदि पर्यटन विभाग और उससे जुड़ी संस्थाएं यदि इस ओर ध्यान दें तो यहां पर्यटन न सिर्फ एक कारोबार का रूप ले ले लेगा अपितु बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी मुहैया होंगे।
पौड़ी को कुदरत ने नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान किया है। बड़ी-छोटी पहाड़ियों पर स्थित ये रमणीक स्थल हर किसी को अपनी ओर खींच लेते हैं। जनपद मुख्यालय में क्यूंकालेश्वर मंदिर, कण्डोलिया मंदिर व नागदेव मंदिर शामिल हैं। पौड़ी नगर भी सुरम्य स्थलों में एक है। जनपद के अन्य क्षेत्रों में कोट ब्लाक स्थित देवल मंदिर, ब्लाक मुख्यालय खिर्सू, श्रीडांडानागराजा, व्यासघाट, ताराकुण्ड, विनसर महादेव, पैठाणी व यहां पर स्थित राहू मंदिर, विनसर महादेव, ताड़केश्वर महादेव मंदिर, सुरम्य नगरी लैंसडौंन, थलीसैंण ब्लाक स्थित गबनी क्षेत्र, गगवाड़स्यूं घाटी, कण्डारा घाटी आदि शामिल हैं। इसके अलावा भी छोटे-बड़े कई स्थल ऐसे हैं जिन्हें प्रकृति ने फुरसत से सजाया है। पर्यटक काफी संख्या में यहां पहुंचते भी हैं। हालांकि कई अधिकतर पर्यटक स्थलों तक पहुंचने में खासी दिक्कतें होती हैं। कहीं सड़क मार्ग नहीं है तो कहीं आवासीय सुविधाएं नहीं हैं। इन स्थलों पर सुविधाओं के विकास की जरूरत है। साहसिक खेलों के लिए भी जनपद में बेसुमार स्थल हैं। इन स्थलों पर पर्वतारोहण, रीवर राफ्टिंग, पैरा ग्लाइडिंग की जा सकती है। स्थान-स्थान पर बाहर से आने वाले साहसिक पर्यटक के इच्छुक लोग कैंप भी लगा सकते हैं। यहां के महेश ढौंढियाल का कहना है कि यदि पर्यटक स्थलों तक पहुंचने की व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त की जाती है तो यहां पर पर्यटक कारोबार समृद्ध हो सकता है। साहसिक पर्यटन अधिकारी जेएस चौहान का कहना है कि गत वर्ष पौड़ी जनपद व जिले के अन्य हिस्सों के भ्रमण पर करीब 80 हजार पर्यटक पहुंचे और इस बार पर्यटकों की संख्या में करीब 20 फीसदी इजाफा हुआ है। उनका मानना है कि आने वाले समय में जनपद पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान बना सकता है।