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Tourism in Bagehswar (Uttarakhand) पर्यटन की दृष्टि से बागेश्वर

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विनोद सिंह गढ़िया:
पर्यटन विकास के लिए 1.41 करोड़ का प्रस्ताव

राज्य बनने के बाद खर्च हुए 4.57 करोड़

बागेश्वर। जिले का पर्यटन व्यवसाय साहसिक यात्राओं और प्राचीन मंदिरों की आस्थाओं पर केंद्रित है। राज्य बनने के बाद जिला योजना और राज्य योजना के मदों से पर्यटन विकास के लिए साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। इसी वित्तीय वर्ष में पर्यटन विभाग ने जिला योजना से 1.41 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है।
राज्य के इस दूरस्थ जिले में मुख्य रूप से खूबसूरत ग्लेश्यिर, बुग्याल और प्राचीन मंदिर लोगों को लुभाते रहे हैं। साहसिक पर्यटन के तहत जिले में ऐडवेंचर फाउंडेशन कोर्स, सर्च ट्रेकिंग, पर्वतारोहण, रीवर राफ्टिंग, कयाकिंग, पैराग्लाइडिंग, आइस स्केटिंग, स्नो स्कीइंग, आर्टिफिशियल क्लाइबिंग, आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण और जल क्रीड़ा शामिल हैं। पिंडारी ग्लेशियर, कफनी ग्लेशियर, सुंदरढुंगा ग्लेशियर, पाण्डुस्थल , लीती और कौसानी का नैसर्गिक सौंदर्य सैलानियों को बार-बार आकर्षित करता है। जबकि धर्मस्थलों में बागेश्वर का ऐतिहासिक बागनाथ मंदिर और बैजनाथ में प्राचीन मंदिर समूह स्थापत्य कला के लिए मशहूर हैं। इनके साथ गहरी आस्था भी जुड़ी हुई है। इनके अलावा नीलेश्वर धाम, चंडिका धाम, शिखर धाम, सनगाड़, भद्रकाली मंदिर, कालिका मंदिर कांडा आदि का विशेष महत्व है। पर्यटन विभाग अभी तक जिला योजना से दो करोड़, 41 लाख, 47 हजार तथा राज्य योजना से दो करोड़, 15 लाख, 44 हजार रुपये खर्च कर चुका है।

स्रोत- अमर उजाला

विनोद सिंह गढ़िया:

विनोद सिंह गढ़िया:
पिंडारी ग्लेशियर मार्ग में कुछ दर्शनीय स्थल



for more information : http://www.merapahadforum.com/tourism-places-of-uttarakhand/pindari-glacier-district-bageshwar-uttarakhand/

विनोद सिंह गढ़िया:
[justify]प्रकृति की अनूठी धरोहर है सुंदरढुंगा का देवीकुंड

बागेश्वर जिला मुख्यालय से 161 किमी दूर विश्व प्रसिद्ध सुंदरढुंगा ग्लेशियर के पास खूबसूरत देवीकुंड प्रकृति की अनूठी धरोहर है। हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित इस कुंड के पवित्र जल को दुर्गा पूजा में भी प्रयुक्त किया जाता है। देवीकुंड की पैदल यात्रा अत्यधिक साहसिक और रोमांचकारी होती है।
देवीकुंड समुद्र की सतह से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए बागेश्वर से 44 किमी दूर सोंग लोहारखेत तक वाहन से यात्रा की जाती है। इसके बाद देवीकुंड हिमालय की पैदल यात्रा शुरू होती है। पहले दिन नौ किमी दूर धाकुड़ी, दूसरे दिन आठ किमी दूर खाती में विश्राम किया जाता है।
यहां से तीसरे दिन सात किमी दूर जातोली, चौथे दिन 16 किमी पैदल यात्रा के बाद देवीकुंड पहुंचा जा सकता है। यहां पहुंचते ही कुंड की छटा लोगों का मन मोह लेती है। लगभग 110 मीटर लंबे और 50 मीटर चौड़े इस प्राकृतिक कुंड में आसपास की हरियाली का प्रतिबिंब चार चांद लगा देता है। कुंड के चारों ओर खिले ब्रह्मकमल के सफेद फूल इस स्थल की रमणीयता को और भी बढ़ा देते हैं।
विशेष बात यह भी है कि देवी कुंड का पानी गर्मी के मौसम में ठंडा तथा शीतकाल में कुछ गर्म हो जाता है। जाड़ों में यह कुंड बर्फ की परतों से ढक जाता है। देवी कुंड को क्षेत्र में पवित्र धार्मिक धरोहर का भी दर्जा प्राप्त है। दुर्गा पूजा के लिए लोग कई दिन पैदल चलकर कुं ड का पानी तांबे के कलशों में भरकर लाते हैं। देवीकुंड प्रवास का अनुभव अत्यधिक रोमांचकारी होता है। यहां की साहसिक और धार्मिक यात्रा के प्रति लोगों का रुझान निरंतर बढ़ रहा है।





साभार : देवेंद्र पांडेय-अमर उजाला [/justify]

विनोद सिंह गढ़िया:
[justify]अगर आप घूमने फिरने के शौकीन हैं तो उत्तराखण्ड में बागेश्वर जनपद के ज्ञानधुरा में लोगों ने पर्यटकों के लिये ऐसे इन्तजाम किये हुए हैं। एकान्त में शीतल शान्ती,अद्भुत सूर्योदय और मनो हारी सूर्यास्त,नामिक ग्लेशियर और राम गंगा के सुन्दर दृश्य,पक्षियों का कलरव, प्रवासी पक्षियों का आवागमन,गांव का रहन सहन और संस्कृति, वनों में अध्ययनात्मक भ्रमण,नामिक ग्लेशियर तक ट्रैक करने की व्यवस्था, उबड़ खाबड़ मार्गों में बाइस्किलिंग, राम गंगा की सैर, सच कह रहा हूं खूब जानने सीखने को मिलेगा यहां।

साभार - रमेश पाण्डेय






Gyandhura Bageshwar

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