रीठा साहिब-REETHA SHAHIB
रीठा साहिब चम्पावत जिले में आता है, चम्पावत से इसकी दूरी ७२ कि०मी० है, यह सिक्खों का पवित्र धार्मिक स्थान है। कहा जाता है कि सिक्ख धर्म के प्रवर्तक नानक देव जी महाराज आध्यात्म की खोज में यहां पहुंचे तथा गोरखपंथी जोगियों के साथ विचार-विमर्श किया। जब वे अपने शिष्यों के साथ एक रीठे के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे तो शिष्यों को भूख लगी तो उन्होंने गुरु जी से भोजन का आग्रह किया, बियाबान जंगल में गुरु जी भी भोजन कहां से लाते, उन्होंने उसी रीठे के पेड़ पर हाथ लगाया और कहा कि जाओ रीठे खा लो। यह सुनकर शिष्य अचकचा गये, लेकिन गुरु के आदेशानुसार जब उन्होंने रीठे खाये तो ये मीठे निकले। तभी से इस जगह का नाम रीठासाहिब हो गया, 1960 में सिख समाज द्वारा यहां पर दियूरी गांव में लधिया और रतिया नदियों के संगम पर गुरुद्वारे का निर्माण कराया गया, बैशाखी पूर्णिमा पर यहां एक विशाल मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से सिख शिरकत करते हैं।
यहां तक पहुंचने के लिये आपको लोहाघाट से देवीधूरा मार्ग पर चलना होगा, इसी मार्ग पर ७२ कि०मी० की दूरी पर रीठासाहिब के दर्शन होंगे। आजकल रीठासाहिब में ही सिख समाज द्वारा मीठे रीठों की एक नर्सरी भी संचालित की जा रही है।