बागेश्वर। कुदरत के कहर से बुधवार को बागेश्वर की कपकोट तहसील कांप उठी। सुमगढ़, सलिंग व सलिंग उडियार गांव में एक साथ बादल फटने के बाद मौत ने जो तांडव किया, वह दिल दहलाने वाला रहा। सुमगढ़ की पहाड़ी में जबर्दस्त भूस्खलन हुआ और सरस्वती शिशु मंदिर तप्तकुंड में मौत बनकर आया मलबा 18 बच्चों को लील गया। एक अध्यापिका समेत सात बच्चे जख्मी हुए हैं, जबकि अन्य ने जैसे-तैसे भाग कर जान बचाई। सुमगढ़ को जोड़ने वाला पुल ध्वस्त होने से राहत व बचाव दल को दुर्गम रास्तों से होकर मौके पर पहुंचना पड़ा। हालांकि ग्रामीणों की मदद से मलबे में दबे एक बच्चे के शव को निकाल लिया गया है। अल्मोड़ा व अन्य जिलों से भी स्थानीय प्रशासन ने राहत दल मांगा है।
कपकोट तहसील के ग्राम सुमगढ़, सलिंग व सलिंग उडियार में बुधवार सुबह एक साथ बादल फट गया। प्रकृति के इस कहर की सर्वाधिक मार सुमगढ़ में पड़ी। कपकोट-सुमगढ़ मार्ग पर सरस्वती शिशु मंदिर तप्तकुंड के ठीक पीछे की पहाड़ी में अचानक भूस्खलन हुआ और पलक झपकते ही खिसक कर आया मलबा स्कूल की पिछली दीवार ध्वस्त कर 18 बच्चों को मौत की नींद सुलाता हुआ आगे बढ़ गया। इस बीच एक अध्यापिका व सात बच्चे भी मलबे की चपेट में आकर जख्मी हो गये जबकि शेष ने भागकर जान बचाई। बादल फटने के बाद तबाही और बच्चों की मौत की खबर से सुमगढ़ गांव में चीत्कार मच गई। ग्रामीणों ने तत्काल कपकोट प्रशासन को इत्तला दी। डीएम डीएस गब्र्याल व एसपी एम. मोहसिन व एसडीएम तीर्थपाल सिंह दलबल के साथ घटना स्थल की ओर दौड़ पड़े। राहत व बचाव टीम भी मौके की तरफ रवाना हुई लेकिन सुमगढ़ क्षेत्र को जोड़ने वाला पुल ध्वस्त होने से काफी विलंब हुआ। बचाव दल दुर्गम रास्तों से होकर घटनास्थल पर पहुंचा। देर शाम समाचार लिखे जाने तक बचाव दल व ग्रामीणों ने मलबे में दबे एक बच्चे का शव निकाल लिया था। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6657218_1.htmlबागेश्वर जिले में बादल फटने से भूस्खलन से कपकोट ब्लाक के शुमगढ़ गांव के एक स्कूल की छत और दीवार ढह गई। इसके मलबे में दबकर स्कूल के 18 बच्चों की मौत हो गई, जबकि महिला आचार्य समेत सात बच्चे घायल हो गए। देर शाम तक 10 बच्चों के शव निकाले जा सके थे। प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिवार को एक-एक लाख और घायलों को 25-25 हजार रुपये मदद देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दर्दनाक हादसे पर गहरा दुख जताया है। पीएम ने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये की मदद का ऐलान किया है। इस बीच अल्मोड़ा से आईटीबीपी के 60 जवान और मेडिकल टीम को मौके पर रवाना कर दिया गया है। देर शाम तक मलबा हटाने का कार्य जारी था।
सुरक्षित निकालने और बचने का मौका नहीं मिला
बुधवार सुबह शुमगढ़ गांव में भारी बारिश से गांव के सरस्वती शिशु मंदिर के भवन से करीब 60 मीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ी में भूस्खलन हो गया। पहाड़ी का मलबा स्कूल भवन की छत और पीछे की दीवार को तोड़ता हुआ स्कूल की प्रथम व तृतीय की कक्षाओं में घुस गया। इस दौरान स्कूल में पढ़ रहे 18 बच्चे मलबे में दब गए, जबकि महिला आचार्य और सात बच्चे इसकी चपेट में आकर घायल हो गए। घटना के वक्त प्रधानाचार्य बालम सिंह भंडारी अपने कक्ष में थे। जमीन के थर्राने की आवाज सुनकर वह बाहर आए। वह बच्चों से बाहर निकलने के लिए कह ही रहे थे कि मलबा बरामदे तक आ आया। इस दौरान बच्चों को सुरक्षित निकालने और बचने का मौका नहीं मिला। दर्दनाक हादसे पर मुख्यमंत्री और आपदा प्रबंधन राज्यमंत्री खजानदास देर रात काठगोदाम एक्सप्रेस से आपदा प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना हो रहे हैं। हादसे की सूचना मिलते ही पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी लेह का दौरा स्थगित कर दिल्ली से कपकोट के लिए रवाना हो गए।
अमर उजाला ब्यूरो