Author Topic: 18 Aug 10-18 School Children Killed in Kapkot, Bageshwar due to Cloudburst  (Read 31016 times)

सत्यदेव सिंह नेगी

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बारिश का कहर जारी, छह की मौत
« Reply #60 on: August 20, 2010, 10:44:37 AM »
  हल्द्वानी/देहरादून: राज्य में बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सुमगढ़ हादसे के बाद गुरुवार को भी भारी तबाही मची रही। कुमाऊं में आज हादसों में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि दो लोग बह गए जिनका अभी तक पता नहीं चल पाया है। देहरादून के निकट रायवाला में एक व्यक्ति की नदी में बहने से मौत हो गई।
कुमाऊं में दन्यां के तहसील भनोली के अन्तर्गत ग्राम पोखरी नैनी निवासी गोबिंदी देवी पत्‍‌नी गोबिंद बल्लभ की मलबे में दबने से मौत हो गई। पिथौरागढ़ के चमना गांव निवासी बसंत सिंह पुत्र जोगा सिंह गुरुवार को जानवर चुगाने जंगल गया था, जहां भूस्खलन की चपेट में आकर वह बुरी तरह लहूलुहान हो गया। उपचार के लिये जिला मुख्यालय लाते समय रास्त में ही उसने दम तोड़ दिया।
एक अन्य घटना में भवाली में बुधवार की रात भारी बारिश के कारण टम्टयूड़ा में एक मकान में मलबा आ गया। मलबे के नीचे दबने से भवन स्वामी जॉन पीटरसन की मौके पर ही मौत हो गई। उधर कैलाश व्यू में एक मकान में मलबा आने से चंपा देवी पत्नी स्व. तारा सिंह रौतेला, उसकी 23 वर्षीया पुत्री रीना और आठ वर्षीया पोती रिया घायल हो गई।
खटीमा में लोहिया नदी पार करते समय गौहरपटिया के हरि सिंह का तीस वर्षीय पुत्र प्रवेश सिंह बह गया, जिससे उसकी मौत हो गई जबकि काशीपुर के हेमपुर सेंट्रल ब्लाक निवासी 15 वर्षीय भरत पुत्र राम चंद्र दोपहर में साइकिल से कहीं जा रहा था। अचानक वह बहला नहर में गिर कर बह गया।
नैनीताल हाइवे, कालाढूंगी तथा भवाली मार्ग बंद रहने से नैनीताल का सम्पर्क कई घंटों तक शेष कुमाऊं से कटा रहा। निर्माणाधीन बल्दियाखान-खुर्पाताल मार्ग मल्ला ताकुला के पास एक किमी दायरे में भूस्खलन के कारण नष्ट हो गया। भवाली मार्ग पर चीड़ के दो वृक्ष गिरने से विद्युत लाइन क्षतिग्रस्त हो गई और दिन भर यातायात ठप रहा। शाम को नैनीताल राजमार्ग खोल दिया गया।
भीमताल में बाईपास रोड पर स्थित नहर उफनाने से उस पर बने दो पुल बह गए। मत्स्य विभाग के समीप बना नवनिर्मित पुल को भी भारी बारिश के कारण खतरा उत्पन्न हो गया है। लमजाला में पुल बह जाने से आवागमन ठप हो गया है। भीमताल-भवाली एवं भवाली-अल्मोड़ामार्ग पर मलबा आने से दोपहर तक बंद रहा। भवाली-नैनीताल मार्ग पर कोतवाली के समीप एक पुल बह जाने से यातायात ठप हो गया। भीमताल में फ्लोरीकल्चर विभाग में पानी भर जाने से फूल का गार्डन पूरी तरह नष्ट हो गया है। इससे करीब 13 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। बेतालघाट विकास खंड के ग्राम खैरना निवासी मनोहर सिंह मेहरा (25) पुत्र स्व.बालम सिंह मेहरा बीती रात खैरना के पास स्थिति कोसी नदी में कूद गया। वह मानसिक रूप से परेशान बताया जा रहा है। इधर रामनगर में सांवल्दे नदी के उफान पर रहने से लगभग तीन घंटे से ज्यादा यातायात अवरुद्ध रहा।
पर्वतीय क्षेत्रों में हुई बारिश से तराई में भी नदी-नाले एक बार फिर उफान पर आ गये हैं। उफनाई जगबूढ़ा का पानी पुल को छूने लगा है। सितारगंज क्षेत्र में बैगुल, सूखी व कैलाश नदियों का जल स्तर काफी बढ़ गया है।
राजधानी देहरादून में बीते 24 घंटे से हो रही बरसात ने जमकर कहर बरपाया। रायवाला में सुसवा नदी में पुल पार करते वक्त एक व्यक्ति के नदी में बहने से मौत हो गई। शहर व आसपास के ग्रामीण इलाकों में आधा दर्जन से अधिक मकान बाढ़ की भेंट चढ़ गए और दो दर्जन से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो गए। दुधली में आठ लोग बाढ़ में चार घंटे तक फंसे रहे। किसी तरह गोताखोरों की मदद से उन्हें निकाला गया। क्लेमनटाउन छावनी क्षेत्र में वैन बह गई जिसमें दो स्कूली बच्चे फंस गए। लोगों की मदद से उन्हें बाहर निकाला गया। सैकड़ों फीट सड़क भी पानी बहा ले गया। कई बीघा कृषि भूमि नदी का हिस्सा बन गई, कई मवेशी बाढ़ की भेंट चढ़ गए। उधर, घरों में पानी घुसने से गुस्साए लोगों ने पटेलनगर रोड पर जाम लगाया, जबकि सिल्ट से पांच विद्युत गृहों में उत्पादन ठप हो गया। बरसात से करोड़ों के नुकसान का अनुमान है।

विनोद सिंह गढ़िया

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गमगीन माहौल में दफनाए १८ बच्चों के शव
 
शुमगढ़॒ (बागेश्वर)। मलबे में दबकर मरे १८बच्चों को बृहस्पतिवार प्रातः॒सरयू नदी किनारे गमगीन माहौल में दफना दिया गया। जिलाधिकारी डीएस॒ गर्ब्याल॒ के निर्देश पर सभी शवों का डाक्टरों ने घटनास्थल पर ही पोस्टमार्टम कराकर उन्हें परिजनों को सौंपा था।
मलबे में दबे १८ बच्चों में रमेश, मुन्ना, चंद्रशेखर, नेहा, मनीषा, उर्मिला, योगिता, गौरव, तारा, दीपा, भारती, पंकज, खीम, प्रेमा, खुशबू, करण, प्रीति तथा मोहित का डीएम के निर्देश पर सीएस॒भट्ट, डा. एमपी सिंह तथा डा. खीमपाल॒ने मौके पर पोस्टमार्टम किया। बच्चों का जनेऊ संस्कार नहीं होने से ग्रामीणों ने उन्हें सरयू नदी के किनारे तप्तकुंड॒ तथा भैंसखाल॒ के आसपास अलग-अलग स्थानों पर दफना दिया। बच्चों को अंतिम विदाई देते समय लगातार हो रही बारिश से लग रहा था कि मानो प्रकृति भी आंसू बहा रही हो। इस मौके पर विधायक शेर सिंह गड़िया,ग्रामीण उत्थान समिति के उमेश जोशी समेत बड़ी संख्या में अन्य लोग मौजूद थे।
 

http://www.amarujala.com/city/Bagrswar/Bagrswar-1666-114.html

Jasbeer Singh Bisht

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Red alert issued as heavy rains wreak havoc in Uttarakhand
« Reply #62 on: August 20, 2010, 11:09:56 AM »
A red alert was today  issued in Uttarakhand after heavy rains wreaked havoc in the hill  state, flattening houses, blocking roads and paralysing tourist  activities with panic-stricken people leaving some disaster-prone  villages.
A day after landslides killed 18 school children in Bageshwar  district, two more persons died in house collapse incidents. This led  the state-run Disaster Management and Mitigation Centre (DMMC) to issue  a red alert in the entire state. A total of 43 people have died so far  in the rains-related incident this season.
Panic-stricken people were leaving some of the disaster-prone  villages particularly in the hilly Bageshwar and Rudraprayag districts  as incessant rains continued. Most of the people have migrated to safer  areas from Nagjagai village in Rudraprayag and Sumgarh and Saling  villages in Bageshwar district. All schools in the state have been  closed for two days, an official statement said.
Nearly 75-100 houses collapsed overnight in different areas,  officials here said. Nearly half a dozen houses were flattened in the  hill resort of Mussoorie due to overnight heavy rains. In Harsiabagad  area of Bageshwar district, nearly 12 houses collapsed.
In Bageshwar district where 18 children died after a school  collapse, the authorities completed the rescue operation by recovering  all the bodies. All the 18 bodies were handed over to their relatives  after the post-mortem, police said.
Tourism bore the brunt of heavy rains as the ‘chardham’ yatra  comprising pilgrimage to four hilly shrines – Badrinath, Kedarnath,  Yamunotri and Gangotri, continued to hit due to heavy landslides at  number of places in the Garhwal region. Tourism activities have also  come to a standstill in Mussoorie, Nainital and other hill stations.

हेम पन्त

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सुनने में आ रहा है कि जिस स्थान पर यह घटना घटी है उससे कुछ ही दूरी पर एक जलविद्युत परियोजना की सुरंग बनाई है जिसके लिये भारी विस्फोटकों का उपयोग हुआ था. हो सकता है यह जलविद्युत परियोजना ही इन मासूम बच्चों की मौत के लिये जिम्मेदार हो...

सत्यदेव सिंह नेगी

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  मृत बच्चों की याद में बनेगा स्मारक: निशंक              Aug 20, 01:01 am               कपकोट(बागेश्वर): प्रदेश के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर तप्तकुंड की घटना में मारे गये बच्चों की याद में स्मारक बनाया जाएगा। उन्होंने विद्यालय के पुनर्निर्माण के लिए 10 लाख रुपये देने की घोषणा करते हुए मृत बच्चों के परिजनों को दी जाने वाली सहायता राशि बढ़ाकर दो लाख रुपये करने की घोषणा भी की। इसके साथ ही बच्चों की याद में एक चिल्ड्रन पार्क बनाने का निर्देश भी दिया। सीएम ने अपने साथ गए राज्यमंत्री खजान दास और कुमाऊं आयु्क्त को दो दिनों तक क्षेत्र में ही कैंप करने को कहा है।
गुरुवार को मुख्यमंत्री जगह-जगह बंद रास्तों के कारण सुबह से चलते हुए शाम को बमुश्किल सुमगढ़ पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद कहा कि यह उनके जीवन की सबसे हृदय विदारक घटना है। इससे वह बेहद दु:खी हैं। उन्होंने कहा कि इसकी भरपाई करना संभव नहीं है, लेकिन प्रदेश सरकार प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद करेगी। उन्होंने सरस्वती शिशु मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए 10 लाख रुपये तथा मृत बच्चों के परिजनों को दी जाने वाली सहायता राशि बढ़ाकर दो लाख रुपये करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि बच्चों की याद में पांच लाख रुपये से एक स्मारक बनाया जाएगा। साथ ही भू वैज्ञानिकों से सलिंग, सूडिंग, सुमगढ़ आदि गांवों का निरीक्षण कराया जाएगा। यदि वैज्ञानिकों ने कहा कि गांव में खतरा है तो उन्हें विस्थापित किया जाएगा। उन्होंने टूटी सड़कों, पुलों तथा रास्तों को तत्काल दुरुस्त करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिये। घटनास्थल पर पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी बेहद भावुक हो गये। भ्रमण में उनके साथ स्वास्थ्य राज्यमंत्री बलवंत सिंह भौर्याल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बची सिंह रावत, पूर्व समाज कल्याण मंत्री अजय टम्टा, आपदा प्रबंधन राज्यमंत्री खजान दास, विधायक शेर सिंह गढि़या व चंदन दास, आपदा प्रबंधन उपाध्यक्ष हीरा धपोला, सांसद प्रदीप टम्टा आदि मौजूद थे।

सत्यदेव सिंह नेगी

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  कांग्रेस का व्हिप नजर अंदाज कर आए प्रदीप              Aug 20, 12:40 am            बागेश्वर। अल्मोड़ा के सांसद प्रदीप टम्टा कांग्रेस राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा सांसदों को दिल्ली न छोड़ने का व्हिप जारी होने के बाद भी सुमगढ़ आ ही गए। उन्होंने कहा कि उनके लिए जनता के दुख दर्द में शामिल होना आवश्यक है। इसलिए वे यहां आए हैं।
बता दें कि वर्तमान में संसद में चल रहे मानसून सत्र के चलते कांग्रेस हाईकमान ने सभी सांसदों को संसद में ही रहने व दिल्ली न छोड़ने की हिदायत दी थी बुधवार को जैसे ही अल्मोड़ा के सांसद प्रदीप टम्टा को सुमगढ़ में हुई दर्दनाक घटना की जानकारी मिली तो वे तुरंत घटनास्थल को रवाना हो गए। श्री टम्टा ने कहा कि उनका पहला दायित्व जनता के सुख व दुख में साथ देना है इसलिए वे प्रत्येक कार्य को छोड़कर जनता के दुख में भी उनके साथ रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने की मृतकों व घायलों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा
बागेश्वर। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कपकोट के सुमगढ़ गांव के सरस्वती शिशु मंदिर तप्तकुंड में मारे गए बच्चों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 1-1 लाख व घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। सांसद प्रदीप टम्टा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री हरीश रावत व उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया जिस पर उन्होंने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए यह घोषणा की साथ ही प्रदेश सरकार को आपदा प्रबंधन के लिए ठोस उपाय करने के निर्देश दिए हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड में दो दिन का राजकीय शोक   
 देहरादून | राज्य सरकार ने कपकोट हादसे में मृत बच्चों के प्रति शोक व्यक्त करते हुए राज्य में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। राज्य के सरकारी और सरकारी सहायताप्राप्त स्कूलों में तीन दिन का शोक अवकाश भी घोषित कर दिया गया है। देहरादून में मुख्य सचिव एन एस नपलच्याल ने बताया कि कपकोट तहसील के सुमगढ़ स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में मलबा आने से 18 बच्चों की मौत पर राज्य में 19 और 20 अगस्त को दो दिन का राजकीय शोक रहेगा। इस अवधि में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे और राज्य में भी राजकीय मनोरंजन वाले कार्यक्रम भी नहीं होंगे। मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक के निर्देश पर स्कूलों में तीन दिन का शोक अवकाश भी घोषित किया गया है। वहीं नैनीताल में मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रदेश में हो रही प्राकृतिक आपदाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए आपदा प्रबंधन को मजबूत किये जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि मसूरी और नैनीताल में रडार सिस्टम शुरू किया जाएगा। बागेश्वर के सूमगढ़ गांव में आई आपदा का दौरा करने जा रहे मुख्यमंत्री डा. निशंक ने गुरुवार को हल्द्वानी व अल्मोड़ा में पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहा कि यह बहुत बड़ा हादसा था। सरकार ने राहत कार्य तेज कर दिये हैं। राहत कार्यो में आईटीबीपी के जवानों को भी लगाया गया है। मृतक बच्चों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना में घायल बच्चों व शिक्षकों के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। राहत कार्य के लिए चिकित्सकों को भी भेज दिया है। उनका कहना था कि प्रदेश में आपदा की दृष्टि से 101 ग्रामों को चिह्नित किया गया है। सरकार का प्रयास है कि इन सभी खतरे की जद में जीवन यापन कर रहे ग्राम के ग्रामीणों को अन्यत्र बसाने की कार्रवाई जल्द से जल्द शुरू की जाएगी। इस संदर्भ में भू-वैज्ञानिकों से विशेषज्ञ जानकारी व टिप्पणी ली जा रही है। खतरे की जद वाले गांवों को चरणबद्ध तरीके से अन्यत्र बसाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बारिश ने 25-30 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। मौसम विभाग के अनुसार अभी और बारिश की संभावना जतायी है। इसलिए पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया गया है। डॉ. निशंक ने कहा कि आपदा प्रबंधन को मजबूत किया जा रहा है। इसके लिए मसूरी व नैनीताल में रडार सिस्टम लगाया जाना है। जैसे ही भूमि का मामला हल हो जाता है, इसे शुरू कर दिया जाएगा। इससे अतिवृष्टि की सूचना पूर्व में ही हो जाएगी। इसके लिए तत्कालीन केन्द्रीय सूचना, प्रसारण एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री बची सिंह रावत ने भी प्रयास किये थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नदी, नालों के मार्गो पर बन रहे भवनों पर कड़ाई से रोक लगाई जाएगी। ऐसे स्थानों पर बसासत की कतई स्वीकृति नहीं दी जाएगी जो क्षेत्र खतरे की जद में हैं। अल्मोड़ा से लेकर चमोली-उत्तरकाशी तक की पूरी पट्टी में भू-वैज्ञानिकों से शोध कराने का निर्णय लिया गया है। जो लोग नदी, नालों के इर्दगिर्द बस गए हैं उन्हें आवश्यक रूप से हटाना होगा।   यह खबर निम्न श्रेणियों पर भी है: राष्ट्रीय   
 
http://www.pressnote.in/national-news_90157.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Difficult to see such scene.


The reasons of such landslides might be due to high rate of deforestation and the spate of Hydro Projects under constructions in Uttarakhand. A Hdro Project is already under construction in nearby areas of Sumgarh village. I believe somewhere Govt is jeopardizing life of lacs of people in different part of Uttarakhand. Uttarakhand is already very-2 sensitive state in terms of earthquake and landslides.

As a precautionary measures , I can suggest the following :

-   Hdyro Projects should be stopped immediately otherwise.
-   Plantation should be emphasized.
-   Sensitive areas in terms of earthquake and landslides identified and people should be advised to settle in safe places.





                पथराई आंखों ने दी 18 बच्चों को अंतिम विदाई
                                                                                   बागेश्वर। सुमगढ़ में बादल फटने के बाद सरस्वती शिशु मंदिर में जिंदा   दफन हुए सभी 18 बच्चों के शव निकाल लिये गये हैं। प्रशासन ने सामूहिक   पोस्टमार्टम करने के बाद शव परिजनों को सौंपे। क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने   रोते-बिलखते मासूमों का अंतिम संस्कार किया।
 बुधवार की सुबह सुमगढ़ के सरस्वती शिशु मंदिर तप्तकुंड में बादल फटने   के बाद आये मलबे में 18 बच्चे जिंदा दफन हो गये थे। स्थानीय ग्रामीणों,   पुलिस प्रशासन, आईटीबीपी व राजस्व टीम ने सभी शवों को मलबे से निकाल लिया   है। जिला प्रशासन ने घटना स्थल पर ही मृत बच्चों का पोस्टमार्टम कर शव   परिजनों को सौंप दिए। इस घटना से गांव में मातम छाया है। नन्हे-मुन्ने   बच्चों के शव जब परिजनों को सौंपे गए तो चारों ओर चीत्कार व क्रंदन गूंज   उठा। इस हृदयविदारक दृश्य को देख हर व्यक्ति रो पड़ा। परिजन कलेजे पर पत्थर   रखकर अपने लाड़लों को दफनाने ले गये। इस दौरान सुमगढ़, सलिंग, पेठी, सलिंग   उडियार आदि गांवों के सैकड़ों लोग मौजूद थे। शवों को लोगों ने अपने-अपने   गांवों के श्मशान घाट पर दफन किया। इस दौरान डीएम डीएस गब्र्याल, एसपी   मुख्तार मोहसिन सहित तहसील स्तर के अधिकारी भी मौजूद थे।



http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6659759.html

   

        

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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बहुत ही दुखद घटना है मरने वालो मैं ज्यादातर ५-६ साल की उम्र के थे. जिन्हें भागने का मौका ही नहीं मिला. भगवान् उनके परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति दे.

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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ये बहुत ही असहनीय घटना है ..... भागवान इन सभी बच्चो के परिवार  वालो को इस दुःख से उभरने की शक्ति दे..
इन प्राकृतिक आपदाओ से बचने के लिए न सिर्फ सरकारे बल्कि हम सभी को भी इसकी पहल करनी होगी की kaise हमें इन प्राकृतिक आपदाओ से बचना होगा..
हम लोगो के समय में भी ज्यादा ठण्ड या फिर बरसात होने पर हेड मास्टर के पास ये अधिकार  होते थे कि ओ स्कूलों  को बंद करा सके पर ये आज सिर्फ मुख्यमंत्रियों के पास ये अधिकार है इस तरह के अधिकार छोटे स्चूलो के हेड मास्टरों के पास आज भी होने चाहिए... खास कर इन दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों के लिए..
इस घटना ने मुझे खुद झकझोर दिया है क्यों कि ये ओ बच्चे थे जो न सिर्फ उत्तराखण्ड के बल्कि पुरे हिंदुस्तान के भविष्य थे..
 
साथियों हमें भी यहाँ कि सहायता के लिए कुछ पहल करनी चाहिए.. अभी पुरे भारत वर्ष मे सभी लोग अपने अपने सत्तर पर कार्य कर रहे है..
अभी मुझे कुछ एक खबर मिली है कि इस इलाके के लिए कुछ लोग जा रहे है कम से कम हमारे परवास मे रह रहे लोग इस दुःख भरी घडी मे उस गाँव के लोगो के साथ तो रहेंगे...
 

 

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