Author Topic: 18 Aug 10-18 School Children Killed in Kapkot, Bageshwar due to Cloudburst  (Read 31017 times)

दीपक पनेरू

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18 Aug 10-18 School Children Killed in Kapkot, Bageshwar due to Cloudburst
« Reply #70 on: August 21, 2010, 09:53:48 AM »
केंद्र की उपेक्षा के  बाद भी  लोगों को  नहीं होने देंगे परेशानी : निशंक  सुमगढ़ हादसे में अपने जिगर के टुकड़े को खो चुकी मां को ढांढस बंधाते लोग।                             जागरण  सुमगढ़ (कपकोट), निप्र: 18 बच्चों की मौत ने सुमगढ़ के ग्रामीणों को झकझोर   कर रख दिया है। बदहवास मां-बाप तथा अन्य ग्रामीण इस घटना के दो दिन बाद अब   जैसे-तैसे कमर बांधकर उठने का प्रयास कर रहे हैं। जीवन फिर पुरानी दिनचर्या   में लौटने लगा है।   बुधवार की सुबह बादल फटने के बाद पूरा क्षेत्र तबाह हो चुका है। सरस्वती   शिशु मंदिर में पढ़ने वाले 18 बच्चे मलबे में जिंदा दफन हो गये थे। इसके   अलावा कई घरों, खेतों, सड़कों को बेहद नुकसान पहुंचा है। गांव में दो दिन   मुख्यमंत्री, विधायकों व अधिकारियों का जमावड़ा रहा। प्रभावित परिवारों को   सभी ढांढस बंधा गए। लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि उन्हें जीवन इसी तरह   कष्ट में ही गुजारना है। अब लोग खुद को संभालकर पुरानी दिनचर्या में लौटने   का प्रयास कर रहे हैं। जीआईसी सौंग में शिक्षक सोबन सिंह टाकुली कहते हैं   कि हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया है, लेकिन दर्द को सहते हुए जीवन की   नई शुरुआत तो करनी ही है। हालांकि उन्हें अति संवेदनशील क्षेत्रों में   सुरक्षा के उपायों में खामी से शिकायत भी है। दूसरी ओर जंगलों से घास लाती   महिलाएं, जानवरों को चुगाने गए बच्चे मानो अब बुधवार की घटना को भुलाने का   प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण विद्यालय के आसपास पड़े मासूमों के बस्ते, टिफन   देखकर बिलख पडते हैं। इन बस्तों की किताबें अब बच्चों की जिंदगी के अध्याय   की तरह बंद हो चुकी हैं। दूसरी ओर प्रकृति के कहर के बाद अब यहां   खाद्यान्न संकट गहराने लगा है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पास मिट्टी तेल,   आटा, चावल तक भी नहीं है। रास्ते बंद होने के कारण वे खाद्य सामग्री लेने   नहीं जा पा रहे हैं। क्षेत्र को जोड़ने वाला मुख्य पुल क्षतिग्रस्त हो जाने   से खच्चरों की आवाजाही भी नहीं हो पा रही है। जिलाधिकारी डीएस गब्र्याल ने   कहा कि क्षेत्र में खाद्यान्न संकट दूर करने के आदेश दिए गए हैं। शीघ्र ही   गांव में खाद्य सामग्री     शेष पृष्ठ 17 पर    पटरी पर लौटने लगी जिंदगी की गाड़ी  हल्द्वानी, जासं: मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि प्रदेश भर   में प्राकृतिक आपदाएं आयी हैं। इनमें जन-धन की भारी हानि के बावजूद सभी   लोगों को धैर्य रखने की जरूरत है। उन्होंने प्रभावितों को राहत और पुनर्वास   के लिए एकजुट होकर सहयोग करने की अपील की। साथ ही कहा कि केंद्र सरकार से   समय पर सहयोग न मिलने के बावजूद विस्थापित परिवारों के लिए वैकल्पिक   व्यवस्था की जाएगी।   बागेश्वर से लौटने के बाद शुक्रवार को यहां सर्किट हाउस में पत्रकारों से   वार्ता करते हुए डॉ. निशंक ने कहा कि कपकोट के सुमगढ़ की घटना पूरे   उत्तराखंड के लिए दु:खदायक है। इससे गांव के आसपास के क्षेत्र में भी भारी   क्षति हुई है। मंडलायुक्त व आपदा राज्यमंत्री खजान दास को प्रभावित क्षेत्र   में कैंप लगाकर पीडि़त लोगों की समस्याओं का समाधान करने के निर्देश दिये   गए हैं। उन्होंने कहा कि विस्थापन वाले क्षेत्रों को चिह्नित किया जायेगा।   अगर केंद्र सरकार सहयोग नहीं करती है तो भी लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था   की जाएगी। लोगों को सुरक्षित स्थान पर बसाना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता   है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।   केद्र में चाहे कोई भी सरकार हो,   

दीपक पनेरू

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आपदा प्रबंधन: काहिली में बहते हैं करोड़ों

      चन्द्रेक   बिष्ट, नैनीताल  राज्य बने दस साल बीत चुके हैं। इस अवधि में भटवाड़ी (उत्तरकाशी), कर्मी व   सुमगढ (बागेश्वर), ला झकेला धारचूला समेत तमाम इलाकों में तमाम जिंदगी   प्राकृतिक प्रकोप से खत्म हो गई। मगर अफसोस कि इतना झेलने के बाद भी आपदा   से बचाव को विभागीय ढांचा तक नहीं बन सका। इस पर काहिली का आलम यह कि आपदा   के नाम पर करोड़ों खर्च कर महज गोष्ठी व प्रशिक्षण के जरिये खानापूरी की जा   रही है। केंद्र से जो तकनीकी व गैर तकनीकी उपकरण मिले वह विभिन्न थानों   में शोपीस बने पड़े हैं।   याद रहे राज्य गठन बाद केंद्र सरकार की मदद से दैवीय आपदा प्रभावित   बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, टिहरी चमोली व   रुद्रप्रयाग में राज्य सरकार ने इन जिलों में आपदा, न्यूनीकरण व प्रबंधन   केंद्रों की स्थापना हुई। शुरूआती दौर में इनमें प्रशिक्षित परियोजना   प्रबंधकों की नियुक्ति कर ग्राम स्तर पर प्रशिक्षण दिलाया गया।   इसके अलावा आपदा मंत्रालय का गठन हुआ और केंद्र ने खोज व बचाव के लिए   करोड़ों के तकनीकी व गैर तकनीकी उपकरण उपलब्ध कराये। मगर तमाम विभीषिकायें   झेलने के बावजूद आपदा प्रभावित किसी भी जिले में विभागीय ढांचा नहीं बना।   यही नहीं संविदा में तैनात परियोजना प्रबंधकों को हटा राजस्व अधिकारियों को   जिम्मा सौंपा गया है। जबकि हर जिले में डिजॉस्टर फोर्स होना चाहिये। हालत   इतनी बद्तर है कि राज्य को मिले कई उपकरण थानों में रखे गये हैं। हालिया   आपदा काल में इन उपकरणों का कितना इस्तेमाल हुआ, यह जगजाहिर है।   काहिली का आलम यह है कि अति संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रों की स्थापना   तो दूर चिकित्सा दल, आपदा प्रशिक्षित टीम, ट्रेनिंग सेंटर के बगैर आपदा से   निपटने को महज गोष्ठी व प्रशिक्षणों के नाम पर करोड़ों खर्च हो रहे हैं।   हैरत की बात है, वर्ष 05 में राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तर पर आपदा   प्राधिकरण के गठन संबंधी केंद्र के शासनादेश भी हवा में उड़ा दिया गया है।    इन हालातों में जब विभागीय ढांचा और अन्य इंतजाम ही नहीं तो बचाव कैसा।

दीपक पनेरू

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कुमाऊं में अब तक 44 लोग काल कवलित

     

      किशोर जोशी,   नैनीताल  कुमाऊं में बारिश इस बार लोगों पर कहर बनकर टूटी है। मानसून के आने से आज   तक मंडल के 44 लोग आपदा की भेंट चढ़ गए, जबकि 21 लोग घायल हो चुके हैं।   बारिश से 73 भवन पूर्ण व 954 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इसके   अलावा प्रत्यक्ष रूप से पांच हजार लोग तथा 1339 परिवार आपदा से सीधे तौर पर   प्रभावित हैं।   आयुक्त कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट काफी चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के   अनुसार कुमाऊं के हजारों लोग बाढ़ व अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदा के चलते   मौत के मुहाने पर जी रहे हैं। मंडल में दैवीय आपदा से अब तक 44 लोग काल   कवलित हो चुके हैं। इसमें बागेश्र्वर में 22, नैनीताल व अल्मोड़ा में   पांच-पांच, चंपावत में दो, ऊधमसिंह नगर में आठ एवं पिथौरागढ़ में एक   व्यक्ति की मौत हो चुकी है। दैवीय आपदा की चपेट में आकर मंडल में अभी तक 21   लोग घायल हो चुके हैं। इसके अलावा 358 पशु भी मारे गए हैं।   रिपोर्ट के अनुसार दैवीय आपदा में 73 आवासीय भवन पूर्ण रूप से व 954 आंशिक   रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। आपदा से सीधे तौर पर 4441 व्यक्ति व 1339   परिवार प्रभावित हैं। इसमें ऊधमसिंह नगर के सर्वाधिक 2385 लोग व 356 परिवार   शामिल हैं।

राजेश जोशी/rajesh.joshee

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प्रदेश में हुए इस दुखद हादसे के बाद प्रदेश के सबसे बड़े शिक्षा संस्थान के छात्र नेताओं द्वारा एक ऐसा शर्मनाक कृत्य किया गया कि इससे इस प्रदेश के हर युवा का सर शर्म से झुक जायेगा|  देहरादून के डीएवी कालेज में मृत बच्चों के प्रति संवेदना हेतु एक शोक सभा का आयोजन किया गया|  पर शर्मनाक बात यह रही कि ठीक इसके बाद सभी छात्र नेताओं ने अपने अपने  चुनाव प्रचार हेतु कालेज के परिसर में जूलूस निकालना शुरू कर दिया|  इसे दुखद अवसर पर भी ये छात्र नेता लाशो पर राजनीति करने से बाज नहीं आये|   क्या छात्र रानीति का इससे शर्मनाक कोई और सच हो सकता है कि मासूम बच्चों की मौत भी इन नेताओं को राजनीति का एक अवसर प्रदान कर रही है|  क्या प्रदेश के युवाओं की संवेदनशीलता के प्रति इससे देश में एक शर्मनाक सन्देश नहीं जायेगा|

दीपक पनेरू

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राजेश जी में आपकी भावनाओ की कदर करता हूँ...ये एक घृणित कृत्य है स्कूल/कॉलेज प्रशासन को ऐसे समय में जब पूरे उत्तराखंड में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है संस्थान खोलने की क्या जरुरत थी.....कॉलेज के लड़के सदा उल्टा ही करते आ रहे क्योंकि उनको घरों में यही शिक्षा दी जाती है......ऐसा मुझे लगता है.


प्रदेश में हुए इस दुखद हादसे के बाद प्रदेश के सबसे बड़े शिक्षा संस्थान के छात्र नेताओं द्वारा एक ऐसा शर्मनाक कृत्य किया गया कि इससे इस प्रदेश के हर युवा का सर शर्म से झुक जायेगा|  देहरादून के डीएवी कालेज में मृत बच्चों के प्रति संवेदना हेतु एक शोक सभा का आयोजन किया गया|  पर शर्मनाक बात यह रही कि ठीक इसके बाद सभी छात्र नेताओं ने अपने अपने  चुनाव प्रचार हेतु कालेज के परिसर में जूलूस निकालना शुरू कर दिया|  इसे दुखद अवसर पर भी ये छात्र नेता लाशो पर राजनीति करने से बाज नहीं आये|   क्या छात्र रानीति का इससे शर्मनाक कोई और सच हो सकता है कि मासूम बच्चों की मौत भी इन नेताओं को राजनीति का एक अवसर प्रदान कर रही है|  क्या प्रदेश के युवाओं की संवेदनशीलता के प्रति इससे देश में एक शर्मनाक सन्देश नहीं जायेगा|

दीपक पनेरू

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आज बंद रहेंगे पब्लिक स्कूल
« Reply #75 on: August 21, 2010, 10:39:32 AM »
आज बंद रहेंगे पब्लिक स्कूल

      कपकोट के सुमगढ़ (बागेश्वर) में बादल फटने से 18 बच्चों की अकाल मृत्यु पर   शिक्षक जगत ने गहरा दुख जताया है। शहर के विभिन्न पब्लिक स्कूलों के   संचालकों व प्रबंधकों ने दो मिनट का मौन रख मासूमों की आत्मिक शांति को   प्रार्थना की। तय हुआ कि शनिवार को शहर के सभी पब्लिक स्कूल शोक में बंद   रखे जायेंगे।   इंस्पिरेशन स्कूल में शनिवार को पब्लिक स्कूल एसोएिशन की सभा में कपकोट के   सुमगढ़ गांव में बादल फटने से 18 बच्चों निधन पर दु:ख व्यक्त किया गया।   अध्यक्षता कर रहे एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील जोशी ने कहा कि आज शनिवार को   शहर के सभी पब्लिक स्कूल बंद रहेंगे। इस मौके पर एसोसिएशन सचिव कैलाश भगत,   दीपक बल्यूटिया, फादर जूलियन पिंटो, प्रवीन्द्र रौतेला, अनिल जोशी, गोपाल    बिष्ट, समित टिक्कू, आरपी सिंह आदि उपस्थित थे।   इधर, कुमाऊं सभा चंडीगढ़ ने भी सुमगढ़ हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया। सभा   के अध्यक्ष बच्चन सिंह नगरकोटी ने कहा कि सरकार को आपदा प्रबंधन को और अधिक   मजबूत बनाना चाहिये।  भाजपा गौ संवर्धन प्रकोष्ठ के पदाधिकारियोंने कपकोट   के सुमगढ़ घटना पर शोक व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि    अर्पित की।   इस मौके पर जिला संयोजक नवीन पंत, नगर संयोजक दिशांत टंडन, संजय कर्नाटक,   चंदन सिंह नेगी, विशाल भारती, आशु पांडे, प्रशांत वर्मा, नवीन पांडे,   चंद्रशेखर तिवारी, महेंद्र डोभाल, योगेश जोशी, मनू टंडन, प्रतीक खंडेलवाल,   कैलाश भारती आदि उपस्थित थे।

umeshbani

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बहुत ही दुख हुआ ! ये जान कर के वो माशुम बालक जो मात्र ५-१० साले की थे ,   जो इस बात को जानते भी नहीं होंगे की मौत क्या होती है ......प्रकृति के इस   भयानक रूप के शिकार हुए .............  है ,
हे माँ कालिका उनके आत्मा को शांति दे तथा उनके परिवारजनों को इस विपदा से उभरने की शक्ति दे ............................
 
  कभी कभी , भगवान से भी शिकायत होती है जहां तुम स्वम बसते हो वहां .......   अपना ये रूप दिखाते हो की दिल दहक जाए और भगवान के होने पर एक ? मार्क लगा   दे ....... और वह रूप भी नादान बालकों पर देखाते है ....... जिसे हम कहते   है की खुद भगवान का रूप होते है .............................

umeshbani

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प्रदेश में हुए इस दुखद हादसे के बाद प्रदेश के सबसे बड़े शिक्षा संस्थान के छात्र नेताओं द्वारा एक ऐसा शर्मनाक कृत्य किया गया कि इससे इस प्रदेश के हर युवा का सर शर्म से झुक जायेगा|  देहरादून के डीएवी कालेज में मृत बच्चों के प्रति संवेदना हेतु एक शोक सभा का आयोजन किया गया|  पर शर्मनाक बात यह रही कि ठीक इसके बाद सभी छात्र नेताओं ने अपने अपने  चुनाव प्रचार हेतु कालेज के परिसर में जूलूस निकालना शुरू कर दिया|  इसे दुखद अवसर पर भी ये छात्र नेता लाशो पर राजनीति करने से बाज नहीं आये|   क्या छात्र रानीति का इससे शर्मनाक कोई और सच हो सकता है कि मासूम बच्चों की मौत भी इन नेताओं को राजनीति का एक अवसर प्रदान कर रही है|  क्या प्रदेश के युवाओं की संवेदनशीलता के प्रति इससे देश में एक शर्मनाक सन्देश नहीं जायेगा|
राजेश दा,

ये तो उन्ही पदचिन्हों पर चल रहे हे जेसे हमारे राज्य या  रास्ट्रीय नेता या मंत्री ......................... जिन्हें हम वोट देकर जीता देते हे
,,,,,,,,,,,,,,,,,,

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जब अपनों पे गुजरती हे ...................... तब सब नेताग्री रह जाती हे ...............

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी

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 प्राकृतिक आपदाओं मे मृत आत्माओं के लिए शोक सभा  साथियो जैसे की आपको भलीभांति ज्ञात है कि हमारे उत्तराखंड में इस वर्ष और बीते वर्षो मे कई प्रकार कि प्राकृतिक आपदाएं आई है, आती रही है! और हमारा पहाड़ शुरू से और अबतक इन प्राकृतिक आपदाओं का सबसे जादा विनाश झेलता रहा है! हाल मे बादल फटने से बागेश्वर जिल्ले के कपकोट मे आये भयंकर विनाश जिसमे कि 18 मासूम बचो को अपनी जान गवानी पड़ी अत्यंत दुखदाई था! यह दृश्य देखकर तो हर किसी का ह्रदय करुणा से भर गया!

दिनांक 22 अगस्त 2010 रविवार को शाम 4:00 बजे गडवाल भवन, पंच्कुयाँ रोड (रामकृष्ण आश्रम मेट्रो स्टेशन के पास), नई दिल्ली, मे इस वर्ष उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदाओं मे मृत लोगों कि आत्मा की शांति के लिए एक शोक सभा का आयोजन रखा गया है जिसमे आप सभी आमंत्रित हैं!

निवेदक,
म्यर उत्तराखंड ग्रुप (पंजी.)
क्रिएटिव उत्तराखंड (पंजी.)
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सुदर्शन सिंह रावत : +91- 8010798843
चारू तिवारी -  +91-9717368053
दयाल पांडेय - +91-9212692291
मोहन सिंह बिष्ट : +91-9310999960

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                  Trilochan Singh                          August 21 at 9:51am (Facebook Community) of Meraphad

                              My heartfelt condolence for the departed souls of the children. I   prey to THE ALMIGHTY to keep the departed souls in rest and peace, and   to give enough strength to the family members to bear the irrepairable   loss.       

 

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