Author Topic: 18 Aug 10-18 School Children Killed in Kapkot, Bageshwar due to Cloudburst  (Read 30985 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

A very sad news to share with you. 18 Aug 2010 turned to be Black Wednesday for Uttarakhand. 18 school children have been killed in Sumgarh village (Kapkot area) of District Bageshwar.

The Building of Sarsawati Sishu Mandir School collapsed due to incessant rain after a cloudburst in the area.In all, 26 children were in the building of the Saraswati Shishu Mandir when the mishap occurred. However, some kids managed to escape when this incident took place but 18 kids trapped under the debris. 07 kids are undergoing treatment.

This is a very unfortunate incident.

Merapahad portal express deep grief and concordances to the families of deceased. We all pray almighty give strength to families. May God soul of kids rest in peace!
 
M S Mehta



 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरापहाड़ के सारे सदस्य इस दुखद घटना पर अपना सवेदना प्रकट करते है!

परम आत्मा से इस दिवंगत बच्चो की आत्मा के शांति के लिए प्राथना करते है और साथ ही भगवान से शोकाकुल परिवारों को इस त्रासदी को सहने की शक्ति देने की भी प्राथना करते है!

यह बहुत अत्यंत दुखद घटना है जिसे शब्दों में बया नहीं जा सकता है! इन नन्हे से बच्चो को क्या पता होगा जब वे स्कूल में अ, आ, ई या ABCD सीख रहे होंगे कुदरत का इतना बड़ा कहर उनके सिर और गिरकर मौत का रूप ले लेगा!

उत्तराखंड के कई हिस्से तो आपदा की दृष्टि से बहुत ही संवेदन शील है परन्तु सरकार प्रसाशन सब की आंखे केवल घटना के बाद ही खुलते है! क्यों नहीं एसे स्थनों को चिन्दिकरण करके ग्रामीणों को पहले ही सूचित किया जाय!  खैर इस विषय में चर्चा बाद में होगी !

हम दिन भर इस घटना के बारे में संपर्क बनाये रखे है वहां पर ग्रामीण काफी भयभीत है क्योकि लगातार वहां पर अभी भी बारिश हो रही है!

बस भगवान से प्रार्थना है इस प्रकार के घटना कही भी दुबारा ना हो !





 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बादल फटने से 18 बच्चे मारे गए                                                                             शालिनी जोशी                             शालिनी जोशी
देहरादून से, बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए
                                                                                                                                                                          उत्तराखंड का पहाड़ी क्षेत्र (फ़ाइल फ़ोटो)उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन मंत्री के अनुसार घटना बुधवार सुबह   आठ बजे हुई
                                                उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में    दूरदराज़ पर्वतीय ज़िले बागेश्वर के दो गांवों में बादल फटने से 18 बच्चों   की मौत हो गई है और दो शिक्षक पानी में बह गए हैं. वहाँ बचाव कार्य चल रहा   है और आशंका है कि और बच्चे मलबे में फँसे हो सकते हैं.
ये घटना कपकोट विधानसभा क्षेत्र के हरसिनियाबगड़   गांव की है जहाँ बुधवार सुबह बादल फटा और पानी का रेला खेत, सड़क और कई   मकानों को बहाता ले गया.
पानी के तेज़ बहाव के कारण सुमगढ़ गांव में   सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल की इमारत की छत गिर गई  और वहां मौजूद 25 से 30   बच्चे मलबे में दब गए.
कपकोट जहाँ ये हादसा हुआ, नैनीताल से लगभग 200 किलोमीटर दूर है.
 मलबा हटाने में मुश्किलें                                                                                                              <blockquote>                                   घटनास्थल से 18 बच्चों के शव निकाले   गए है जबकि छह अन्य बच्चों को जीवित निकाला गया है. घटनास्थल पर राहत और   बचाव कार्य जारी हैं लेकिन इस समय ये स्पष्ट नहीं है कि और कितने लोग वहाँ   मलबे में दबे हो सकते हैं
 </blockquote>                                कार्यकारी निदेशक, आपदा प्रबंधन कक्ष
                                                                         उत्तराखंड के आपदा प्रंबधन कक्ष के कार्यकारी   निदेश पीयूष रौतेला ने बीबीसी बताया, "घटनास्थल से 18 बच्चों के शव निकाले   गए है जबकि छह अन्य बच्चों को जीवित निकाला गया है. घटनास्थल पर राहत और   बचाव कार्य जारी हैं लेकिन इस समय ये स्पष्ट नहीं है कि और कितने लोग वहाँ   मलबे में दबे हो सकते हैं."
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन मंत्री खज़ानदास ने इस हादसे के बारे में बीबीसी को बताया  कि ये दुर्घटना सुबह  करीब आठ बजे हुई.
उन्होंने कहा कि  उस इलाक़े में बहुत ज़्यादा बारिश हो रही है जिससे मलबा हटाने में भी कठिनाई आ रही  है.
भौगोलिक लिहाज़ से पहाड़ पर बसे इन गांवों तक   पंहुचना कठिन है और यहां संचार और सूचना के भी सभी तंत्र ठप्प हो गए हैं   जिस वजह से स्थानीय लोंगों तक पंहुचना मुश्किल है.
पिछले एक हफ्ते से उत्तराखंड के पर्वतीय इलाक़ों   में  विनाशकारी ढंग से  बारिश हो रही है जिससे जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है   और जान-माल का नुकसान हुआ है.
गंगोत्री के रास्ते में पहले ग्लेशियर फटा फिर  भटवाड़ी के  पास बादल फटने और भूस्खलन से पूरा कस्बा ही धंस गया है.
बद्रीनाथ धाम के रास्ते में लामबगड़ के पास  बादल   फटने से राष्ट्रीय राजमार्ग 150 मीटर तक बहकर अलकनंदा में समा गया है जिससे   हजारों यात्री अभी तक वहाँ फँसे हैं.


http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2010/08/100818_landslide_kidstrap_as.shtml

                 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the unfortunate news.
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उत्तराखंड में स्कूल की इमारत ढही, 18 बच्चे मरे

उत्तराखंड   के बागेश्वर जिले के कपकोट थाने के तहत सुमगढ़ इलाके में बुधवार को बादल   फटने और तेज बारिश होने से एक स्कूल का भवन ढह गया, जिससे 18 बच्चों की मौत   हो गई। छह बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि मलबे में दबे अन्य   बच्चों की तलाश जारी है।
  राज्य के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने इस घटना पर संवेदना व्यक्त   करते हुए निशंक ने कहा कि मृत बच्चों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की   अनुग्रह राशि तुरंत दी जाएगी। निशंक ने बताया कि बादल फटने से इलाके में   भारी तबाही हुई है।
  जगह-जगह सड़कें टूट गईं और कई मकान भी धराशायी हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने   कहा कि उन्होंने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और जैसे ही मौसम ठीक   होता है वह स्थिति का जायजा लेने के लिए रवाना होंगे। उन्होंने कहा कि सड़क   मार्ग से उस स्थान तक पहुंचा नहीं जा सकता है, क्योंकि देहरादून से करीब   15 घंटे लगेंगे।
  निशंक ने कहा कि मौके पर राहत के लिए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, उत्तराखंड   पुलिस के अतिरिक्त स्थानीय ग्रामीण भी जुटे हुए हैं। दूसरी ओर, राज्य के   आपदा राहत मंत्री खजान दास ने बताया कि अब तक 18 बच्चों के शव निकाले जा   चुके हैं और छह बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया है।
  उन्होंने कहा कि हरसिंगाबगड़ के पास बादल फटा और पहाड़ी नदी में एकाएक काफी   मात्रा में पानी आ गया, जिससे सुमगढ़ में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर का भवन   ढह गया और उसमें पढ़ रहे बच्चे उसकी चपेट में आ गए।

http://khabar.ndtv.com/2010/08/18161843/Rocks-fall-on-school.html

हेम पन्त

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आज से 12 साल पहले 18 अगस्त 1998 को मालपा के हादसे ने पूरे देश को हिला दिया था. पिछले साल क्वीटी के भूस्खलन ने भी लगभग 50 लोगों को मुर्दा बना दिया था.... लेकिन इन आपदाओं पर मनुष्य का कोई वश नहीं है, क्या किया जा सकता है?

नवीन जोशी

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बहुत दुखद खबर है, बागेश्वर जिले के सुमगड़ गाँव के सरस्वती शिशु मंदिर की कक्षा में मालवा घुसने से 18 बच्चे जिन्दा दबे, एक शव बरामद, 2 बच्चे सकुशल व 5 घायल अवस्था में बाहर निकाले गए, दुर्घटना सुबह 9 बजे के करीब तीसरा वादन बदलने के दौरान हुयी, स्कूल में कुल 39 बच्चे आये थे, बड़े बच्चे व शिक्षक किसी प्रकार जान बचाने में सफल रहे. कुल 25 बच्चे दबे थे. गाँव को जाने वाले मार्ग पर सरयू नदी के पुल से जुडी सड़क भी टूटी, जिससे बचाव कार्यों में बाधा आ रही है. डी. एम. बागेश्वर डी.एस. गर्ब्याल मौके पर पहुंचे, कमिश्नर कुमाऊं कुणाल शर्मा भी मौके को रवाना, पुलिस आई.जी. ने राहत कार्यों को 2 प्लाटून पी.ए.सी. भिजवाई. मुख्यमंत्री ने सभी 18 बच्चों के परिवारों को 1-1 लाख रुपये तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.
भू वैज्ञानिक डा. बी.एस. कोटलिया का आंकलन: आज रात को मुनस्यारी और गढ़वाल के घुत्तू सहित अन्य स्थानों में भी हो सकती है बदल फटने की घटनाएं.

नवीन जोशी

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रात्रि आठ बजे तक की अपडेट: केवल दो बच्चों के शव ही बरामद, 
मृत बच्चे कक्षा एक से तीन तक के थे.


यह दुर्घटना पिंडारी ग्लेसियर रूट पर स्थित अंतिम सड़क पड़ाव सौंग के सामने सरयू नदी पार सुमगड़ गाँव की है,

दो शिक्षकों के बहने की पुष्टि नहीं,

एक अन्य घटना बागेश्वर जिले में ही कपकोट से पहले हरसिंगाबगड़ गाँव की है, यहाँ एक महिला अपना घर ढहने से जिन्दा दफ़न हो गयी है, राष्ट्रीय सहारा के बागेश्वर प्रतिनिधि चन्दन परिहार के अनुसार जिले में खासकर कपकोट शेत्र में कई जगह ऐसी बदल फटने की दुर्घटनाएं हुयी हैं, इस दुर्घटना से कपकोट  का एक तिहाई नक्शा ही बदल गया है.

VK Joshi

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कपकोट में बादल फटने से बेचारे १८ (समाचार मिलने तक) निरीह बच्चों की जान जा चुकी है. बहुत दुखद घटना है. बादल फटना तो प्रकृति का एक क्रूर रूप है-जिसे हम वर्षों से सुनते, देखते आ रहे हैं. अभी चंद रोज पहले लेह में भी जो हुआ वः सब आप सबने पढ़ा होगा. प्रश्न बादल क्यों फटा इस बात का नहीं है-क्योंकि बादल तो फटते रहे हैं और फटते रहेंगे-प्रश्न इस बात का है की इस जानकारी के बाद भी क्यों हम आपद स्थानों में विद्यालयों का निर्माण करते हैं? भूस्खलन वर्षा से तो होता हे है, भूकम्प से भी हो जाता है. इसलिए पर्वतीय क्षेत्रों में सरकार व् समाज दोनों को कमसे कम स्कूल व् अस्पताल के लिए स्थान चुनने में सावधानी रखनी चाहिए-क्योंकि दोनों स्थान ऐसे हैं जहाँ पर एक समय में एक साथ अनेक लोग एकत्रित होते हैं. इस विषय पर अपने विचार/सुझाव विस्तार से जल्द ही
लिखूंगा- अभी फिलहाल तो नन्हे मुन्नों की मौत से मैं बेहद विचलित हूँ.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जोशी जी,

बहुत-२ धन्यवाद अपडेट देने के लिए!  इस घटना के बाद पूरे इलाके दहसत जैसा माहौल है! खबर है कुछ लोगो ने अपना घर छोड़ना शुरू कर दिया!

भगवान् करे इस प्रकार की घटना ना घटे!


रात्रि आठ बजे तक की अपडेट: केवल दो बच्चों के शव ही बरामद, 
मृत बच्चे कक्षा एक से तीन तक के थे.


यह दुर्घटना पिंडारी ग्लेसियर रूट पर स्थित अंतिम सड़क पड़ाव सौंग के सामने सरयू नदी पार सुमगड़ गाँव की है,

दो शिक्षकों के बहने की पुष्टि नहीं,

एक अन्य घटना बागेश्वर जिले में ही कपकोट से पहले हरसिंगाबगड़ गाँव की है, यहाँ एक महिला अपना घर ढहने से जिन्दा दफ़न हो गयी है, राष्ट्रीय सहारा के बागेश्वर प्रतिनिधि चन्दन परिहार के अनुसार जिले में खासकर कपकोट शेत्र में कई जगह ऐसी बदल फटने की दुर्घटनाएं हुयी हैं, इस दुर्घटना से कपकोट  का एक तिहाई नक्शा ही बदल गया है.

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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This is very sad and unfortunate incident. May God departed souls rest in peace and God give strenth to the families of secasesd. children.


 

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