कृषि उद्यानिकी पद्धति
पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में अपनायी जाने वाली यह एक प्रमुख पद्धति है। उद्यानिकी फसलों से किसानों को अच्छी आय प्राप्त होती है। सेब, आडू, अखरोट, नाशपाती, बादाम आदि प्रमुख उद्यानिकी फसलें हैं।
इन वृक्षों के बीच में नकदी फसलों के रूप में मटर, गोभी, टमाटर, मिर्च, बीन तथा अदरक आदि फसलों को उगाया जा सकता है। खाद्यान्न फसलों में गेहूँ तथा मक्का प्रमुख हैं। यह पद्धति छोटी जोत वाले किसानों लिए अधिक लाभदायक हैं।
मछली पालन एवं वानिकी पद्धति
इस पद्धति का प्रयोग ऐसे वन क्षेत्रों में जहां तालाबों में पानी भरा रहता है किया जाता है। सिक्किम में 4200 मीटर की ऊंचाई पर छगां झील में वानिकी एवं मछली पालन का कार्य प्रमुख रूप से किया जाता है। उत्तर-पूर्वी तथा पर्वतीय क्षेत्रों में इस पद्धति के विकास की संभावनाएं जाता हैं।
पर्वतीय क्षेत्रों में जैव विविधता अधिक पायी जाती है तथा पानी तालाबों व गडढ़ों में भरा रहता है अतः ऐसे क्षेत्रों में वानिकी के साथ-साथ मछली पालन से अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।