वे उत्तराखंड में मिलना चाहते हैं
लेखक : सूरज कुकरेती
पौड़ी जनपद में कोटद्वार की दक्षिणी सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर की तहसील नगीना, नजीबाबाद, अफजलगढ़ क्षेत्र के 100 से अधिक गाँव उत्तराखण्ड में शामिल होने के लिए पिछले तीन-चार महीनों से आंदोलित हैं। यहाँ के लोगों ने सीमावर्ती संघर्ष समिति का गठन कर 14 जून 2009 को हुंकार रैली का आयोजन कर कोटद्वार स्थित बी.ई.एल. मैदान में एक बड़ी जनसभा की और उप जिलाधिकारी के माध्यम से केन्द्र सरकार, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखण्ड सरकार को ज्ञापन प्रेषित कर उत्तराखण्ड राज्य में शामिल करने की माँग की। ज्ञापन में कहा गया कि जनपद बिजनौर के नजीबाबाद तहसील से गुजरने वाली पूर्वी गंगनहर की लगभग 25 किमी. लम्बी पट्टी, जो कि नगीना तहसील होते हुए कालागढ़ तक है, को उत्तराखण्ड में मिलाया जाये। सभा को भागवत शर्मा, मनमोहन दुदपुड़ी, फौजाराम एडवोकेट, मो. आरिफ खान, दर्शन सिंह रावत, डी.एन. खुगसाल, स. परमजीत सिंह पम्मा, अमर जीत सिंह आदि के अलावा कोटद्वार क्षेत्र के विधायक शैलेन्द्र रावत तथा कोटद्वार नगरपालिकाध्यक्ष श्रीमती शशि नैनवाल ने भी संबोधित किया।
संघर्ष समिति ने पुनः 16 अगस्त को विशाल रैली निकाल कोटद्वार तहसील में धरना-प्रदर्शन के बाद आमरण अनशन शुरू किया। एक सप्ताह तक भूख हड़ताल पर बैठने वालों में घनानन्द कुकशाल, भरपूर सिंह, ज्ञानी जोगेन्द्र सिंह, केदार दत्त घिल्डियाल, शिवानन्द, वीरसिंह, शिवसिह रावत, मिलकराज, दिगम्बर प्रकाश डबराल, खालसा बलकार सिंह, किसन सिंह, जीत सिंह, फौजाराम, कल्याण सिंह, निर्मल सिंह, गजेन्द्र सिंह आदि शामिल थे। अनशनकारियों के स्वास्थ्य में गिरावट आने पर कोटद्वार के विधायक शैलेन्द्र सिंह रावत ने अफजलगढ़ (उ.प्र.) के पूर्व विधायक व बसपा नेता इन्द्रदेव सिंह को अनशनकारियों के बीच आमंत्रित किया। इन दोनों नेताओं ने संघर्ष समिति को विश्वास में लेकर अपनी सरकारों से उनकी माँगें मनवाने का वायदा किया। इन्द्रदेव सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के समय अव्यावहारिक सीमांकन करने से करीब एक सौ गाँव उत्तराखण्ड में मिलाये जाने से वंचित रह गये। सामाजिक, सांस्कृतिक रूप से जुड़े इन गांवों का उत्तराखण्ड से पूर्व से ही जुड़ाव रहा है। इन गांवों की जरूरतें- बिजली,पानी, स्वास्थ्य चिकित्सा, खरीददारी आदि उत्तराखण्ड से ही पूरी होती है। पूर्वी गंगनहर से ऊपर का हिस्सा 1952 से उत्तराखण्ड में शामिल था। इन दोनों नेताओं के प्रयासों से आंदोलनकारियों ने जूस पीकर अपना अनशन वापस ले लिया।
Source : Nainital Samachar