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उप्र के इलाके उत्तराखण्ड में जोड़ने का मामला - Merger of some parts of UP in UK

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सुधीर चतुर्वेदी:
हेम भाई ऐसा नहीं होना चाहिये अभी जितने भी जिले उत्तराखंड मे है वो काफी है और हा हो सकता है की अपने उत्तराखंड के नेता लोग ऐशा चाह सकते है इससे ये होगा की Population  के मामले मे पहाड़ी Population ,मैदानी  लोगो के  Population  से पिचड जाऐगी और राजधानी मुद्दा फिर कभी नहीं सुलझेगा | उत्तराखंड मे किसी का भी विलय नहीं होना चाहिये  मे इसका पूरा विरोध करता हु ---------------- |
                               जय उत्तराखंड   

सुधीर चतुर्वेदी:
उत्तराखंड विलय समर्थक व्यापारियों का धरना (Dec 8/09 , Source : Dainik Jagran)

सहारनपुर। सहारनपुर जनपद को उत्तराखंड में मिलाने की मांग को चलाए जा रहे आंदोलन में एक अध्याय और जुड़ गया है। शहर के व्यापारी भी समर्थन में आ गए। इंडियन इंडस्ट्रीज एंड बिजनेस एसोसिएशन से जुडे़ कारोबारियों ने जिले को उत्तराखंड में मिलाने की मांग को लेकर धरना दिया।

एसोसिएशन से जुडे़ कारोबारी सोमवार को घंटाघर चौक पर एकत्रित हुए और नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। धरना सभा में एसोसिएशन के जिला चेयरमैन संजीव शर्मा ने कहा कि सबसे पहले आईएसबीए ने ही सहारनपुर को उत्तराखंड में मिलाने की मांग उठाई थी। जब तक जिले को उत्तराखंड में नहीं मिला दिया जाता है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। जिला उपाध्यक्ष राजीव आनंद व शहजाद अंसारी ने कहा कि आंदोलन का जो बिगुल वर्षो पहले बजाया गया था, उसे रुकने नहीं दिया जाएगा। सिटी चेयरमैन अनवार अहमद, प्रेस प्रवक्ता संजय शर्मा ने कहा कि आईआईबीए ने कहा जल्द ही इस मामले को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से मिलेगा। धरने के बाद डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा गया कि सहारनपुर जनपद हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच बसा है। इस शहर का विश्वभर में वुड कार्विग सिटी के नाम से जाना जाता है। संसाधनों के अभाव व बिजली न मिलने के कारण वुड कार्विग इंडस्ट्रीज पहले 200 करोड़ की सालाना आय होती थी, लेकिन अब यह बीस करोड़ रुपये ही रह गई है। उत्तराखंड में सहारनपुर के मिलने से यहां से प्लायन कर रहे उद्योगों को रोका जा सकता है। शहजाद अंसारी, अतीक अहमद, मुकेश गुप्ता, मो. अखलाक, जमाल, शाहनवाज, बंटी सिडाना, आदित्य राणा, हर्ष, नाजिम जैदी, संयम अरोड़ा, अनवार अहमद, भारत कर्णवाल, जितिन ग्रोवर, हरीश डंग, राजीव आनंद आदि प्रमुख रुप से उपस्थित रहे।

उधर, उद्योग व्यापार उत्थान व्यापार मंडल के कार्यकर्ताओं ने भी कलेक्ट्रेट तिराहे पर जिले को उत्तराखंड में मिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। मंडल के कार्यकर्ता अंबाला रोड स्थित कार्यालय पर एकत्रित हुए और नारेबाजी करते हुए जिला मुख्यालय पर पहुंचे। प्रदर्शनकारियों में रिजवान रोक्सी, मुकेश मानकटाला, आजम सैफी, कलीम पठान, जाहिद हसन, मनीष सैनी, शाहिद राणा, असलम अंसारी, राजकुमार वर्मा, धनीराम, मनीष मित्तल, सुफियान आदि प्रमुख रुप से शामिल रहे।

jagmohan singh jayara:
सहारनपुर का उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से घनिष्ट रिश्ता है.  वहां से बहुत कुछ दैनिक जरूरत की चीजें जैसे दूध,शब्जी, अनाज और अन्य वस्तुएं  देहरादून को भेजी जाती हैं.  अगर सहारनपुर उत्तराखंड में मिल जाए तो आर्थिकी से लेकर राजनीति तक दखल रहेगा और विकास के लिए पहाड़ से ज्यादा फायदा भी लेगा.  उत्तराखंड बन चुका है.  बनाने का कारण था पहाड़ का पहाड़ के अनुरूप सतत विकास.  वो दिन कब आएगा? जब पहाड़ पूर्ण समृधि प्राप्त करके  भारत का पहला राज्य बनेगा.  ब्यर्थ मत सोचो...सोचो तो पहाड़ के बारे में.  पहाड़  हमारा प्यारा है....

Rajen:
 उत्तराखंड नाम सुनते ही पहाड़ का दृश्य मन पर स्वतः उभर आता है. अब उसमें थोडा मैदान का भाग शामिल हो तो ठीक है चलेगा, लेकिन जितना ज्यादा मैदान जुड़ता जाएगा पहाड़ के साथ उतना ही अन्याय होता चला जायेगा ये तो मानी हुई बात है.  अतः चाहे जितना भी साधन संपन्न मैदानी इलाका हो, अब उत्तराखंड में शामिल नहीं होना चाहिए. 

Devbhoomi,Uttarakhand:
ये बात बिलकुल सही है कि-जहाँ तक देवभूमि उत्तराखंड के पैर पसारे हुए हैं वहां तक कि भूमि और इलाके सब उत्तराखंड मैं सम्मलित करना चाहिए लेकिन एक बात है कि जो लोग पहल पहाड़ों मैं रहते थे और बाद मैं इस देवभूमि को छोड़कर मैदानी भागों मैं चले गए थे!

क्या तब इन लोगों को याद नहीं आया था कि वे कहाँ और क्यों जा रहे हैं इस देवभूमि  को छोड़कर, तब तो इनको मैदानी(सहरों )मैं रहने कि रत लगी थी और आज उत्तराखंड की याद कैसे आ रही है,मुझे तो लगता है की जो भाग उत्तराखंड मैं नहीं आता हो उसे वापस किस लेगें,

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