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Panchayat Elections In Uttarakhand - उत्तराखंड मे पंचायत चुनाव

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हेम पन्त:
Source : Dainik Jagran

देहरादून। पंचायत चुनाव में भी भाजपा ने अपने अब तक के प्रदर्शन को दोहराया है। जिला पंचायत अध्यक्ष की 12 में से नौ सीटों पर भाजपा व दो पर कांग्रेस जीती है जबकि एक सीट निर्दलीय के हिस्से में गई है। खास बात यह भी है कि कई जिलों में जीत का अंतर खासा ज्यादा रहा। कई जिलों में नए ही समीकरण सामने आए हैं और अध्यक्ष पद पार्टी के तो उपाध्यक्ष निर्दलीय के हिस्से में गया।

पौड़ी में अध्यक्ष पद पर भाजपा ने कांग्रेस के भुवनेश खरक्वाल को 26 मतों से शिकस्त दी पर उपाध्यक्ष पद पर उसे एक निर्दलीय से 13 मतों से पराजय का सामना करना पड़ा। खास बात यह भी है कि कांग्रेस ने यहां भाजपा के बागी पर दांव खेला था। चमोली में यही देखने को मिला। यहां अध्यक्ष पद तो भाजपा के खाते 17 मतों के भारी अंतर से गया पर उपाध्यक्ष निर्दलीय के खाते में। टिहरी में भाजपा ने कांग्रेस सो दो गुने मत लेकर अध्यक्ष पद जीता तो उपाध्यक्ष पद पर 15 मतों से विजय मिली। रुद्रप्रयाग में कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी। भाजपा यहां अध्यक्ष पद महज एक वोट से जीत सकी। यहां उपाध्यक्ष का पद उक्रांद के हिस्से में गया। उत्तरकाशी में भाजपा को पापड़ बेलने के बाद महज एक वोट से जीत मिल सकी। देहरादून में भाजपा को अपनी ही पार्टी के विधायक की पत्नी से मात खानी पड़ी। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि इस सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा के लोग ही संतुष्ट नहीं थे। यहां निर्दलीय प्रत्याशी ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी और एक वोट से पद अपने कब्जे में किया। भाजपा को यहां उपाध्यक्ष पद भी माकपा से मात खानी पड़ी। अब बात कुमाऊं की, अल्मोड़ा जिपं अध्यक्ष का पद भाजपा ने 22 मतों और उपाध्यक्ष का पद 10 मतों के अंतर से जीता। दोनों ही पदों पर मुकाबला कांग्रेस से था। पिथौरागढ़ में भाजपा ने अध्यक्ष पद पर कांग्रेस को आठ मतों से हराया तो उपाध्यक्ष पद पर उसे एक निर्दलीय के हाथों आठ मतों से ही पराजय झेलनी पड़ी। बागेश्वर में बीजेपी ने अध्यक्ष पद पर तीन और उपाध्यक्ष पद पर पांच मतों की बढ़ते से कब्जा किया। चंपावत में अध्यक्ष पद पर भाजपा ने कांग्रेस को तीन मतों से हराया तो इतने ही मतों से उक्रांद ने कांग्रेस प्रत्याशी को पीछे धकेल दिया। ऊधमसिंह नगर में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। यहां भाजपा के नौ सदस्य थे पर अध्यक्ष पद पर उसके हिस्से में महज पांच वोट ही आए। कांग्रेस को बीस वोट मिले। नैनीताल जिले में भाजपा को अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों ही पदों पर कांग्रेस से मुकाबले में दो-दो मतों से पराजय का सामना करना पड़ा।

Lalit Mohan Pandey:
Aaj ki date mai election ka koe matlab nahi rah gaya hai, bhale ki wo kisi bhi level ke ho, sirf or sirf paise ke bal pe jeete jate hai, hal ke panchayat election mai sirf wo hi condidate jeet paye hai jinke pass bahut sara paisa tha lagane ko, yaha tak ki sunane mai to ye bhi aya hai ki panchayat election mai bhi virodhi ko baith jane ki dhamki dena ya fir paise de ke khareed lena ek aam bat ho gayi hai...

Sharab peena or pilana to itna common ho gaya hai ki, u can't expect election without Sharab... even ki Shabhapati ke election mai bhi jam ke sharab bati gayi.. ek do Zumle to kafi chal rahe the...
"Kachchi pilaoge to Gachchi milegi
Pakki Pilaoge to sachchi milegi"

Ya fir
"Uttar gayi to sochenge
Chadi rahi tabhi denge"

Bhaiyo jab sharab or paisa ka itna bol bala chal raha ho to aap right condidates, principal wale condidates ya fir vision wale condidates, jinke pass Vikas ki soch ho aese condidates ke jitne ke asar na ke barabar ho jate hai, kyuki voters ek hi rat mai khareede jate hai... ho sakta hai ye har jagah ki Dasha na ho per hamare ilake ki dasha aesi hi hai.

Regards
Lalit

पंकज सिंह महर:
उत्तराखण्ड में बहुप्रतीक्षित पंचायत चुनाव संपन्न हो गये हैं, कई जगहों पर पंचायत प्रतिनिधियों ने शपथ ग्रहण भी कर ली है। सरकार के महिलाओं को ५० प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले की परिणिति अब कार्य शुरु करने के बाद सामने आनी शुरु होगी। गांवो के चूल्हे-चौके, खेत-खलिहान, गोठ-पात से बाहर निकली नव निर्वाचित इन महिला प्रधानों के सामने अब मुख्य चुनौती पुरुष प्रधान नौकरशाही और बाबूगिरी से निपटना होगी। इन महिलाओं के सामने एक और चुनौती होगी, सरकारी कार्य के निष्पादन की, सरकारी कार्य की शैली से नितान्त अपरिचित, ग्राम विकास अधिकारी को अपना इमीडियेट बास समझने वाली इन प्रधानों को अब सूचना के अधिकार की बारीकियों को भी समझना होगा, क्योंकि अपनी ग्राम सभा में वे ही लोक सूचना अधिकारी होंगी और ग्राम सभा से जुड़ी सभी सूचनाओं को लेने-देने के लिये वे ही जिम्मेदार भी होंगी।
       कमोबेश यही स्थिति जिला पंचायत की सदस्यों की भी है, जैसा मैंने पहले भी कहा था कि जो महिला अपने ही गांव के बुजुर्गों से बोलने में शरमाती रही हो और जिसके लिये जिलाधिकारी का चपरासी ही बहुत बड़ा साहब हो, जिसके लिये जिला मुख्यालय की बाजार “बजार”, जलेबी और चाट खाने की जगह और अदद एक साड़ी और चूड़ी पहनने की जगह रही है, क्या वह वहां जाकर जिलाधिकारी और अन्य सदस्यों के सामने जिला योजना के बजट पर प्लान और नान-प्लान पर बहस कर पायेगी? यह एक यक्ष प्रश्न है, नीति बनाना तो आसान होता है, लेकिन उन पर अमल करना और कराना किसी चुनौती से कम नहीं होती। केन्द्रीय नेतृत्व के इशारे पर सत्तारुढ़ सरकार ने पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिये ५० फीसदी आरक्षण की व्यवस्था कर उन्हें निर्वाचित तो करवा लिया है, लेकिन क्या इन निर्वाचित प्रतिनिधियों को किसी प्रकार का प्रबोधन (ट्रेनिंग) दिये जाने का प्रावधान किया है? क्या उन्हें अपने अधिकार, कर्तव्य और दायित्वों की सही जानकारी है, क्या उन्हें अपने कर्तव्य और दायित्वों के निर्वहन की कोई जानकारी है, क्या इन महिला प्रधानों को यह जानकारी है कि ग्राम प्रधान का बस्ता क्या होता है, भाग-२ रजिस्टर क्या है? इन सभी जानकारियों से इन महिला प्रधानों को अवगत कराया जायेगा या यह महिलायें पहले की ही तरह चूल्हा फूंकती रहेंगी और इनके पति या इन्हें चुनाव लड़ाने वाले लोग ही फरमाबरदार बन इनके साथ ही, ग्राम सभाओं में पहले की ही तरह राज करते रहेंगे?
       अब सरकार के साथ-साथ समाज की आधी शक्ति कहे जाने वाले महिला वर्ग की इन पंचायत प्रतिनिधियों का भी शक्ति परीक्षण होना है। जिसे समाज ने अपना प्राथमिक जन प्रतिनिधि बनाया है, जिनके जिम्मे समाज के प्राथमिक तबके, गांव का विकास है।

पंकज सिंह महर:
विकास की जिम्मेदारी महिलाओं के कंधों पर: चुफाल

पंचायती राज मंत्री विशन सिंह चुफाल का कहना है कि पचास फीसदी आरक्षण मिलने के बाद अब पंचायतों के विकास की जिम्मेदारी महिलाओं सदस्यों के कंधों पर आ गयी है। संसदीय मर्यादाओं का ध्यान रखकर और पतियों के दखल के बगैर पंचायत के कामकाज में वह स्वयं निर्णय लें। सरकारी योजनाओं को वह पादर्शिता और ईमानदारी के साथ पूरा करें। सोमवार को एटीआई में माउंटेन फोरम हिमालया व लोक चेतना मंच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित महिला जिला पंचायत सदस्यों की राज्य स्तरीय कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए श्री चुफाल मंत्री कम प्रशिक्षक की भूमिका में अधिक नजर आए। उन्होंने पंचायतों के कामकाज व राज्य सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही उनके क्रियान्वयन के लिए जरूरी टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा कि सदस्य अपने क्षेत्र की समस्याओं का निदान करने व कठिनाइयों को सरकार के संज्ञान में लाने को कहा। उन्होंने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को दिलाने में महिला प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि शीघ्र प्रदेश का पंचायती राज एक्ट अस्तित्व में आ जाएगा, जिसके बाद पंचायतों को योजना बनाने के पूरे अधिकार मिल जाएंगे। सरकार पंचायतों की खुली बैठक में पास प्रस्तावों को ही मंजूरी प्रदान करेगी। विधायक खड़क सिंह बोहरा ने कहा कि इच्छाशक्ति हो तो कोई काम असंभव नहीं है। आयुक्त एस राजु ने महिलाओं से स्वयं निर्णय लेने व अपनी शक्तियों का उपयोग करने की प्रेरणा दी। हिमालय अध्ययन केंद्र के निदेशक डा.दिनेश जोशी ने महिलाओं से संवैधानिक ताकत का रचनात्मक उपयोग करने का आह्वान किया। इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्र”वलित कर किया गया। आयोजकों की ओर से अतिथियों का बुके देकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर एटीआई के उपनिदेशक वीके मिश्रा, आरके पाण्डे, अक्षय साह, दिनेश महतोलिया, जेएस पंवार, जिला पंचायत सदस्य नीमा आर्या, दीपा ढ़ोढियाल, प्रियंका लमगडि़या समेत तीन दर्जन से अधिक जिपं सदस्य उपस्थित थे। संचालन जोगेंद्र बिष्ट ने किया।

डीएम का नाम नहीं मालूम!

 नैनीताल: प्रदेश में महिला साक्षरता को लेकर सरकार कितने ही प्रयास चल रहे हों, लेकिन हकीकत इससे विपरीत है। महिला जिला पंचायत सदस्यों से वार्ता के दौरान कई जिला पंचायत सदस्य अपने-अपने जिले के जिलाधिकारी का नाम तक नहीं बता सकी। कुछ एक सदस्यों को छोड़ अधिकांश सदस्य कार्यशाला में खामोश बैठी रहीं। उधर राज्य स्तरीय कार्यशाला में सिर्फ तीन दर्जन से अधिक सदस्यों की मौजूदगी भी चर्चा का विषय बनी रही।

आजादी तो ठीक, मगर पति की सलाह जरूरी

नैनीताल: पंचायत के कार्यो में पतियों का दखल रोकने को सरकार भले ही कसरत में जुटी हो लेकिन महिला जिला पंचायत सदस्य पति की सलाह को जरूरी मानती हैं। महिला प्रतिनिधियों के अनुसार निर्णय लेने में आजादी अवश्य मिलनी चाहिए। सोमवार को एटीआई में आयोजित कार्यशाला में प्रतिभाग करने पहुंची महिलाओं ने बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि पंचायतों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण मिलने से समस्याओं का समाधान बेहतर तरीके से हो सकेगा। राज्य सरकार के इस निर्णय पर अधिकांश महिलाएं बेहद खुश नजर आई। अल्मोड़ा जिले की इड़ा सीट से जिला पंचायत सदस्य रीता नेगी व भगवती आर्या ने कहा कि पति का नैतिक समर्थन लोगों की सेवा करने में टानिक का काम करता है। उनका कहना था कि जब महिला-पुरुष साथ चलेंगे तभी विकास की हर बाधा पार होगी। अल्मोड़ा की ही विमला रावत की भी कमोवेश राय यही थी। पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग से रेनूका धानिक व डीडीहाट से मंजू डसीला का कहना था कि पहाड़ में महिलाओं को विकास का लाभ अब तक नहीं मिला है, अब वह बैठकों के अलावा अधिकारियों के साथ मिलकर समस्याओं का समाधान करा सकती हैं। उत्तरकाशी जिले की चिन्याली सीट से सदस्य मालती राणा के अनुसार उनकी पहली प्राथमिकता पिछड़े क्षेत्रों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना है। श्रीमती राणा ने कहा कि महिलाओं के आगे आने से समस्याओं के निस्तारण में तेजी आएगी और भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।
 

 
 
 

पंकज सिंह महर:
देहरादून : राज्य के 12 जिलों में ग्राम पंचायतों के उप प्रधानों का चुनाव 27 दिसंबर को होगा। राज्य निर्वाचन आयोग के उप सचिव जेपी डंगवाल ने बताया कि राज्य के 12 जिलों में नव गठित ग्राम पंचायतों के उप प्रधान का चुनाव और हरिद्वार जिले में नारसन ब्लाक की गाधारोना ग्राम पंचायत के उप प्रधान के रिक्त पद पर उप चुनाव 27 दिसंबर को होंगे। आयोग से जारी अधिसूचना के मुताबिक उक्त तिथि को सुबह दस बजे से 11 बजे तक नामांकन, 11 बजे से 12 बजे तक नामांकन पत्रों की जांच, दोपहर 12 बजे से 12.30 बजे तक नाम वापसी, 12.30 बजे से एक बजे तक चुनाव चिन्ह आवंटन व 1.30 बजे से 3.30 बजे तक मतदान व शाम चार बजे से मतगणना व चुनाव परिणाम घोषित होंगे।
 

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