Author Topic: Public Protest For Development - जिबड़ियो छाल्यो पड़ो विकास पुकारि-पुकारि  (Read 25782 times)

पंकज सिंह महर

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Re: PUBLIC PROTEST / AGITATION AGAINST GOVT !!!
« Reply #20 on: March 19, 2008, 02:04:49 PM »
लमगड़ा के ग्रामीणों का आंदोलन जारी

अल्मोड़ा। विकासखंड धौलादेवी के 6 ग्राम पंचायतों को लमगड़ा में शामिल किये जाने की मांग को लेकर ग्रामीणों का आंदोलन जारी है। ग्रामीणों ने 25 से क्रमिक अनशन की चेतावनी दी है।

आंदोलनरत ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ग्राम पंचायतें विकासखंड लमगड़ा मुख्यालय से लगी है, लेकिन उनका ब्लाक मुख्यालय धौलादेवी में बनाया गया है। जो किसी भी मायने में व्यवहारिक नहीं है। न्याय पंचायत परिसीमन संघर्ष समिति के बैनर तले चल रहे आंदोलन की एक बैठक में वक्ताओं ने ग्राम पंचायत जाखतेवाड़ी, कपकोट, गोलीमहर, बधाण, नौरा व मलाड़ी को लमगड़ा विकासखंड में मिलाए जाने की मांग की है।

संघर्ष समिति का कहना है कि वह आंदोलन को मंजिल तक पहुंचाकर ही दम लेंगे। भले ही उन्हें इसके लिए कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पडे़। बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता व एडवोकेट नंदन सिंह कपकोटी ने मांगों को जायज ठहराते हुए इन 6 ग्राम पंचायतों को लमगड़ा ब्लाक में शामिल करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिसीमन अव्यवहारिक है। ग्रामीणों की सुविधा के लिए 6 ग्राम सभाओं को धौलादेवी से हटाकर लमगड़ा में शामिल किया जाना चाहिए।

पंकज सिंह महर

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उत्तरकाशी। ब्लाक डुंडा के बौन गांव में फल सब्जियों की खेती कर रहे नेपाली मूल के लोगों को गांव से हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मांग को लेकर ग्रामीणों ने तहसील मुख्यालय डुंडा में धरना शुरू कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि नेपालियों को गांव से तत्काल नहीं हटाया गया तो वे आंदोलन तेज करेंगे।

ब्लाक डुंडा के बौन गांव की जमीन किराए पर लेकर कुछ साल पहले नेपाली मूल के लोगों ने खेती शुरू की। ग्रामीणों ने नेपाली मजदूरों पर आरोप लगाया कि वे इसकी आड़ में गांव में कच्ची शराब का व्यवसाय कर रहे हैं। इसके साथ ही नेपाली आए दिन ग्रामीणों को धमकाते रहते हैं। धरने पर बैठी महिलाओं ने प्रशासन से गुहार लगाई कि वह शीघ्र नेपाली लोगों को गांव से हटाया जाए।

पंकज सिंह महर

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बेलपट्टी क्षेत्र के कई तोक आज भी अंधेरे मेंApr 09, 02:47 am

गंगोलीहाट(पिथौरागढ़)। विकासखण्ड के बेलपट्टी क्षेत्र के कई गांव विद्युतीकरण नहीं होने से आज भी अंधेरे में डूबे हुये है। इसको लेकर क्षेत्रवासियों में एचपीसीएल के खिलाफ गहरा आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने एक माह के भीतर विद्युतीकरण नहीं किये जाने पर विभाग के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है।

बेलपट्टी क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता रामसिंह बिष्ट ने बताया कि दो वर्ष पूर्व एचपीसीएल द्वारा गांवों में विद्युतीकरण का कार्य शुरू किया गया। परन्तु अधिकांश गांवों में पोल गाड़कर कार्य को अधूरा छोड़ दिया गया। जबकि कई विद्युत खम्भे मार्गो पर लावारिश छोड़ दिये गये। विभाग द्वारा इसके बाद विद्युतीकरण का कार्य शुरू नहीं किये जाने से सुनखोला, बनेलागांव, खतीगांव सहित बुंगली के कई तोकों तक बिजली नहीं पहुंची है। इसके चलते ग्रामीण छिलकों की रोशनी में रात गुजारने को मजबूर है। श्री बिष्ट ने आरोप लगाया कि कई बार विभाग को लिखे जाने के बाद भी अधूरे विद्युतीकरण के कार्य को पूरा करने के अभी तक प्रयास नहीं किये गये है। उन्होंने इस संबंध का एक ज्ञापन प्रदेश के मुख्य मंत्री को प्रेषित कर कार्यदायी संस्था को निर्देशित करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने एक माह के भीतर विद्युतीकरण का कार्य शुरू नहीं किये जाने पर क्षेत्रवासियों को साथ लेकर आंदोलन में कूदने की चेतावनी दी है।

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क्षेत्रवासियों ने बनाया आंदोलन का मनApr 09, 02:47 am

रानीखेत (अल्मोड़ा)। लोक निर्माण विभाग द्वारा पूर्व में स्वीकृत मोटर मार्ग का सर्वे बदलकर दूसरे स्थान से किए जाने से ग्रामीण आक्रोशित है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पर हितों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पूर्व में स्वीकृत मोटर मार्ग पर ही सड़क निर्माण नहीं किया गया तो क्षेत्रवासी आंदोलन को बाध्य होंगे। ग्रामीणों ने कहा कि सौनी, बिनसर महादेव से तिपोला तक स्वीकृत मोटर मार्ग को कई बार विभाग द्वारा बदला जाता रहा। जबकि पूर्व में यह प्रस्तावित सड़क डौड़ाखाल-सगनेटी से होते हुए सिलोर महादेव राजकीय इण्टर कालेज से तिपोला तक स्वीकृत की गई थी। लेकिन विभाग द्वारा अब सड़क निर्माण सगनेटी से जाल, मुसियाकोट, उकला, प्राइमरी पाठशाला सिलोर महादेव से तिपोला कर दिया गया है। जिससे सांगुड़ा गांव के लोगों में आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि नई सड़क सांगुड़ा गांव के ठीक ऊपर से होकर जा रही है। सड़क बनने पर सारा मलवा गांव के मकानों में आएगा जिससे जनहानि होने का भी खतरा है। उन्होंने कहा कि इस सड़क से गांव के जल, जंगल, जमीन को भारी क्षति होगी। ग्रामीणों ने कहा कि अगर शीघ्र ही ग्रामीणों की नहीं सुनी गई तो व्यापक स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

पंकज सिंह महर

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ट्रांसफार्मर फूंकने से कई गांव अंधकार मेंApr 09, 02:47 am

सोमेश्वर (अल्मोड़ा)। ग्राम पंचायत बूंगा-चनौदा के विद्युत ट्रांसफार्मर में बीती सायं आकाशीय बिजली गिरने से पूरे गांव में विद्युत आपूर्ति ठप हो गई है। प्र्र्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बीती रोज आंधी तूफान के साथ ही बज्रपात हुआ जिससे विद्युत ट्रान्सफार्मर में आग लग गयी। प्रभावित ग्रामीणों ने विभाग से ट्रान्सफार्मर को शीघ्र बदलने व गांव में विद्युत आपूर्ति को सुचारु करने की मांग की है।

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पथ प्रकाश व्यवस्था ठप, राहगीरों को दिक्कतेंApr 09, 02:47 am

अल्मोड़ा। नगरपालिका के बालेश्वर वार्ड के मोहल्ला ढूंगाधारा में पथ प्रकाश व्यवस्था पिछले 3-4 दिन से ठप पड़ी है। जिस कारण राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मुहल्लेवासियों ने पथ प्रकाश व्यवस्था दुरुस्त किये जाने की मांग की है। इधर मंगलवार को भाजपा की जिला कार्यकारिणी सदस्य दया जोशी ने नगरपालिका के प्रभारी अधिकारी को ज्ञापन देकर बालेश्वर वार्ड की समस्याओं के निराकरण की मांग की है। ज्ञापन में उन्होंने ढूंगाधारा, मकीड़ी, चीनाखान, पूर्वी पोखरखाली, दरबारी नगर, बुद्धिपुर आदि मोहल्लों में नालियों, रास्तों व नालों का निर्माण करने की मांग की है।

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देहरादून। तबादलों में बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप ने दूरस्थ माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों का संकट खड़ा कर दिया है। मैदानी सुविधाजनक क्षेत्रों की तुलना में दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षकों के दोगुना करीब 40 फीसदी पद रिक्त हो गए हैं।

प्रदेश में शिक्षकों के 31 फीसदी से ज्यादा पद खाली हैं। माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के स्वीकृत 27814 में 8671 पद भरे नहीं गए हैं। 41 फीसदी से अधिक विद्यालय मुखिया विहीन हैं। प्रवक्ताओं के 35.78 फीसदी और एलटी शिक्षकों के 27.58 फीसदी पद रिक्त चल रहे हैं। शिक्षकों के कुल रिक्त पदों में भी दूरवर्ती व कठिनतम क्षेत्रों की हालत ज्यादा पतली है। इन क्षेत्रों में अध्यापकों की तैनाती अत्यधिक विषम होने से प्रभावित हो रही है। इन हालातों को सुधारने के बजाए ज्यादा बिगाड़ने में राजनीतिक हस्तक्षेप की भूमिका है। शिक्षकों के तबादलों व तैनाती में नियम-कानून ताक पर धरे जा रहे हैं। लंबे समय तक ठहराव के बाद सत्रांत में बड़े पैमाने पर तबादले किए जा चुके हैं। सीएजी ने भी बढ़ते राजनीतिक हस्तक्षेप का जिक्र किया है कि स्थानांतरण कमेटियों को बार-बार ताक पर रखने की परंपरा शुरू हो चुकी है। बीते तीन वर्षो में कमेटी की सिर्फ एक बैठक हुई थी। बीते वर्ष तो एक भी बैठक नहीं हुई। महकमे की हालत रबर स्टैंप मानिंद हो गई है। सीएजी जांच में शामिल 114 मामलों में पाया गया कि सभी मामलों में तबादले राजनीतिज्ञों की अनुशंसा पर शिक्षा मंत्री की स्वीकृति के बाद किए गए। विशेषकर दूरस्थ इलाकों से अंतरजनपदीय ही नहीं, अंतरमंडलीय तबादलों के जरिए बड़ी संख्या में शिक्षक सुविधाजनक क्षेत्रों में उतर रहे हैं। नई नियुक्तियों के बावजूद सरकार शिक्षकों को पहाड़ों पर चढ़ाने में सफल नहीं हो सकी है। शिक्षा महकमे के आंकड़ों पर नजर डालने से यह साबित है कि मैदानी जिलों में शिक्षकों की कमी 20.51 फीसदी है, जबकि पर्वतीय जिलों में सिर्फ प्रवक्ता श्रेणी में 40.03 फीसदी रिक्तियां हैं। मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर व नैनीताल में एलटी के 16.75 फीसदी, प्रवक्ता के 20.51 फीसदी पद खाली पड़े हैं। इसकी तुलना में पर्वतीय जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, टिहरी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, पिथौरागढ़ एवं उत्तरकाशी में एलटी के 30.72 फीसदी तकरीबन 3998 पद और प्रवक्ता के 2894 पद करीब 40.03 फीसदी पद रिक्त हैं। जिलों के ही मैदानी व दुर्गम इलाकों में रिक्त पदों की संख्या में बड़ा अंतर है। शिक्षकों की तैनाती के असंतुलन की खाई साल-दर-साल चौड़ी हो रही है।

पंकज सिंह महर

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लोनिवि ने छोड़ा अधूरा डामरीकरण,ग्रामीण नाराजApr 09, 02:47 am

कांडा (बागेश्वर)। लोक निर्माण विभाग द्वारा कांडा से कांडा पढ़ाव तक किए जा रहे डामरीकरण के कार्य को अधूरा छोड़ने पर क्षेत्रीय जनता ने विभाग के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक से डामरीकरण कार्य शीघ्र पूर्ण कराए जाने की मांग की है।

ग्रामीणों ने बताया कि कुछ माह पूर्व लोक निर्माण विभाग ने कांडा से कांडा पढ़ाव तक डामरीकरण का कार्य प्रारम्भ किया था परंतु उसे अधूरा छोड़ दिया बताया कि जो डामरीकरण किया भी गया था उसमें गुणवत्ता का कतई ध्यान नहीं रखा गया जिस कारण डामर उखड़ गया है। कहा कि मार्ग के खराब होने के कारण इस मार्ग में चलने वाले वाहन चालकों, यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है साथ ही ग्रामीणों ने सड़क किनारे कुछ खान मालिकों द्वारा बेतरतीब तरीके से रखे खड़िया के बैगों को भी वाहन चालकों की समस्या बताते हुए इन्हे हटाए जाने की मांग की है।

पंकज सिंह महर

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पोखरी गांव में नहीं जले दो सप्ताह से विद्युत बल्बApr 09, 02:47 am

बागेश्वर। ऊर्जा प्रदेश के कांडा तहसील के पोखरी गांव में विभागीय लापरवाही के चलते दो सप्ताह से विद्युत आपूर्ति ठप पड़ी है। जिस कारण गांव में अंधकार छाया हुआ है। ग्रामीणों की लाख अनुनय-विनय के बाद भी विभाग ने गांव की विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की है जिस कारण ग्रामीणों ने अब आंदोलन का मन बना लिया है।

पोखरी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पिछले दो सप्ताह से विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई जिसकी सूचना ग्रामीणों ने तुरंत विभागीय अधिकारियों समेत क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था का जिम्मा संभाले विद्युत ठेकेदार के आदमियों को इसकी जानकारी दी जिस पर ठेकेदार के प्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को बताया कि गांव का ट्रांसफार्मर फूंक चुका है तथा इसकी सूचना उन्होंने दे दी है। परंतु अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों ने बताया कि विद्युत आपूर्ति भंग होने से गांव के लगभग 60 परिवार अंधकार में रात बिता रहे है साथ ही विश्वविद्यालय की परीक्षा दे रहे परीक्षार्थियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है साथ ही गांव में जंगली जानवरों का भय बना हुआ है।

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समझौते के विपरीत बाहरी लोगों की नियुक्ति से भड़के ग्रामीणApr 08, 02:10 am

बागेश्वर। औषधीय सगंध संस्थान सीमैप पुरड़ा में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को नियुक्ति दिये जाने से पुरडा के ग्रामीण भड़क गये है। उन्होंने सीमैप के निदेशक व जिला प्रशासन पर पूर्व में हुए समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया है।

पुरड़ा के ग्रामीणों ने कहा कि सीमैप संस्था में गांव के लोग विगत 12 साल से कार्य करते आ रहे है। पूर्व में जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के तौर पर क्षेत्रीय पटवारी की मौजूदगी में एक समझौता हुआ था। जिसमें तय किया गया था कि गांव वाले अपने चरागाह व खेत सीमैप को खेती के लिए सौंपेंगे। बदले में ग्रामीणों को चतुर्थ श्रेणी व तृतीय श्रेणी वर्ग में तैनाती प्रदान करने पर सहमति हुई थी। लेकिन विगत 5 साल से सीमैप में चालक पद पर कार्यरत रवींद्र सिंह राना को हटाते हुए उसके स्थान पर नये व्यक्ति को तैनात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांव वालों का मुख्य व्यवसाय कृषि व पशुपालन है लेकिन सीमैप को जमीन देने से ग्रामीणों का पशुपालन व कृषि व्यवसाय प्रभावित हुआ है। बाद में ग्रामीणों ने सीमैप के निदेशक को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया। चेतावनी दी कि यदि रवींद्र सिंह राना को हटाया गया और बाहरी लोगों का नियुक्ति प्रदान की गयी तो सीमैप व जिला प्रशासन के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा। सीमैप के प्रभारी निदेशक डा एल रहमान ने कहा कि नियुक्तियां स्थानीय सीमैप कार्यालय से नहीं हुई है। यह कर्मचारी पूर्व में सीएसआईआर में कार्यरत थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन्हे यहां तैनात किया गया है।

 

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